scorecardresearch
 

इंसानों के ज्यादा बीमार पड़ने की वजह है मेंढकों का खत्म होना, डराने वाली स्टडी

पृथ्वी से मेंढक खत्म हो रहे हैं. इसका भयानक नुकसान इंसान भुगत रहे हैं. इंसानों के ज्यादा बीमार पड़ने की वजह है मेंढकों का खत्म होना. इन उभयचरी जीवों का हम लोगों से गहरा संबंध है. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है इंसानों को अगर स्वस्थ रहना है तो मेंढकों का होना जरूरी है.

Advertisement
X
धरती पर मेंढकों का रहना जरूरी है. अगर ये खत्म हुए तो इंसानों का ज्यादा बीमार होना तय है. (फोटोः गेटी)
धरती पर मेंढकों का रहना जरूरी है. अगर ये खत्म हुए तो इंसानों का ज्यादा बीमार होना तय है. (फोटोः गेटी)

साल 2020 की सबसे बड़ी घटना. कोरोना महामारी का फैलना. तब दुनिया को पता चला कि इंसानों की सेहत जानवरों से सीधे तौर पर जुड़ी है. लेकिन पूरा ध्यान दिया गया पक्षियों और स्तनधारी जीवों पर. लेकिन किसी ने उभयचरी (Amphibians) जीवों पर ध्यान नहीं दिया. जबकि ये इंसानों की सेहत में बड़ा महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि इंसानों को सही सेहत में रखने के लिए मेंढकों का रहना बहुत जरूरी है. जिस हिसाब से ये खत्म हो रहे हैं, या इनकी प्रजातियां खत्म हो रही है. ये इंसानों के लिए खतरनाक है. 

Advertisement
इंसानों के स्वस्थ रहने के लिए मेंढकों का होना जरूरी है. इसलिए इन प्राणियों को बीमारियों से बचाना भी जरूरी है. (फोटोः गेटी)
इंसानों के स्वस्थ रहने के लिए मेंढकों का होना जरूरी है. इसलिए इन प्राणियों को बीमारियों से बचाना भी जरूरी है. (फोटोः गेटी)

1980 के दशक में कोस्टा रिका और पनामा में वैज्ञानिकों ने देखा कि मेंढकों समेत कई अन्य उभयचरी जीवों की संख्या में कमी आ रही है. खासतौर से मेंढक और सैलामैंडर. ये एक खास तरह की बीमारी से मारे जा रहे थे. ये बीमारी एक वायरल फंगल पैथोजेन (Batrachochytrium dendrobatidis) की वजह से हो रही थी. और ये जीव इतनी तेजी से खत्म हो रहे थे कि वैज्ञानिकों को ढंग से स्टडी करने का मौका तक नहीं मिल रहा था. 

इस बीमारी से एशिया और दक्षिणी अमेरिका में उभयचरी जीवों की 501 प्रजातियां खत्म हो गईं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में सबसे ज्यादा विलुप्त होती हुई और होने की कगार पर इन जीवों की प्रजातियां हैं. इनकी वजह से दुनिया भर में फंगस तेजी से फैल रहा है. साथ ही मच्छर और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां भी. 

Advertisement
मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए मेंढक और सैलामैंडर जैसे उभयचरी जीव बड़ा योगदान करते हैं. (फोटोः गेटी)
मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए मेंढक और सैलामैंडर जैसे उभयचरी जीव बड़ा योगदान करते हैं. (फोटोः गेटी)

मेंढक और सैलामैंडर्स मच्छरों की आबादी को खत्म करने में मदद करते हैं. ये उनके लार्वा को खाते हैं. मच्छर मेंढकों और सैलामैंडर्स का मुख्य भोजन होते हैं. अगर ये जीव किसी बीमारी से खत्म हो जाएंगे तो मच्छरों को कौन रोकेगा. मच्छर नहीं रुकेंगे तो मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से इंसानों की दिक्कतें बढ़ती रहेंगी. इस स्टडी को दो साल पहले प्रेजेंट किया गया था. लेकिन अब इसका पीयर रिव्यू हुआ है. स्टडी एनवायरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुई है. 

वायरल फंगल पैथोजेन से मलेरिया को रोकने वाले मेंढकों और सैलामैंडर्स जैसे एंफिबियंस जीवों की मौत हो रही थी. 1980 और 1990 में कोस्टा रिका में. फिर 2000 के शुरुआत में पनामा में. फंगस बढ़ते जा रहे थे. अगर 1976 से 2016 तक का चार्ट देखे तो स्पष्ट तौर पर यह दिखाई देता है कि जब भी मेंढकों की संख्या में कमी आई है. इंसानों के बीमार होने का ग्राफ बढ़ा है. मलेरिया के केस प्रति 1000 लोगों पर एक संक्रमण से बढ़कर दो हो गया. आमतौर पर मलेरिया प्रति हजार व्यक्ति पर 1.1 से 1.5 लोगों को होता है. मध्य अमेरिका में इसकी वजह से मलेरिया के मामलों में 70 से 90 फीसदी इजाफा हुआ था. 

Advertisement

Snake Viral Video: खतरनाक सांप करना चाहता था मेंढक का शिकार, फिर..

Advertisement
Advertisement