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सिर्फ 17 साल बाद रुक जाएगा धरती के केंद्र का घूमना, फिर होगा उल्टी दिशा में चक्कर... क्या आएगी बड़ी आफत?

पृथ्वी का केंद्र यानी उसका दिल गर्म और ठोस लोहे का बना है. यह लगातार घूमता रहता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि यह केंद्र अब अपने घुमाव की दिशा बदलने की तैयारी में है. उससे पहले यह एक छोटा सा ब्रेक लेगा. यानी घुमाव रुकेगा. घुमाव रुकने से क्या धरती को नुकसान होगा?

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वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कितने साल के अंतराल पर धरती का कोर घूमते-घूमते रुक जाता है. (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कितने साल के अंतराल पर धरती का कोर घूमते-घूमते रुक जाता है. (फोटोः गेटी)

पृथ्वी का केंद्र (Earth's Inner Core) घूमता है. गर्म और ठोस लोहे का अंदरूनी गोला. जिसकी वजह से धरती का मैग्नेटिक फील्ड और गुरुत्वाकर्षण बल बनता है. ऐसा केंद्र के एक दिशा में घूमने की वजह से होता है. अगर यह घुमाव कुछ देर रुक जाए और उसके बाद दूसरी दिशा में पलट जाए तो क्या होगा. क्या धरती पर भयानक भूकंप आएंगे. गुरुत्वाकर्षण शक्ति खत्म हो जाएगी. मैग्नेटिक फील्ड पलट जाएगी. 

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असल में वैज्ञानिकों और भूकंप विज्ञानियों ने मिलकर पता लगया है कि धरती का कोर अपने घूमने की दिशा में बदलाव करने की तैयारी में है. उससे पहले वह एक ब्रेक लेगा. यानी घुमाव रुकेगा. इसे लेकर Nature Geoscience में रिपोर्ट छपी है. धरती के केंद्र का घुमाव ऊपरी सतहों की स्थिरता को तय करता है. लेकिन इसके घुमाव में करीब 70 साल के बाद बदलाव आता है. अब वही बदलाव होने वाला है. धरती का केंद्र अपने घुमाव की दिशा बदलने की तैयारी में है. 

Earth's Inner Core

इसे सुनकर लग सकता है कि धरती फट जाएगी. प्रलय आ जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं है. इस घुमाव के कुछ सेकेंड्स के लिए रुकने और दूसरी दिशा में बदलने से पृथ्वी की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा. यह एक मॉडल है जो वैज्ञानिकों ने काफी स्टडी के बाद बनाया है. ताकि वो धरती के केंद्र का बाकी दुनिया के साथ संबंध समझ सकें. बीजिंग स्थित पीकिंग यूनिवर्सिटी के भूकंप विज्ञानी डॉ. जियाओडोन्ग सॉन्ग ने कहा कि हमारे ग्रह के अंदर एक ग्रह (अंदर का केंद्र) है, इसलिए उसके घुमाव की जानकारी होना जरूरी है. 

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जानिए कब खोजा गया था धरती का केंद्र

साल 1936 में डच भूकंप विज्ञानी इंगे लेहमैन ने खोजा था कि धरती लिक्विड आउटर कोर एक ठोस मेटल बॉल के चारों तरफ लिपटा है. यानी इनर कोर के चारों तरफ. तब से पृथ्वी के केंद्र ने वैज्ञानिकों को हैरान-परेशान कर रखा है. यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के भूकंप विज्ञानी जॉन विडाले कहते हैं यह बेहद विचित्र घटना है कि गर्म लोहे की गेंद धरती के केंद्र में घूम रही है.  

Earth's Inner Core

परमाणु टेस्ट और भूकंपों ने हिलाया केंद्र

धरती की उम्र के मुताबिक इस केंद्र को थोड़ा ठंडा होकर क्रिस्टलाइज होने की घटना कुछ करोड़ साल ही पुरानी है. पृथ्वी के केंद्र को आसानी से पढ़ा नहीं जा सकता. वहां से सैंपल लेना भी मुश्किल है. लेकिन भूकंपों से निकलने वाली तरंगें और शीत युद्ध के समय किए गए परमाणु टेस्ट पृथ्वी के केंद्र को प्रभावित करती आई हैं. उससे उसके बारे में पता भी चलता है, साथ ही होने वाले बदलावों की स्टडी करने में मदद मिलती है. 

पृथ्वी के कोर का घुमाव है बड़ी पहेली

वैज्ञानिकों का अंदाजा है कि गर्म लोहे कि घूमती हुई ये लोहे और निकल से बनी ये बॉल यानी केंद्र करीब 2011 किलोमीटर लंबी है. यह इतनी गर्म है जितनी सूरज की सतह. 90 के दशक में डॉ. सॉन्ग ने उन पहले वैज्ञानिकों में से एक थे, जिन्होंने कहा था कि धरती का केंद्र घूम रहा है. वह भी अलग-अलग गति में. जबकि पृथ्वी की सतह पर ऐसा नहीं है. इसके बाद से दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने इस बात के सबूत जमा किए कि केंद्र अलग-अलग गति में कभी तेज तो कभी धीमे घूमता है. 

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Earth's Inner Core

क्यों जरूरी है धरती का इनर कोर?

केंद्र घूमता क्यों हैं? डॉ. सॉन्ग ने बताया कि इसके पीछे की वजह है इनर कोर के ऊपर मौजूद आउटर कोर से बनने वाला दबाव. लिक्विड आउटर कोर ठोस लोहे को अपनी तरफ खींचता रहता है. इससे निकलने वाली तरंगें मैंटल को हिला देती हैं. जिससे ताकतवर गुरुत्वाकर्षण पैदा होता है. यही शक्ति इनर कोर के घुमाव को धीमा करती है. डॉ. सॉन्ग की स्टडी के मुताबिक आउटर और इनर कोर की लड़ाई के चलते हर 70 साल में केंद्र के घुमाव की दिशा में बदलाव आता है. 

हर 70 साल में ब्रेक लेता है केंद्र

इसे ऐसे समझ सकते हैं. मान लीजिए 1970 के शुरुआत में धरती की सतह की तुलना में इनर कोर नहीं घूम रहा था. लेकिन धीमे-धीमे वह पूर्व की दिशा में घूमने लगता है. उसकी गति भी बढ़ने लगती है. सतह की गति से भी ज्यादा स्पीड में. लेकिन फिर उसकी गति में कमी आने लगती है. इनर कोर 2009 से 2011 के बीच एक ब्रेक लेता है. छोटा सा. गति एकदम कम हो जाती है. रुक जाती है. फिर वह धीमे से सतह की तुलना में पश्चिम दिशा में घूमने लगती है. 

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अब इस हिसाब से इनर कोर साल 2040 के आसपास फिर से पूर्व की ओर घूमना शुरू करेगा. यानी धरती के पूर्व और पश्चिम दिशा के बीच होने वाले घुमाव में रुकावट और बदलाव आज से 17 साल बाद आएगा. हां इससे कोई प्रलय नहीं आएगा. लेकिन धरती पर हल्के भूकंप के झटके शुरू हो सकते हैं. इसी वजह से हर छल साल में दिन के समय में कुछ मिलिसेकेंड्स का अंतर आ जाता है. 

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