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अगर स्टारलाइनर ही सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस लाए तो कैसे लाएगा...क्या है NASA का प्लान?

सुनीता विलियम्स को स्पेस स्टेशन पहुंचाने वाला बोईंग कैप्सूल Starliner अब भी वहीं है. अगर स्टारलाइनर इन दोनों को लेकर वापस आता है, तो कैसे लाएगा? नासा ने कहा ये इमरजेंसी एस्केप पॉड की तरह काम करेगा. क्या नासा ने पहले भी इस तरह से इमरजेंसी रेस्क्यू प्लान बनाया है? जानिए सुनीता और बैरी को धरती पर लाने का नासा का प्लान...

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बाएं से दाएं... भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स. स्पेस स्टेशन से जुड़ा हुआ बोईंग का स्टारलाइनर कैप्सूल (लाल घेरे में). (सभी फोटोः रॉयटर्स/एपी/मैक्सार
बाएं से दाएं... भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स. स्पेस स्टेशन से जुड़ा हुआ बोईंग का स्टारलाइनर कैप्सूल (लाल घेरे में). (सभी फोटोः रॉयटर्स/एपी/मैक्सार

एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स को स्पेस स्टेशन तक पहुंचाने वाला कैप्सूल अब भी वहीं डॉक्ड है. यानी स्पेस स्टेशन से जुड़ा है. बोईंग के कैप्सूल स्टारलाइनर को 13 जून को सुनीता और उनके साथी अंतरिक्षयात्री बैरी बुच विलमोर को लेकर धरती पर आना था. लेकिन तकनीकी गड़बड़ी की वजह से नहीं आ पाए. 

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अगर इसी कैप्सूल से इन दोनों को नीचे आना हो तो कैसे आएंगे? फिलहाल NASA ने इन दोनों अंतरिक्षयात्रियों को नीचे लाने की तय तारीख या तरीका नहीं बताया है. क्योंकि 5 जून को लिफ्टऑफ के बाद कैप्सूल में पांच जगहों पर हीलियम लीक था. पांच मैन्यूवरिंग थ्रस्टर्स बंद हो गए थे. यानी प्रोपल्शन वॉल्व फेल हो गया था. वह पूरी तरह से बंद नहीं हो रहा था. रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम खराब हो चुका था. 

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इन तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से दोनों को अंतरिक्ष में तय समय से ज्यादा दिन बिताने पड़ रहे हैं. अब मिशन के बीच में ही इस स्पेसक्राफ्ट को सही करने का प्रयास किया जा रहा है. आइए जानते हैं कि नासा का क्या प्लान है? कैसे वो नासा के सीनियर मोस्ट एस्ट्रोनॉट्स को वापस जमीन पर लाएंगे? 

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Sunita Williams, NASA, Space Station, Boeing Starliner
ये है बोईंग के स्टारलाइनर कैप्सूल की स्पेस स्टेशन से जुड़ने से ठीक पहले की फोटो. 

फिलहाल स्पेस स्टेशन की स्थिति क्या है? 

नासा के कॉमर्शियल क्रू मैनेजर स्टीव स्टिच ने बताया कि स्टारलाइनर अधिकतम 45 दिनों तक स्पेस स्टेशन से जुड़ा रह सकता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थिति और बिगड़ती है. समय पर कैप्सूल की मरम्मत नहीं हो पाती है, तो कैप्सूल स्पेस स्टेशन पर 72 दिनों तक जुड़ा रह सकता है. इसे लेकर बैकअप प्लान बनाया जा रहा है. अभी वहां पर 9 एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं.  

8 दिन का मिशन, 30 दिन का हो गया

अभी जो माहौल है, उसके मुताबिक नासा स्टारलाइनर कैप्सूल में दोनों एस्ट्रोनॉट्स को 6 जुलाई 2024 को धरती पर लाएगी. यानी जो मिशन पहले 8 दिन के लिए तय था, अब वो एक महीने का हो जाएगा. यानी सुनीता और बैरी स्टारलाइनर की गड़बड़ी की वजह से 22 दिन ज्यादा रहेंगे अंतरिक्ष में. 

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स्टारलाइनर को धरती की तरफ फेंका जाएगा

स्टारलाइनर में एक्सपेंडेबल प्रोपल्शन सिस्टम है. यानी इस यान में सर्विस मॉड्यूल है. अगर इस कैप्सूल के जरिए दोनों अंतरिक्षयात्रियों को धरती पर लाना है, तो ये सर्विस मॉड्यूल ही स्टारलाइनर को स्पेस स्टेशन से अलग करेगा. फिर उसे एक खास पोजिशन पर लाकर सीधे धरती की ओर भेज देगा. कैप्सूल धरती के वायुमंडल को पार करके जमीन पर पैराशूट के जरिए गिरेगा. अभी नासा और बोईंग के इंजीनियर इस कैप्सूल को ठीक करने में लगे हैं. 

