scorecardresearch
 

Storm Forecast: पांच साल में आए 22 तूफान, एक भी मिस नहीं हुआ... कौन देता है इनके आने की सूचना?

2014 के बाद से देश में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि कोई तूफान आए और उसकी जानकारी पहले न मिल जाए. ये सिर्फ डॉपलर वेदर राडार (Doppler Weather Radar - DWR) की वजह से हुआ है. फिलहाल देश में ऐसे 39 राडार हैं. जो देश में आने वाली आसमानी प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी देते हैं. जानिए इनका फायदा और लोकेशन...

Advertisement
X
ये गोल गुंबद जैसा ढांचा ही डॉपलर वेदर राडार कहलाता है. (सभी फोटोः गेटी)
ये गोल गुंबद जैसा ढांचा ही डॉपलर वेदर राडार कहलाता है. (सभी फोटोः गेटी)

पिछले पांच साल में यानी 2018 से 2023 तक कुल मिलाकर करीब 22 तूफान आए. समंदर से उठकर धरती पर आफत गिराने वाले चक्रवाती तूफान (Cyclone). हर तूफान के आने की पहले ही खबर मिली. हफ्ता भर पहले से मौसम विभाग के वैज्ञानिक इसकी सूचना पूरे देश को दे देते हैं. संबंधित राज्यों को अलर्ट पर रहने को बोल देते हैं. सारी जरूरी व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाती हैं. ताकि किसी तरह के जानमाल का नुकसान न हो. 

Advertisement

इन सभी तूफानों के आने की सूचना देश को डॉपलर वेदर राडार (Doppler Weather Radar - DWR) से मिलती है. भारत के मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD के पास इस समय कुल मिलाकर 39 डॉपलर राडार मौजूद है. इन राडारों की वजह से पिछले दस साल में यानी 2014 से लेकर अब तक तूफानों के आने की सूचना की सटीकता 91% हो गई है.

Thunderstorm

साल 2014 में तूफानों के आने की सूचना की सटीकता 61 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 91 फीसदी हो चुकी है. यानी तटीय इलाकों पर लगे राडारों ने कभी भी किसी भी तूफान को बिना परिचय लिए जाने नहीं दिया है. इन राडारों की रेंज से कोई भी तूफान बच नहीं पाता. इसके अलावा ये राडार पहाड़ों पर भी लगे हैं. ताकि वहां बिगड़ने वाले मौसम की सटीक जानकारी मिल सके. 

Advertisement

किसी भी तरह के मौसमी बदलाव की जानकारी पहले

DWR से मिलने वाले डेटा को स्टेट-ऑफ-द-आर्ट रीजनल और ग्लोबल डायनेमिकल मॉडल्स के हिसाब से बदलने वाले मौसम और आने वाले तूफानों की जानकारी मिलती है. इसके अलावा इन राडारों की मदद से स्थानीय स्तर के मौसमी बदलाव, चक्रवाती तूफान, बारिश, थंडरस्टॉर्म की जानकारी सटीकता के साथ मिलती है. 

Doppler Weather Radar

6-12 घंटे पहले पता चल जाता है कि बारिश होगी या नहीं

ये राडार सिर्फ इन प्राकृतिक आपदाओं की सूचना ही नहीं देते बल्कि उनकी तीव्रता, भयावहता, रास्ते आदि की स्टडी भी करके बताते हैं. इस समय दो नए मॉडलों के जरिए इन तूफानों और मौसमी बदलावों की स्टडी की जा रही है. ये मॉडल हैं- हाई-रेजोल्यूशन रैपिड रिफ्रेश मॉडलिंग सिस्टम (IMG-HRRR) और इलेक्ट्रिक वेदर रिसर्च एंड फोरकास्टिंग (EWRF). इन मॉडल्स के जरिए राडार बारिश और थंडरस्टॉर्म के आने की सूचना 6 से 12 घंटे पहले दे देते हैं. 

Thunderstorm

जानिए कि ये राडार किस राज्य में कहां-कहां लगे हैं... 

आंध्र प्रदेश... मछलीपट्टनम, विशाखापट्टनम, हैदराबाद और श्रीहरिकोटा (ISRO). 
महाराष्ट्र... नागपुर, मुंबई, मुंबई वेरावली और सोलापुर. 
तमिलनाडु... कराईकल, चेन्नई NIOT और चेन्नई. 
जम्मू और कश्मीर... श्रीनगर, जम्मू और बनिहाल टॉप. 
उत्तराखंड... मुक्तेश्वर, सुरकंडा देवी और लैंसडाउन.
दिल्ली... पालम, मुख्यालय नई दिल्ली और आयानगर. 
हिमाचल प्रदेश... कुफरी, जोट और मुरारी देवी.
केरल... कोच्चि और VSSC (ISRO) तिरुवनंतपुरम. 
ओडिशा... पारादीप और गोपालपुर. 
लद्दाख... लेह. 
मेघालय... चेरापुंजी (ISRO). 
राजस्थान.. जयपुर. 
गुजरात... भुज. 
मध्यप्रदेश... भोपाल. 
असम... मोहनबाड़ी. 
पंजाब... पटियाला. 
यूपी... लखनऊ. 
बिहार... पटना. 
त्रिपुरा... अगरतला. 
प. बंगाल... कोलकाता. 

Live TV

Advertisement
Advertisement