ब्रह्मांड में कई विचित्र दुनिया हैं. कई बार उनकी खोज हम इंसानों को हैरान कर देती है. जैसे बुध जैसे ग्रह लेकिन आकार बृहस्पति ग्रह का. या फिर बेहद छोटे नेपच्यून जैसे ग्रह. इतना ही नहीं बृहस्पति से कई गुना बड़े गर्म ग्रह भी हैं. जो अपने तारे यानी सूर्य के आसपास चक्कर लगा रहे हैं. ऐसे ही दो बाहरी ग्रहों (Exoplanets) पर भारी मात्रा में हैवी एलीमेंट्स (Heavy Elements) खोजे गए हैं.
हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में ऐसी दो दुनिया खोजी गई हैं. पहली WASP-76b और WASP-121b जिनके चारों तरफ बेरियम (Barium) के बादल घूम रहे हैं. यानी हमारे पीरियोडिक टेबल का 56वां एलीमेंट. सिर्फ इतना ही नहीं इन ग्रहों के ऊपर बने वायुमंडल में पीरियोडिक टेबल के कई एलीमेंट मौजूद हैं. जैसे- WASP-76b पर कैल्सियम, टाइटेनियम ऑक्साइड, वैनेडियम ऑक्साइड है. उधर, WASP-121b के वायुमंडल में वैनेडियम, आयरन, क्रोमियम, कैल्सियम, सोडियम, मैग्नीसियम और निकल मिला है. बेरियम धरती पर काफी कीमती खनिज माना जाता है. यह 36 से 50 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है. उसकी गुणवत्ता के हिसाब से कीमत तय होती है.
इन ग्रहों के वायुमंडल की स्थिति ऐसी है कि यहां इन धातुओं और खनिजों के पत्थर बारिश में गिरते हैं. जैसे धरती पर बर्फ के गोले गिरते हैं. पुर्तगाल के यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्टो और इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस साइंसेस के एस्ट्रोनॉमर टोमास अजेविडो सिल्वा ने कहा कि ये ग्रह इतना ज्यादा हैरान करते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते. इन ग्रहों पर धातुओं और खनिजों का खजाना भरा पड़ा है. समझ में यह नहीं आ रहा है कि इनके वायुमंडल की ऊपरी सतह पर हैवी एलीमेंट्स कहां से पहुंच गए. हम सिर्फ बेरियम ध्यान दे रहे हैं क्योंकि अभी तक यह किसी बाहरी ग्रह पर नहीं मिला था.
टोमास ने बताया कि किसी भी बाहरी ग्रह की केमिस्ट्री को समझना बेहद जटिल होता है. पहले तो उस ग्रह और उसके तारे यानी सूर्य के बीच उसका संबंध पता करना होता है. जिसे ट्रांजिटिंग कहते हैं. अगर इस ट्रांजिटिंग से सिग्नल मिल जाए तो हमें पर्याप्त डेटा मिलता है. ग्रह के ऊपर मजबूत वायुमंडल होना जरूरी है, तभी हमें सही सिग्नल मिलता है. यानी उससे सही रोशनी हम तक पहुंचती है. इन रोशनियों के आधार पर हम यह पता करते हैं कि वायुमंडल में कौन-कौन से हैवी या हल्के एलीमेंट्स मौजूद हैं. रसायन, गैस, धातु या खनिज... क्या हैं उनमें.
इन धातुओं और खनिजों का अध्ययन करके हम यह पता करते हैं कि बाहरी ग्रहों का निर्माण कैसे होता है. क्या उनका निर्माण हमारी आकाशगंगा के साथ हुआ है. पहले हुआ है या फिर बाद में. WASP ग्रहों के पास इतनी ज्यादा मात्रा में धातु और खनिज है, जो इंसानों की कई पीढ़ियों को ऊर्जा दे सकता है. लेकिन उसे वहां से लाना ही बेहद मुश्किल है. पहले तो वहां पहुंचना मुश्किल है. पहुंच गए तो उन्हें निकालना असंभव है. क्योंकि हमें उनकी ग्रैविटी, रेडिएशन और तीव्र हवाओं का अंदाजा नहीं है.
WASP-76b अपने तारे के चारों तरफ 1.8 और WASP-121b अपने तारे के चारों तरफ 1.27 दिन में चक्कर लगाता है. ये दोनों ग्रह हमारे बृहस्पति ग्रह से क्रमशः 0.92 और 1.18 गुना ज्यादा भारी हैं. इसलिए यहां पर बेरियम का मिलना महत्वपूर्ण खोज है. इन दोनों ग्रहों पर काफी ज्यादा ग्रैविटी है, इसलिए यहां पर स्ट्रोन्टियम जैसे खनिज भी हैं. यह स्टडी हाल ही में एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित हुई है.