धरती का दक्षिणी ध्रुव (South Pole) अपनी जगह बदल रहा है. कभी पश्चिम की तरफ. कभी पूरब की तरफ. ऐसा इसलिए हो रहा है. क्योंकि इंसान जमीन के अंदर से बहुत ज्यादा पानी निकाल रहा है. इससे धरती के अंदर की भूगर्भीय स्थितियां बदल रही है.
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने दावा किया है कि पिछले 30 साल में धरती का दक्षिण ध्रुव पूर्व दिशा की तरफ 78.48 सेंटीमीटर यानी करीब ढाई फीट खिसक चुका है. जो फिर वापस कब लौटेगा, इसका पता नहीं चल पा रहा है. यह एक बेहद खतरनाक स्थिति है. इससे मौसम बदलेगा. आपदाएं आ सकती हैं.
सियोल यूनिवर्सिटी के अर्थ साइंस विभाग के साइंटिस्ट की-वियोन सियो ने बताया कि दक्षिणी ध्रुव 64.16°E की तरफ खिसकता जा रहा है. ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि दुनिया भर के इंसान धरती के अंदर से करोड़ों टन पानी निकाल रहे हैं.
इंसानों ने निकाला इतना पानी, धरती हो रही खोखली
की-वियोन और उनके साथियों ने पता किया कि 1993 से 2010 के बीच पूरी धरती के अंदर से इंसानों ने 2150 गीगाटन पानी निकाला है. पानी निकालने की वजह से साउथ पोल खिसक रहा है.
अंदर से निकलने वाले पानी इस्तेमाल करने के बाद वापस उन्हें नदियों के जरिए समुद्र में वापस भेज दिया जाता है. जिससे पानी जमीन के अंदर पहुंचने के बजाय ऊपर टिका रहता है. इससे ध्रुवीय मूवमेंट में अंतर आता है. पूरी दुनिया में ग्राउंडवाटर स्टोरेज हर साल 4.36 सेंटीमीटर के हिसाब से बदलता है.
क्या होता है ध्रुवीय मूवमेंट?
समझने वाली बात ये है कि ध्रुवों का मूवमेंट क्या होता है. यानी धरती का अपनी धुरी पर घूमते समय उसका उसके क्रस्ट यानी ऊपरी सतह से क्या संबंध बनता है. जब धरती अपनी धुरी पर घूमती है. तब ऊपरी हिस्सा यानी क्रस्ट भी खिसकता है. साथ ही वायुमंडल, समुद्र, पृथ्वी का ठोस हिस्सा और तरल पदार्थों का मूवमेंट प्रभावित होता है.
जब इन सबमें बदलाव आता है, तब उससे द्रव्यमान का विभाजन (Mass Distribution) होता है. ये विभाजन ही ध्रुवीय मोशन को प्रभावित करता है. साथ ही धरती की उसकी धुरी पर घूमने की गति भी प्रभावित होती है. इनमें से कई वजहें मौसमी हो सकती हैं. जैसे मौसमी बदलाव की वजह से हर साल पोलर मोशन के साइकिल में बदलाव आता है.
कैसे बदलता है धरती से बड़ी चीजों का द्रव्यमान?
ध्रुव हर साल कुछ मीटर खिसकते हैं. वापस अपनी जगह चले आते हैं. कई बार यह प्रक्रिया एक दिशा में होती है. जैसे किसी बड़े बर्फ के टुकड़े का पिघलना. जैसे हिमयुग में एक ऐसा ही बड़ा टुकड़ा पिघला था. हिमयुग के पिघलने का समय 20 हजार साल पहले शुरू हुआ था. जो 11,700 साल पहले बंद हुआ. इसकी वजह से द्रव्यमान के विभाजन में काफी अंतर आया था.
New findings on human-induced drift of Earth’s rotational pole is a wake-up callhttps://t.co/SDLgvHcLFJ#earth #water #rotation pic.twitter.com/AOYEYUwshc
— Down To Earth (@down2earthindia) July 3, 2023
धरती पर मौजूद हर बड़ी चीज. जैसे- समुद्र, महाद्वीप, टेक्टोनिक प्लेट, अंदर फूटता लावा या धरती का केंद्र. उसके घुमाव के साथ घूमता भी है और उसे प्रभावित भी करता है. इन सबका अपना द्रव्यामान है. सब आपस में जुड़े हुए हैं. किसी का भी द्रव्यमान बदलता है तो सब पर असर पड़ता है. साथ ही ध्रुवों के मूवमेंट पर भी असर पड़ता है. जमीन से ज्यादा पानी निकालने की वजह से द्रव्यमान के विभाजन में अंतर आया है. ग्राउंड वाटर ध्रुवीय मूवमेंट पर असर डालने वाला दूसरा सबसे बड़ा फैक्टर है.