30 करोड़ साल पहले फंगस की प्रजातियों से खुद इन विचित्र जीवों ने अलग कर लिया था. हैं ये फंगस ही लेकिन इनके लिए वैज्ञानिकों को अलग जेनेटिक ब्रांच बनानी पड़ रही है. इन जीवों को नाम दिया गया है Earth Tongue Fungi. यानी धरती की जीभ. काले रंग के ये छोटे जीव ऐसे लगता है कि किसी और दुनिया से आए हैं. धरती पर पनप रहे हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ अलबर्टा के माइकोलॉजिस्ट यानी फंगस की स्टडी करने वाले एक्सपर्ट टोबी स्प्रिबिले ने कहा कि ये फंगस की दुनिया के प्लैटीपस और एचिडना हैं. फंगस आमतौर पर एल्गी या साइनोबैक्टीरिया के साथ रहते हैं. तब ये लाइचेन बनाते हैं. ये सहजीवी होते हैं. अपने साथी से कार्बोहाइड्रेट लेते हैं. जो फोटोसिंथेसिस से मिलता है. फंगस इसके बदले में नमी और पोषक तत्व देता है.
लेकिन 'धरती की जीभ' फंगस अलग ही रहता है. एकदम आजाद पनपता है. हवा में सिर उठाए ऑक्सीजन लेता है. इनके सिर और शरीर काले रंग के होते हैं. इसलिए वैज्ञानिक इसके व्यवहार से हैरान हैं. जबकि, Symbiotaphrina buchneri फंगस भी सहजीवी होता है. वह बिस्किट बीटल कीड़े के ऊपर पनपता है. अब यह फंगस कीड़े को विटामिन बी देता है, बदले में उसके शरीर पर रहने की जगह लेता है.
कुछ एंडोफाइट्स होते हैं, जो पूरी तरह से पौधों के ऊपर ही अपना जीवन बिताते हैं. हैरानी की बात ये है कि अलग-अलग फंगस अलग-अलग तरह से रहते हैं. इनमें कुछ भी कॉमन नहीं होता. सिवाय उनके जीनोम के. लेकिन 'धरती की जीभ' फंगस अलग ही है. इन्हें पनपते हुए किसी ने नहीं देखा. ये कहां से आए उसका पता भी नहीं चल पा रहा है. इसकी जांच करने के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया के 9 अलग-अलग देशों में मिलने वाली फंगस की 30 प्रजातियों के जीनोम की जांच की.
पता चला कि फंगस की 600 प्रजातियां पहले सात अलग-अलग क्लास में रखी हुई हैं. ये सब एक ब्रांच की हैं. इनका वंश लाइचिनोमाइसीटीस से चलता चला आ रहा है. ये सबसे पुराने फंगस माने जा रहे थे. इनमें पेनीसिलीन पैदा करने वाले फंगस Penicillium rubens भी शामिल हैं. लेकिन 'धरती की जीभ' इनसे एकदम अलग क्यों है, इसका पता नहीं चल पा रहा है. इसके बारे में हाल ही करेंट बायोलॉजी जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है.