पिछले 150 साल में दुनिया का तापमान जितनी तेजी से बढ़ा है, उतना हिमयुग के बाद से 24 हजार सालों में नहीं बढ़ा था. इस बात का खुलासा हाल ही में हुई एक स्टडी में किया गया है. यह स्टडी प्रसिद्ध साइंस जर्नल Nature में प्रकाशित हुई है. स्टडी में बताया गया है कि इंसानी गतिविधियों द्वारा हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल गर्मी तेजी से बढ़ रही है. पिछले 150 सालों में बढ़े उद्योगों की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग इतनी बढ़ी है, जितनी हिमयुग के बाद 24 हजार सालों में कभी नहीं बढ़ी थी.
इस स्टडी में यह भी बताया गया है कि दुनिया का तापमान पिछले 10 हजार साल में बढ़ना शुरु हुआ था. लेकिन ये प्राकृतिक तौर पर बढ़ रहा था. अपनी तय और सीमित गति के साथ. लेकिन पिछले 150 सालों में जितनी तेजी से तापमान बढ़ा है उसके पीछे इंसानों द्वारा पैदा किए गए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में जियोसाइंसेज के पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर मैथ्यू ओस्मान ने कहा कि इंसानों ने जो काम प्रकृति के साथ किया है, वह उसने खुद के साथ कभी नहीं किया. इसलिए पिछले 150 सालों में वैश्विक स्तर पर तापमान जितनी तेजी से बढ़ा है, उतना हिमयुग के बाद कभी देखने को नहीं मिला था. यह बेहद हैरान करने वाली चेतावनी है, जिसे दुनियाभर के देश और इंसान देख नहीं पा रहे हैं.
A #study found that global #climate has risen at a magnitude not seen since the last ice age over 24,000 years ago.https://t.co/o81NkWA6hQ
— The Jerusalem Post (@Jerusalem_Post) November 14, 2021
वैज्ञानिकों ने 24 हजार साल के तापमान का मॉडल बनाया. इसके लिए उन्होंने दो तरीके के डेटाशीट बनाए. पहला समुद्री सेडिमेंट से और दूसरा जलवायु के बदलाव का कंप्यूटर सिमुलेशन से. यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में जियोसाइंसेस की एसोसिएट प्रोफेसर जेसिका टायरनी ने कहा कि अगर आपको मौसम की भविष्यवाणी करनी है, तो आपको ऐसे मॉडल तैयार करने होते हैं, जो अभी की स्थिति को दर्शाते हों. इसके बाद आप उसमें वर्तमान फैक्टर्स के आधार पर तापमान को बढ़ता घटता देख सकते हैं. जैसे- प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैस आदि.
जेसिका बताती हैं कि जैसे ही फैक्टर्स को मॉडल के साथ मिलाकर एनालिसिस किया जाता है तब हमें पिछले और भविष्य के मौसम की जानकारी मिल जाती है. इससे नमी, तापमान, दबाव, हवा की दिशा आदि सब पता चल जाता है. जिस तरह से इंसान वैश्विक स्तर पर गर्मी को बढ़ा रहा है, वैसा कभी देखा नहीं गया है. इतनी तेजी से बदलते हुए इंसानों ने किसी और चीज को नहीं देखा.
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं में जलवायु को लेकर चल रही आपातकालीन स्थिति की चिंता है. वो हर साल दुनियाभर को इस बात की चेतावनी देते आए हैं. यूनाइटेड नेशंस क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस (COP26) में कई देशों के नेताओं ने वादा किया है कि वो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. साल 2050 से 2070 के बीच कई देशों ने अपना कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करने का फैसला किया है.