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इंसान के ब्रेन सेल्स को चूहों के दिमाग में किया ट्रांसप्लांट, अब मानसिक विकारों का मिलेगा इलाज

न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर को गहराई से समझने और कई मानसिक विकारों का इलाज खोजने के लिए वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है. इस शोध में जैसे-जैसे चूहे बड़े हुए, मानव न्यूरॉन्स ने चूहों के दिमाग में काम करना शुरू कर दिया और कई ब्रेन सर्किट बनाए. जिनसे वैज्ञानिक काफी आशान्वित हैं.

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इस नए शोध से कई मानसिक विकारों का इलाज मिल सकता है  (Photo: Getty)
इस नए शोध से कई मानसिक विकारों का इलाज मिल सकता है (Photo: Getty)

मानव मस्तिष्क (Human brain) को समझने और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए, वैज्ञानिक नए नए प्रयोग करते हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों ने मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं (Human brain cells) को चूहों के दिमाग में ट्रांसप्लांट किया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस प्रयोग से न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर को गहराई से  समझने में मदद मिलेगी.

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स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की टीम ने लैब में बने मानव न्यूरॉन्स (Neurons) और उनके जैसे सहायक सेल्स लिए और उन्हें नवजात चूहों के विकासशील दिमाग में ट्रांसप्लांट किया. जैसे-जैसे चूहे बड़े हुए, मानव न्यूरॉन्स ने चूहों के दिमाग में काम करना शुरू कर दिया और कई सर्किट बनाए. शोधकर्ताओं का कहना है कि इन सर्किट का इस्तेमाल न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के अध्ययन में किया जा सकता है. 

शोधकर्ताओं का कहना है कि अब हम मानव मस्तिष्क से टिशू निकाले बिना, स्वस्थ मस्तिष्क के विकास के साथ-साथ, मस्तिष्क विकारों का अध्ययन कर सकते हैं. उनका कहना है कि हम इस नए मंच के इस्तेमाल से न्यूरोसाइकिएट्रिक विकारों (Neuropsychiatric disorders) के लिए नई दवाएं और जीन थेरेपी को टेस्ट भी कर सकते हैं.

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इस इंप्लांट से चूहों के काम करके के तरीके में बदलाव नहीं हुआ. (Photo: Getty)

टीम ने 2015 में बताए गए एक तरीके का इस्तेमाल किया, जहां मानव त्वचा कोशिकाओं (Skin cells) को स्टेम कोशिकाओं (Stem cells) में बदल दिया जाता है और फिर दिमाग के अलग-अलग ऑर्गनॉइड्स (Organoids) में बांट दिया जाता है. ऐसा करने में, लैब में मस्तिष्क की खास जगह छोटे ऑर्गेनोइड रूप में बन सकती है, जबकि असल दिमाग में ये उतनी विकसित नहीं होती हैं, लेकिन एक मॉडल जानवर में ट्रांसप्लांट करने के लिए बिल्कुल सही है.

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नेचर ( Nature) जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, नवजात मस्तिष्क में जैसे-जैसे दिमाग विकसित होता है, ज्यादा बहतर तरीके से कनेक्शन बनाते हैं. दो या तीन दिन के चूहों के बच्चों में मानव मस्तिष्क कोशिकाओं के बंडल को ट्रांसप्लांट किया गया. चूहों की आंतरिक मशीनरी को मानव कोशिकाओं के साथ, रक्त और पोषक तत्वों की आपूर्ति के लिए आगे बढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगा.

इसमें इम्यून सेल्स और पनपने के लिए सभी जरूरी अवयव दिए गए, तब मानव न्यूरॉन्स करीब एक इंच तक बढ़े और चूहे के हैमिस्फीयर के लगभग एक तिहाई हिस्से में फैल गए. पेट्री डिश वाले न्यूरॉन्स की तुलना में, ये ट्रांसप्लांट किए गए न्यूरॉन्स अब छह गुना बड़े हो गए थे और काफी जटिल भी थे.

 

फिर शोधकर्ताओं ने मानव कोशिकाओं के दो अलग-अलग बंडलों को ट्रांसप्लांट किया- एक बंडल टिमोथी सिंड्रोम के रोगी से लिया. ये एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जो ऑटिज्म और मिर्गी से जुड़ा हुआ है. दूसरा बंडल बिना किसी सिंड्रोम वाला था. इन दोनों बंडल को एक ही मस्तिष्क में डाला गया. टिमोथी सिंड्रोम वाले हेमिस्फीयर में, न्यूरॉन्स अलग तरह से विकसित हुए और ये बहुत छोटे थे. इससे शोधकर्ताओं को एक इनसाइट मिली कि ये डिसऑर्डर कैसे विकसित होते हैं.

दूसरे चूहों में, शोधकर्ताओं ने ये दिखाया किपावलोवियन एक्सपेरिमेंट में, मानव सेल्स के सर्किट चूहों के दिमाग के अंदर खासकर छोटे ऑर्गनॉइड को उत्तेजित करके उनके व्यवहार को सीधे प्रभावित कर रहे थे. इस इंप्लांट से चूहों के काम करके के तरीकों में बदलाव नहीं देखा गया. 

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शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानव त्वचा कोशिकाओं से निर्मित अब तक का सबसे एडवांस ह्यूमन ब्रेन सर्किट है और मानव न्यूरॉन्स का ट्रांस्प्लांट जानवर के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है. उनका कहना है कि यह प्लैटफॉर्म पहली बार, मानव कोशिकाओं के लिए व्यवहारिक रीडआउट देता है और हमें उम्मीद है कि हम इससे जटिल मनोरोग स्थितियों के बारे में बेहतर तरीके से समझ पाएंगे.

 

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