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अंतरिक्ष में चल रहा गजब का प्रयोग... इंसानों के जवान रहने के राज से जल्द उठेगा पर्दा

शरीर आपका. उम्र आपकी हो रही है. बुढ़ापा आप पर हावी हो रहा है लेकिन वैज्ञानिक कह रहे हैं इसके पीछे की वजह अंतरिक्ष में पता चलेगी. ये हैरान करने वाली बात कह रहे हैं ऑक्सफोर्ड स्पेस इनोवेशन लैब के साइंटिस्ट. आइए जानते हैं कि हमारे बुढ़ापे का रहस्य का खुलासा अंतरिक्ष में कैसे होगा?

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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ऐसी रिसर्च चल रही है जिससे इंसानों के जवान रहने और बुढ़ापे की दिक्कतों से निजात मिल सकता है.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ऐसी रिसर्च चल रही है जिससे इंसानों के जवान रहने और बुढ़ापे की दिक्कतों से निजात मिल सकता है.

बच्चा पैदा होने के बाद बुढ़ापे की ओर ही बढ़ता रहता है. ये बात वैज्ञानिक प्रमाणित कर चुके हैं कि बुढ़ापा एक बीमारी है. अब एक दावा ये किया जा रहा है कि बुढ़ापे के रहस्य का खुलासा अंतरिक्ष में होगा.  आइए जानते हैं कि कैसे? 

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इस समय ऑक्सफोर्ड स्पेस इनोवेशन लैब (SIL) से लिए गए इंसानी ऊतक यानी टिश्यू इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में है. उन्हें वहां इसलिए रखा गया है ताकि ये पता चल सके कि उनके ऊपर अंतरिक्ष में रहने पर क्या असर पड़ता है? क्या अंतरिक्ष में ऊतकों की उम्र तेजी से बढ़ती है? 

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Space Station Ageing

यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसमें इस बात की जांच हो रही है कि क्या माइक्रोग्रैविटी का असर हमारे शरीर पर किस तरह से होता है. क्या उससे उम्र तेजी से बढ़ने लगती है. उम्र बढ़ना असल में संख्या नहीं बल्कि आपके शरीर की बायोलॉजिकल उम्र तेजी से बढ़ती है. वहां मौजूद कोशिकाओं की स्टडी हो रही है. साथ ही वैसी ही कोशिकाओं की स्टडी धरती पर भी चल रही है. ताकि एक निश्चित समय के बाद दोनों के बीच का अंतर पता किया जा सके. 

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कोशिकाओं को जवान रखने की हो रही तैयारी

SIL के प्रमुख शोधकर्ता डॉ.घाडा अलसालेह ने कहा कि हम अंतरिक्ष और बायोलॉजी के बीच की एक स्थिति का अध्ययन कर रहे हैं. हम स्पेस स्टेशन पर मौजूद कोशिकाओं और जमीन पर मौजूद सिमिलर कोशिकाओं की स्टडी करेंगे. उनकी तुलना करेंगे. जिससे ये पता चलेगा कि अंतरिक्ष में उम्र क्यों बढ़ती है. या कोशिकाओं पर किस तरह का असर होता है. ताकि वैसी स्थितियों को धरती पर उलटा करके कोशिकाओं को जवान रखा जा सके. 

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Space Station Ageing

डॉ. अलसालेह ने कहा कि असल में स्पेस स्टेशन पर शरीर के अंगों के छोटे रूप रखे गए हैं. यानी ऑर्गेनॉयड्स, मिनिएचर ऑर्गन. ये सभी एक क्यूब जैसे छोटे से लैब में स्पेस स्टेशन पर रखे हैं. ये कुछ ही सेंटीमीटर लंबे-चौड़े हैं. जिनका डेटा रीयल टाइम में स्पेस स्टेशन से सीधे SIL तक आता है. इसमें किसी एस्ट्रोनॉट का हस्तक्षेप नहीं होता. 

स्पेस स्टेशन की स्टडी से होंगे दो तरह के फायदे

अंतरिक्ष यात्राएं कई दशकों से चल रही हैं. जिसका असर एस्ट्रोनॉट्स के शरीर पर पड़ता है. जैसे हड्डियों का घनत्व कम होता है. इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. डॉ. अलसालेह ने कहा कि हम चाहते हैं कि धरती पर इंसानों की उम्र लंबी रहे और वो जवान रहें. क्योंकि जल्दी बुढ़ापा आने से कई बीमारियां भी आती हैं. इससे दो फायदे होंगे. धरती पर लोग सेहतमंद और जवान रहेंगे. दूसरी तरफ एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में दिक्कत नहीं आएगी. 

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असल मकसद यही है कि बुढ़ापे से संबंधित जो स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आती हैं, उन्हें रोका जा सके या फिर कम किया जा सके. जैसे- हड्डियों का कमजोर होना. इम्यून सिस्टम का कमजोर होना. आंखों की रोशनी धीमी होना. अगर इसे ठीक करने में सफलता मिलती है तो भविष्य में इंसान मंगल और अन्य ग्रहों पर लंबे समय तक सेहतमंद तरीके से रह सकेगा. 

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