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Space Sector में 100% FDI मंजूर, अब भारत से छूटेंगे ज्यादा सैटेलाइट... बढ़ेगा रोजगार

PM Narendra Modi की कैबिनेट ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में FDI के नए नियम बना दिए हैं. तीन अलग-अलग हिस्सों में बंटे स्पेस सेक्टर में 49, 74 और 100 फीसदी FDI का प्रावधान है. आइए जानते हैं कि स्पेस के किस सेक्टर में कितना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा.

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ISRO के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होगात GSLV-MK 3 रॉकेट. (फोटोः AFP)
ISRO के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होगात GSLV-MK 3 रॉकेट. (फोटोः AFP)

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र (Space Sector) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. स्पेस सेक्टर को तीन हिस्सों में बांटकर उनमें FDI का अलग-अलग हिस्सा तय किया गया है. सबसे पहले इन तीन सेक्टरों के बारे में जानते हैं... 

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संशोधित FDI नीति के तहत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति है. संशोधित नीति के अंतर्गत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है. संशोधित नीति के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों के लिए बताया गया रूट इस प्रकार हैं:

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FDI in Indian Space Sector

-  49 फीसदी तक FDI... लॉन्च व्हीकल यानी रॉकेट, उससे संबंधित सिस्टम या सब-सिस्टम, स्पेसपोर्ट का निर्माण ताकि स्पेस्क्राफ्ट की लॉन्चिंग और रिसीविंग हो सके. इसके ऊपर FDI आएगा तो वह सरकारी रूट के तहत आएगा. 
- 74 फीसदी तक FDI... सैटेलाइट निर्माण और संचालन, सैटेलाइट डेटा प्रोडक्ट, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट. इससे ज्यादा FDI हुआ तो सरकारी रूट के तहत आएगा. 
- 100 फीसदी तक FDI... सैटेलाइट, ग्राउंड सेगमेंट और यूजर सेगमेंट के कंपोनेंट और सिस्टम और सब-सिस्टम का निर्माण. 

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भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 (Indian Space Policy 2023) के बदले हुए नियमों के तहत स्पेस सेक्टर में देश की ताकत का पता लगाने के लिए व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में बनाया गया था. इस नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना और अंतरिक्ष में सफल व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना. साथ ही अंतरिक्ष का उपयोग प्रौद्योगिकी विकास के रूप में करना और संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना. इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और बेहतर स्पेस इकोसिस्टम तैयार करना है. 

FDI in Indian Space Sector

नई एफडीआई नीति हुई और उदार

वर्तमान FDI नीति के अनुसार, सैटेलाइट्स की स्थापना और संचालन केवल सरकारी अनुमति के जरिए ही FDI की अनुमति है. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के अंतर्गत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत FDI सीमाएं निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में नीति को आसान बना दिया है.

IN-SPACe, ISRO, NSIL के हितों का ध्यान

अंतरिक्ष विभाग ने इन-स्पेस, इसरो और एनएसआईएल जैसे आंतरिक हितधारकों के साथ-साथ कई औद्योगिक हितधारकों से बातचीत की. एनजीई ने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के क्षेत्र में क्षमताएं और विशेषज्ञता विकसित की है. निवेश बढ़ने से वे उत्पादों की विशेषज्ञता, सैटेलाइट संचालन के वैश्विक पैमाने और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई हिस्सेदारी हासिल करने में सक्षम होंगे. 

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FDI in Indian Space Sector

सैटेलाइट, रॉकेट्स और सब-सिस्टम होंगे विकसित

प्रस्तावित नीति के जरिए उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और संबंधित प्रणालियों या उप-प्रणालियों में FDI के लिए स्पष्टता प्रदान की गई है. अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित घटकों और प्रणालियों के निर्माण द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई नीति प्रावधानों को उदार बनाने का प्रयास है. 

प्राइवेट सेक्टर जुड़ने से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

निजी क्षेत्र की इस बढ़ी हुई सहभागिता से रोजगार बढ़ेगा. आधुनिक प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी. इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने की संभावना है. इससे कंपनियां सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत'पहल को प्रोत्साहित करेंगी.

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