चींटियां भले ही छोटी होती हैं, लेकिन इनका संसार बेहद अनोखा है. चींटियों के बारे में जितना जानो, उतना कम लगता है. आज हम बात कर रहे हैं ऐसी चींटियों की जो अंगूर जैसी बन जाती हैं. इनका पेट इनके आकार से कई गुना ज्यादा बड़ा हो जाता है, यूं लगता है जैसे चींटी कोई मटका या पॉट लेकर चल रही हो.
जी हां, इन चीटिंयों को हनीपॉट चींटियां (Honeypot ants) कहते हैं. और जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, इन पॉट्स में शहद भरा होता है. मधुमक्खियां अपने छत्ते में शहद इकट्ठा करती हैं और ये चीटिंयां अपने पेट में. और इसीलिए इस शहद को पाने वालों की निगाहें हनीपॉट चींटियों को ढूंढती रहती हैं. इंसान भी इन चींटिंयों का शहद खाते हैं. ऑस्ट्रेलिया के लोग हजारों सालों से इन चीटियों को खोज रहे हैं और इन्हें खा रहे हैं. यकीन न हो तो ये वीडियो देख लीजिए. 1990 में डेविड एटनबरो (David Attenborough) ने Trials Of Life नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, जिसमें उन्हें इन चींटियों को खाता देखा जा सकता है.
अब आपको बता दें कि ये चीटियां इस तरह शहद क्यों इकट्ठा करती हैं. दरअसल, ये चींटियां बुरे समय के लिए अपने पेट में खान इकट्ठा करती हैं. जिस समय चींटियों के पास खाना नहीं होता या पोषण की कमी होती है, तब ये पॉट इनके और इनकी पूरी कॉलोनी के लिए बहुत काम के साबित होते हैं. ये सबके साथ इस शहद को शेयर करती हैं.
एक कॉलोनी की 1/5 चीटियां इन पॉट्स में इतना शहद इकट्ठा कर लेती हैं, जो इनकी पूरी कॉलोनी के लिए पर्याप्त होता है. जो चींटियां शहद इकट्ठा करती हैं उन्हें रेप्लीट (Repletes) कहते हैं. जब किसी चीटी को खाना चाहिए होता है, तो ये चींटियां छत से चिपक जाती हैं और बूंद-बूंद करके (Drip feed) शहद लेती हैं.
चींटी कॉलोनियां जटिल होती हैं, इनमें हर चींटी की एक अलग भूमिका होती है. हनीपॉट चींटियां अपनी कॉलोनी में यही रोल निभाती हैं. चीटियों की इस प्रजाति को कैम्पोनोटस इन्फ्लैटस (Camponotus inflatus) कहते हैं, जो पश्चिमी अमेरिका और मैक्सिको के शुष्क इलाकों में पाई जाती हैं.
युवा हनीपोट चींटियां असल में युवा चीटियों को पालने में मदद करती हैं, ये कॉलोनी को साफ रखती हैं और खाना उपलब्ध कराती हैं. रेप्लीट्स रेगिस्तान में उगने वाले पौधों से नेक्टर इकट्ठा करती हैं. इनके शहद में प्रोटीन और फैट होता है.
जैसे जैसे ये शहद इकट्ठा करती हैं, इनका आकार बदलता जाता है. एक समय ऐसा आता है कि जब इनका पेट पूरा भर जाता है और शहद जाने के लिए जगह नहीं बचती. यानी तब ये पॉट पूरी तरह भर जाता है और फसल की तरह तैयार होकर गुब्बारे जैसा बन जाता है. इनके सूजे हुए पेट पर जो गहरे रंग के धब्बे हैं, वे प्लेटें हैं जो इन चीटियों के शरीर की रक्षा करती हैं. बाकी हिस्सा झिल्लीनुमा होता है जिनमें चींटियां इतना रस भर सकती हैं कि वह फूलकर अंगूर जितना बड़ा हो जाए.