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दुनिया के आधे इंसानों के दिमाग में होता माइंड कंट्रोल करने वाला पैरासाइट, क्या होगा इसका इलाज?

एक पैरासाइट जिसे Mind control parasite कहा जाता है, उसके जो लक्षण चूहों में दिखते हैं, वे बेहद खतरनाक हैं. चूहों में यह पैरासाइट उनके दिमाग पर कब्जा कर लेता है और उन्हें खुद बिल्लियों के सामने ले जाता है, ताकि वे बिल्लियों का भोजन बन सकें. अब ज़रा सोचिए ये पैरासाइट इंसानों में क्या करता होगा.

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चूहों में यह पैरासाइट काफी घातक होता है (Photo: Getty)
चूहों में यह पैरासाइट काफी घातक होता है (Photo: Getty)

पैरासाइट टोक्सोप्लाज्मा गोंडी (Toxoplasma gondii) वो पैरासाइट है जो दुनिया के आधे मनुष्यों में छिपा होता है. हालांकि, इसके लक्षण शायद ही कभी दिखते हों. लेकिन अगर यह पैरासाइट चूहों को संक्रमित करता है, तो यह उनके माइंड पर कंट्रोल करके उनके व्यवहार को बदल सकता है और खुद को फैला सकता है. 

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अब, शोधकर्ता दावा कर रहे हैं कि वो मनुष्यों में टी. गोंडी संक्रमण का इलाज करने के करीब हैं. यह पैरासाइट अपनी निष्क्रिय और रक्षात्मक स्थिति में होने की वजह से आजीवन इंसान के शरीर में रह सकता है. अक्सर इस पैरासाइट को 'माइंड-कंट्रोल पैरासाइट' (Mind control parasite) कहा जाता है. चूहों में टी. गोंडी चूहों के दिमाग पर कब्जा कर लेता है और उन्हें खुद बिल्लियों के सामने ले जाता है, ताकि वे बिल्लियों का भोजन बन सकें. 

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वैज्ञानिक अभी भी यह नहीं जानते कि ये पैरासाइट इसी तरह इंसानों के दिमाग पर भी कब्ज़ा कर सकता है या नहीं. कुछ शोध बताते हैं कि इससे आक्रामकता, इंपल्सिव बिहेवियर और सिज़ोफ्रेनिया जैसी चीज़ें हो सकती हैं, जबकि कई शोध इसका खंडन करते हैं. 

टी. गोंडी से अक्सर इंसानों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. लेकिन इसके संक्रमण से हल्के फ्लू जैसे लक्षण या कभी-कभी गंभीर बीमारी भी हो सकती है. इससे भ्रूण, नवजात शिशु, और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में गंभीर टोक्सोप्लाज़मोसिज़ होने का सबसे ज़्यादा खतरा होता है, जो आंखों और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कभी-कभी घातक भी हो सकते हैं.

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परजीवी अपनी 'टैकीज़ोइट' (Tachyzoite) फॉर्म में तेजी से फैलता है. लेकिन एक इम्यून अटैक जैसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में, टी. गोंडी मस्तिष्क और मांसपेशियों के टिश्यू में घुस जाता है और एक 'ब्रैडीज़ोइट' (Bradyzoite) में बदल जाता है, वहां वह एक सिस्ट की तरह रहता है और अपने एक्टिव होने का इंतज़ार करता है. इम्यून सेल्स और आजकल के इलाज टैकीजाइट्स को तो दूर कर सकते हैं, लेकिन सिस्ट ब्रैडीजोइट्स को नहीं. 

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पैरासाइटोलॉजिस्ट सेबस्टियन लौरिडो (Sebastian Lourido) और उनके साथियों ने पहले एक प्रोटीन की खोज की थी, जो टैकीज़ोइट्स को ब्रैडीज़ाइट्स में बदलने के लिए ज़रूरी जीन को "ऑन" कर देता है. उन्होंने इसे ब्रैडीज़ोइट-फॉर्मेशन डिफिसिएंट नाम दिया (BFD1). नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित नए शोध के मुताबिक, टीम ने एक और ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर की खोज की जो BFD1 को कंट्रोल करता है, जिसे उन्होंने BFD2 नाम दिया. शोधकर्ताओं ने कई प्रयोग किए, जिसके बाद उन्होंने माना कि BFD1 और BFD2 एक दूसरे को कंट्रोल करते हैं. 

 

पैरासाइटोलॉजिस्ट और अध्ययन के मुख्य लेखक, एम. हेली लिकॉन (M. Haley Licon) का कहना है कि दूसरे की गतिविधि को कायम रखते हुए, दो ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर इस विकास प्रक्रिया में सेल को लॉक करके, टैकीज़ोइट्स को ब्रैडीज़ोइट्स में मॉर्फ कर सकते हैं. भविष्य के शोधों से यह पता चल सकता है कि कौन से कारक इस सेल्फ परपिटुएटिंग लूप को "ऑफ़" करते हैं. तनावपूर्ण स्थितियां खत्म होने पर ब्रैडीज़ाइट्स को टैकीज़ोइट्स में वापस बदल सकते हैं. 

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सेबस्टियन लौरिडो का कहना है कि टोक्सोप्लाज्मा के खिलाफ मौजूदा इलाज संक्रमण का इलाज नहीं कर सकते, क्योंकि क्रोनिक स्टेज प्रतिरोधी हैं. हालांकि इसपर वैज्ञानिक अब भी बहस कर रहे हैं.

 

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