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कल सूरज से सबसे ज्यादा दूर हो जाएगी पृथ्वी... फिर भी कम नहीं होगी गर्मी, जानिए वजह

कल यानी 6 जुलाई 2023 को सूरज से अपनी धरती सबसे ज्यादा दूर होगी. लेकिन इतनी दूर जाने के बाद भी हमारी दुनिया में गर्मी कम नहीं होगी. सूरज आग उगलता रहेगा. पूरी दुनिया हीटवेव का सामना करती रहेगी. आइए जानते हैं कि पृथ्वी जब इतनी दूर हो जाती है सूरज से, तब भी गर्मी कम क्यों नहीं होती?

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6 जुलाई 2023 को सूरज और धरती की दूरी सबसे ज्यादा होगी. (फोटोः NASA)
6 जुलाई 2023 को सूरज और धरती की दूरी सबसे ज्यादा होगी. (फोटोः NASA)

6 जुलाई 2023 यानी कल. दिन गुरुवार. सूरज से हमारी पृथ्वी की दूरी सबसे ज्यादा होगी. इसे एपहेलियन (Aphelion) यानी अपसौर कहते हैं. इसके बावजूद सूरज की गर्मी का असर कम नहीं होगा. न तो हीटवेव में कमी आएगी. न ही तापमान कम हो रहा है. सूरज से दूर जाने के बाद भी गर्मी कम क्यों नहीं हो रही है? 

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एपहेलियन ग्रीक शब्द है. apo यानी दूर और helion मतलब सूरज. हैरानी की बात ये है कि जब हमारी धरती, सूरज से सबसे ज्यादा दूर रहती है. उस समय पूरी दुनिया गर्मी का मौसम बर्दाश्त कर रही होती है. इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के मुताबिक धरती और सूरज की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. 

Earth Farthest Point From Sun
 
असल में पृथ्वी की कक्षा हल्की सी अंडाकार है. यानी साल में एक दिन ऐसा आएगा जब पृथ्वी सूरज के सबसे नजदीक होगी. इसे पेरिहेलियन (Perihelion) कहते हैं. एक दिन सबसे ज्यादा दूर होगी. जो घटना कल होने वाली है. इस साल पेरिहेलियन 4 जनवरी को हुआ था. तब धरती से सूरज की दूरी 14.66 करोड़ किलोमीटर थी. 

इतनी हो जाएगी सूरज से पृथ्वी की दूरी

एस्ट्रोनॉमर फ्रेड एस्पेनाक के मुताबिक 6 जुलाई 2023 को सूरज की धरती से दूरी 15.10 करोड़ किलोमीटर हो जाएगी. धरती चक्कर लगाते-लगाते सूरज से इतनी दूर चली जाती है कि उसका असर मौसम पर पड़ना चाहिए. लेकिन ऐसा होता नहीं है. धरती कितनी भी दूर जाए पर उसके गर्म मौसम पर कोई असर नहीं पड़ता. 

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Earth Farthest Point From Sun

केपलर ने खोजा था सूरज-धरती का ये संबंध 

नासा के मुताबिक पेरिहेलियन और एपहेलियन की खोज एस्ट्रोनॉमर जोहांस केपलर ने 17वीं सदी में किया था. जिन्होंने बताया था कि ग्रह सूरज के चारों तरफ अंडाकार ऑर्बिट में घूमते हैं. ग्रह जब पेरिहेलियन में रहते हैं तब तेजी से घूमते हैं. एपहेलियन में धीमी गति से. इसलिए धरती के उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों के दिन दक्षिणी गोलार्ध से लंबे होते हैं. 

धुरी पर धरती का झुकाव बदलता है मौसम

पेरिहेलियन और एपहेलियन के बीच की दूरी भले ही लाखों किलोमीटर है. लेकिन उसका असर धरती के मौसम पर बेहद कम पड़ता है. धरती पर मौसम बदलने की वजह से उसका धुरी पर 23.5 डिग्री कोण पर झुके रहना. इसका मतलब ये है कि सूरज की रोशनी पूरी धरती पर अलग-अलग समय में अलग-अलग तरह से पड़ती है. 

जुलाई महीने में धरती का उत्तरी गोलार्ध सूरज की तरफ झुका रहता है. वह सूरज की पूरी रोशनी के सामने रहता है. जबकि दक्षिणी गोलार्ध सूरज की रोशनी से थोड़ा दूर रहता है. वहां दिन छोटे होते हैं. साथ ही ठंडे भी होते हैं. 

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