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स्पेस स्टेशन जाने से पहले मीडिया के सामने फोटो खिंचवातीं सुनीता विलियम्स. (फोटोः रॉयटर्स)

ह्यूस्टन में दोनों ही संस्थाओं के इंजीनियर सिमुलेशन रन कर रहे हैं. ताकि कैप्सूल को ठीक किया जा सके. सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया जा रहा है. साथ ही यह भी ऑप्शन देखा जा रहा है कि क्या स्पेस स्टेशन पर ही हॉर्डवेयर बदलने से समस्या हल हो सकती है या नहीं. जैसे ही नासा का ग्रीन सिग्नल मिलेगा, स्टारलाइनर के थ्रस्टर्स को ऑन किया जाएगा. ताकि ये कैप्सूल स्पेस स्टेशन से अलग हो सके. इसके बाद शुरू होगा धरती पर लौटने की छह घंटे लंबी खतरनाक यात्रा.  

अगर कुछ अनहोनी हुई तो क्या होगा? 

NASA ने स्पष्ट किया है कि स्टारलाइनर का प्रोपल्शन सिस्टम खराब होने के बावजूद यह कैप्सूल अंतरिक्षयात्रियों को धरती पर ला सकता है. अगर एकदम ही जरूरी हुआ तो ये कैप्सूल एस्केप पॉड (Escape Pod) की तरह कमा करेगा. लेकिन यह कदम इमरजेंसी में उठाया जाएगा. इसे उठाने से पहले स्टारलाइनर की सारी चीजें देखी जाएंगी. 

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अगर नासा को लगा कि स्टारलाइनर के सोलर पैनल खराब हो रहे हैं या उसकी कोई भी ऐसी चीज जो मिशन के तय समय में खराब हो रही है, तो तुरंत अंतरिक्षयात्रियों को उसमें बैठाकर धरती पर वापस भेजा जाएगा. ऐसी घटना सिर्फ स्टारलाइनर के साथ ही नहीं हुई है. 

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ये है SpaceX का ड्रैगन-2 क्रू कैप्सूल, जिसे इमरजेंसी में इस्तेमाल किया जाएगा. (फोटोः रॉयटर्स)

इससे पहले 2020 में SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल से पहली बार स्पेस स्टेशन गए एस्ट्रोनॉट्स को भी नासा ने रोका था. वह मिशन 62 दिन में पूरा हुआ था.  उस समय एस्ट्रोनॉट्स को इसलिए रोका गया था क्योंकि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर स्टाफ कम था. साथ ही स्पेस स्टेशन में कई जगहों पर मेंटेनेंस का काम चल रहा था. 

अगर स्टारलाइनर का इस्तेमाल नहीं हुआ... फिर क्या? 

अगर स्टारलाइनर का इस्तेमाल सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर को लाने में नहीं होता है, तब NASA की पहली पसंद है, SpaceX का ड्रैगन-2 (Dragon-2) कैप्सूल. इसी ने मार्च महीने में चार एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पहुंचाया था. इस कैप्सूल की खासियत ये है कि इमरजेंसी में इसमें और लोग भी फिट हो सकते हैं. हालांकि अगर ऐसी स्थिति बनती है तो बोईंग के लिए यह पूरी दुनिया में बदनामी वाला मौका होगा. लेकिन नासा और बोईंग के इंजीनियर्स ने दावा किया है कि ऐसी नौबत नहीं आएगी. 

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2022 में भी दूसरे कैप्सूल का प्लान बनाया गया था... 

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पिछली बार नासा ने विकल्प के तौर पर ड्रैगन कैप्सूल को 2022 में चुना था. तब रूस के सोयुज कैप्सूल में कूलेंट लीक हुआ था. इस कैप्सूल से दो रूसी कॉस्मोनॉट और अमेरिकी एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रुबियो को धरती पर वापस लौटना था. नासा ने क्रू ड्रैगन को विकल्प के तौर पर चुन लिया. लेकिन रूस ने रेस्क्यू क्राफ्ट लॉन्च किया. 

रूस ने एक खाली सोयुज कैप्सूल को रेस्क्यू क्राफ्ट के तौर पर स्पेस स्टेशन भेजा. जिसके जरिए दो रूसी कॉस्मोनॉट्स और फ्रैंक रुबियो वापस आए. लेकिन तब तक रुबियो का मिशन 6 महीने से बढ़कर एक साल से ज्यादा हो चुका था. ये किसी अमेरिकी एस्ट्रोनॉट का लगातार इतने दिन अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड था.

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