अगर ये कहा जाए कि आकाशगंगा (Milky Way) एक बहुत बड़ा कब्रिस्तान है, तो आश्चर्य मत करिएगा. यहां तारे पैदा होते हैं, जलते हैं और मर जाते हैं, लेकिन वे पूरी तरह कभी खत्म नहीं होते. आकाशगंगा उन सभी मृत तारों के अवशेष को ढो रही है.
आकाशगंगा में बड़े तारे जो अरबों साल पहले मर गए थे, वो सुपरनोवा (Supernova) बन गए और दो तरह की चीजों में बदल गए. विस्फोट के बल से उनकी बाहरी परतें नष्ट हो गईं और जो कोर बचे थे, वे या तो बेहद छोटे न्यूट्रॉन (Neutron) तारे बन गए या ढहकर ब्लैक होल (Black Hole) बन गए. वैज्ञानिकों ने इन प्राचीन तारों के अवशेषों को 'गैलेक्टिक अंडरवर्ल्ड' (Galactic Underworld) नाम दिया है.
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (Royal Astronomical Society) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, ये प्राचीन तारे कैसे और कब पैदा हुए, जिए और मर गए, ये देखने के लिए शोधकर्ताओं ने गैलेक्टिक अंडरवर्ल्ड का पहला डिजिटल मैप बनाया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि वह कब्रिस्तान, मिल्की वे की मौजूदा ऊंचाई से तीन गुना बड़ा था.
नई बनी आकाशगंगा, जिसमें ये शुरुआती तारे रहते थे, आज की आकाशगंगा से काफी अलग थी. सिडनी यूनिवर्सिटी में खगोलविद डेविड स्वीनी (David Sweeney) और उनके सहयोगियों के बनाया गया मैप न केवल यह बताता है कि इन पुराने सितारों के अवशेष कहां छुपे हो सकते हैं, बल्कि यह भी बताता है कि मौजूदा अवशेषों के करीब एक तिहाई अवशेष या तो पहले ही आकाशगंगा से बाहर निकल चुके हैं, या फिर निकलने वाले हैं.
First ever map of Milky Way's galactic graveyard revealed https://t.co/tCgxrTlL7v pic.twitter.com/yOXIOIoSyi
— SPACE.com (@SPACEdotcom) October 10, 2022
सुपरनोवा बहुत तेज़ ऊर्जा के साथ विस्फोट करते हैं जो धूल और गैस की गति को लाखों मील प्रति घंटे तक बढ़ा सकते हैं. यहां ऊर्जा की उच्च या निम्न मात्रा का पता करना बहुत मुश्किल है. शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी न्यूट्रॉन तारों को आकाशगंगा से बाहर निकाला जा सकता था. ब्लैक होल, रग ब्लैक होल (rogue black holes) के तौर पर भी अंतरिक्ष से बाहर जा सकते हैं. उनके लिए किसी अनजान जगह पर जाना असंभव नहीं है.
डेविड स्वीनी का कहना है 'अब जब हम ये जानते हैं कि हमें कहां देखना है, तो हम इन चीजों को खोजने के लिए तकनीकी विकास कर रहे हैं. मैं शर्त लगा रहा हूं कि 'गेलेक्टिक अंडरवर्ल्ड' बहुत ज्यादा समय तक रहस्य नहीं रहेगा.'