इक्वाडोर आर्किपेलागो के गैलापैगोस स्थित इसाबेला आइलैंड से खुशखबरी आई है. यहां पर एक बहुत बड़ा एक्टिव ज्वालामुखी है. जिसका नाम वोल्फ (Wolf Volcano) है. इस ज्वालामुखी के नीचे चारों तरफ एक खास तरह की गुलाबी छिपकलियां पाईं जाती हैं. इन्हें पिंक इगुआना (Pink Iguana) कहते हैं. वैज्ञानिकों ने पहली बार इन छिपकलियों के अंडे और बच्चे देखे हैं. खुशी की बात इसलिए हैं क्योंकि इनकी प्रजाति खतरे में थी.
पिंक इगुआना की खोज कुछ दशक पहले ही हुई थी. लेकिन आजतक इसके अंडे या बच्चे देखने को नहीं मिले थे. क्योंकि ये सिर्फ और सिर्फ वोल्फ ज्वालामुखी के आसपास ही पाए जाते हैं. गैलापैगोस नेशनल पार्क के डायरेक्टर डैनी रुएडा ने कहा कि हमें जब अंडों और बच्चों के दिखने की खबर मिली तो राहत की सांस ली. हम इन जीवों को बचाने के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, वो सभी उठाएंगे. क्योंकि ये जीव बेहद दुर्लभ हैं.
पिंक इगुआना की लंबाई करीब 19 इंच तक होती है. इन्हें सबसे पहले 1986 में देखा गया था. इन्हें नेशनल पार्क के रेंजर्स ने ही खोजा था. वैज्ञानिकों को कई दशक लग गए यह पता करने में कि ये इगुआना की अलग प्रजाति है. इस छिपकली की प्रजाति इसलिए खतरे में है क्योंकि इस द्वीप पर कई नए और बाहरी जीवों को लाया गया था. खासतौर से चूहों की प्रजाति. डैनी कहते हैं कि इतने खतरे में रहने के बावजूद अगर इगुआना के अंडे और बच्चे सर्वाइव कर रहे हैं, तो हम उन्हें बचाने का पूरा प्रयास करेंगे.
डैनी ने बताया कि सबसे ज्यादा खतरा घुसपैठिये जीवों से हैं. क्योंकि वो इस द्वीप पर आने के बाद यहां के प्राकृतिक चक्र को बिगाड़ देते हैं. गैलापैगास का इकोसिस्टम बहुत ज्यादा नाजुक है. गैलापैगोस द्वीप पर ही ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने इवोल्यूशन की थ्योरी (Theory of Evolution) दी थी.
Scientists have discovered hatchlings of the Galapagos pink land iguana, an endangered reptile native to a sole island on the Ecuadorean archipelago https://t.co/9BaF5V7evA pic.twitter.com/RO2trkbhv7
— Reuters Science News (@ReutersScience) December 21, 2022
यहां पर इतनी अलग-अलग प्रजातियों के जीव-जंतु रहते हैं, जो दुनिया में कहीं और नहीं दिखते. जिनमें विशालकाय कछुए, फ्लाइटलेस कॉर्मोरेंट्स, छिपकलियों के कई प्रजातियां, जिसमें पिंक इगुआना भी शामिल है. नेशनल पार्क के कर्मचारियों के लिए लगातार वोल्फ ज्वालामुखी की निगरानी नहीं कर पाते. क्योंकि ये बेहद सुदूर इलाके में स्थित है. हालांकि यहां पर एक रिसर्च एंड मॉनिटरिंग स्टेशन बना हुआ है.