भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिल्ली-एनसीआर के लिए यलो अलर्ट जारी किया है. गुरुवार सुबह इस इलाके के लोग जब सोकर उठे तो बारिश हो रही थी. अगले दो दिनों तक और बारिश, तेज हवाओं की भी भविष्यवाणी की गई है. ऐसा नहीं है कि ये हालत सिर्फ दिल्ली-एनसीआर का है. कई और राज्यों में 11 से 14 सितंबर के बीच तेज से बहुत तेज बारिश हो सकती है. ये राज्य हैं हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरी मध्यप्रदेश का हिस्सा.
इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, चंडीगढ़, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब के कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है. जिस समय मॉनसून चला जाता है, उस समय ये और बारिश क्यों करा रहा है. कायदे से 15 सितंबर तक मॉनसून वापस जाने के रास्ते पर रहता है. लेकिन इस बार ये जाने का नाम ही नहीं ले रहा है. अक्तूबर के पहले हफ्ते के अंत तक जाने का प्लान बनाया है इसने.
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कैसे यागी तूफान आया अपने देश में... नीचे देखिए ये वीडियो
क्या मामला है तूफान यागी और बंगाल की खाड़ी का?
असल में इस समय उत्तर-पश्चिम मध्यप्रदेश के ऊपर एक डिप्रेशन बना हुआ है. इससे सटा हुआ है दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश का हिस्सा. पहले यह डिप्रेशन यहां नहीं था. यह बंगाल की खाड़ी में बना था. इस डिप्रेशन के बनने से वियतनाम की तरफ मौजूद तूफान यागी को सपोर्ट मिला. खिंचाव बना. यागी इसकी तरफ खिंचता चला आया.
Behold the beauty of the tropical cyclone in this depression, which mimics the cyclone's structure. Thanks to low vertical wind shear, it has developed well. As it enters the westerlies' wind shear, the maximum rainfall will shift to its northern or northeast sector in 2 days. pic.twitter.com/kkV8aJ1ZpQ
— All India Weather (AIW) (@pkusrain) September 12, 2024
अब वह इस डिप्रेशन से मिल चुका है. यह डिप्रेशन 8 km/hr की स्पीड से उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर जा रहा है. इसका असर ग्वालियर, आगरा, झांसी और अलीगढ़ में ज्यादा देखने को मिल रहा है. अगले 24 घंटे में यह धीरे-धीरे उत्तर-उत्तर-पूर्व की तरफ बढ़ेगा. इस मौसम पर दिल्ली और लखनऊ के डॉपलर राडार नजर रख रहे हैं.
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इस पर मुसीबत ये कि मॉनसून का ट्रफ (Trough) अभी बना हुआ है. यह अगले 3-4 दिनों तक रहेगा. इसकी वजह से दक्षिणी गुजरात के ऊपर साइक्लोनिक सर्कुलेशन हो रहा है. तो कुल मिलाकर अगले 2-3 दिनों तक जिन राज्यों की बात की जा रही है, वहां के कुछ इलाकों में ऐसी बारिश के आसार बने रहेंगे.
क्या ऐसे तूफान और आएंगे...
यह वैश्विक तौर पर ट्रॉपिकल इंट्रासीजनल सर्कुलेशन वाला मौसम है. यानी इस समय पश्चिमी प्रशांत महासागर के ऊपर कई मॉनसूनी घेरे बने हुए हैं. यानी रोज नया डिप्रेशन सिस्टम बन रहा है. ज्यादातर फिलिपींस के बाहर की तरफ. इन्हें मॉनसूनी गायर कहते हैं. इनकी वजह से ट्रॉपिकल साइक्लोन या तूफान अगले एक हफ्ते में बन सकते हैं. इनकी वजह से भारत का मॉनसून थोड़ा लंबा टिक सकता है. वह वापस नहीं जा पाएगा.
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ऐसा मौसम जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है
1973 से 2023 तक होने वाली सभी चरम आपदाओं की स्टडी इस नई रिपोर्ट में की गई है. हैरानी इस बात की है दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान की बाढ़ हो. वायनाड में भूस्खलन हो. या फिर इस बार पड़ी चमड़ी गलाने वाली गर्मी हो. वैज्ञानिक और एक्सपर्ट इनके होने का अंदाजा नहीं लगा सकते. क्योंकि इनकी तीव्रता, मात्रा अचानक बढ़ जाती है. असम का 90 फीसदी जिले, बिहार 87 फीसदी जिले, ओडिशा के 75 फीसदी जिले और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के 93 फीसदी जिले चरम बाढ़ (Extreme Floods) की स्थिति से कभी भी परेशान हो सकते हैं.
The Indian LPS and Cyclone Yagi's remnants are currently 1,636 km apart. The Indian LPS successfully evaded merging with Cyclone Yagi. While it will ultimately collide with the Himalayas and dissipate, a merger could have extended its lifespan. Wishing it the best nonetheless. pic.twitter.com/lD4yiiTHSV
— All India Weather (AIW) (@pkusrain) September 11, 2024
ये स्टडी करने वाले प्रमुख वैज्ञानिक अबिनाश मोहंती ने बताया कि अब गर्मी जमीन से बहकर समंदर की ओर जा रही है. जैसा अभी गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हुआ. इससे समंदर की गर्मी और बढ़ रही है. इसका असर मौसम पर पड़ता है. जैसे दक्षिण भारत में श्रीकाकुलम, कटक, गुंटूर और बिहार का पश्चिम चंपारण जो पहले बाढ़ के लिए जाना जाता था, अब वहां सूखा पड़ रहा है. ये खासतौर से मैदानी इलाकों में ज्यादा हो रहा है.
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मौसम बदल रहा है, साफ दिख रहा है... कुछ संकेत भी
मौसम के बदलने का असर साफ दिख रहा है. वायनाड में भूस्खलन. तेज बारिश के बाद गुजरात में बाढ़. उत्तराखंड के ओम पर्वत से बर्फ गायब. अचानक से मौसम बदलता है और शहरों में पानी ही पानी जमा हो जाता है. अब इस बार के मॉनसून को देख लीजिए. जून में कमजोर था. लेकिन उसके बाद सितंबर में इसकी तीव्रता और मात्रा दोनों ही बढ़ गई है. हैरानी इस बात की है कि मॉनसून में मौसम थोड़ा ठंडा होता था. लेकिन इस बार गर्मी कम नहीं हो रही है. पूर्वी राज्यों में सूखे और गर्म दिनों की संख्या बढ़ रही है.
As the enhanced convective phase of the global tropical intraseasonal circulation is building over the western Pacific basin, the large scale Monsoon gyre is seen developing offshore Philippines. This large scale gyre would provide favorable conditions for synoptic scale systems… pic.twitter.com/cVf82ZBXmy
— Gokul Tamilselvam (@Gokul46978057) September 11, 2024
मौसम विभाग के पूर्व वैज्ञानिक आनंद शर्मा कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान सबसे बड़ी वजह है, इस तरह के मौसमी बदलाव के लिए. इसलिए जरूरी है कि किसी भी तरह से इसे रोका जाए. नहीं तो एक्स्ट्रीम वेदर इवेंट्स किसी भी जगह और कभी भी हो सकते हैं. ये बेहद भयावह भी हो सकते हैं.