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ग्लोबल स्टडीः तेजी से बढ़ रही हैं 'अचानक सूखे' की घटना, भारत भी अछूता नहीं

पूरी दुनिया में Flash Drought यानी 'अचानक सूखा' आने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. वैश्विक स्तर पर की गई एक स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया है. इस आपदा से अपना भारत भी अछूता नहीं है.

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Flash drought: ये आपदाएं इतनी ज्यादा तेजी से होती हैं कि फसलें खराब हो जाती हैं.
Flash drought: ये आपदाएं इतनी ज्यादा तेजी से होती हैं कि फसलें खराब हो जाती हैं.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 5 दिन से 30 दिन में बंजर हो जाती है जमीन
  • सूख जाती हैं फसलें, करोड़ों का नुकसान

आपने अक्सर खबरें पढ़ी होंगी कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, चीन या जर्मनी में अचानक बाढ़ (Flash Flood) आ गई. ठीक इसी तरह अचानक सूखा (Flash Drought) की भी घटनाएं होने लगी हैं. ये अप्रत्याशित आपदाएं लगातार बढ़ रही हैं. अचानक सूखा आने पर कहीं की भी जमीन कुछ दिनों या हफ्तों में ही सूख जाती है. ये आपदाएं इतनी ज्यादा तेजी से होती हैं कि फसलें खराब हो जाती हैं. जंगल नष्ट हो जाते हैं. काफी ज्यादा आर्थिक नुकसान होता है. 

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ऑस्टिन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, द हॉन्गकॉन्ग पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी और टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पिछले दो दशकों में आए अचानक सूखे (Flash Drought) की घटनाओं का विश्लेषण किया. पता चला कि इनके आने की संख्या में स्थिर हुई है. लेकिन ज्यादातर घटनाएं बेहद तेजी से हुई थीं. भविष्य में ये अपनी तीव्रता को बरकरार रख सकती हैं. 

Nature Communications जर्नल में पूरे विश्व के नक्शे में दिखाई गई है फ्लैश ड्रॉट की स्थिति. (फोटोः नेचर कम्यूनिकेशन)
Nature Communications जर्नल में पूरे विश्व के नक्शे में दिखाई गई है फ्लैश ड्रॉट की स्थिति. (फोटोः नेचर कम्यूनिकेशन)

3 से 19% फ्लैश ड्रॉट पांच दिन में होते हैं

पांच दिन के अंदर आने वाले अचानक सूखे (Flash Drought) की घटनाओं में 3 से 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.  दक्षिण एशिया, दक्षिणपूर्व एशिया और उत्तरी अमेरिका में तो इनकी तीव्रता 22 से 59 फीसदी ज्यादा बढ़ी है. यानी ये इलाके फ्लैश ड्रॉट की घटनाओं का सामना किसी भी समय कर सकते हैं.  

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यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के जैक्सन स्कूल के प्रोफेसर जॉन्ग लियांग यांग ने कहा कि हमारी स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि बढ़ती वैश्विक गर्मी यानी ग्लोबल वॉर्मिंग (Global Warming) की वजह से इस तरह की घटनाओं में इजाफा हुआ है. हर साल हम वैश्विक गर्मी को बढ़ते हुए देख रहे हैं. पिछले साल कैलिफोर्निया की आग को ही देख लीजिए. गर्मी से गांव जल गया था. 

विज्ञान के लिए नया है अचानक सूखा

यह स्टडी Nature Communications जर्नल में प्रकाशित हुई है. प्रो. जॉन्ग लियांग के साथ डॉक्टोरल स्टूडेंट यामिन क्विंग और प्रो. शुओ वांग भी स्टडी में शामिल हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार अचानक सूखा (Flash Drought) की घटनाएं विज्ञान के लिए एकदम नई हैं. इसकी स्टडी के लिए दुनियाभर के मौसम संबंधी रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स पिछले दो दशकों से काम कर रहे हैं. 

अचानक सूखा (Flash Drought) ज्यादा समय तक नहीं रहता लेकिन कम समय में ही भारी तबाही मचा देता है. मध्य अमेरिका में साल 2012 में आए फ्लैश ड्रॉट ने मक्के की फसल को अचानक बर्बाद कर दिया था. जिसकी वजह से 35.7 बिलियन डॉलर्स यानी 2.71 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. 

मौसमी बदलाव और ग्लोबल वॉर्मिंग मुख्य वजह

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वैज्ञानिकों ने स्टडी में पाया कि 34 से 46 फीसदी अचानक सूखा (Flash Drought) की घटनाएं पांच दिन या उससे कम समय में होती हैं. 70 फीसदी घटनाएं एक महीने या उससे कम समय में होती हैं. यानी इतने ही समय में आपकी जमीन या फसल सूख कर खराब हो सकती हैं. ऐसा ह्यूमिडिटी में आने वाले मौसमी बदलाव की वजह से होता है. 

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