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इंसानों ने धरती को तो गंदा किया ही मंगल पर छोड़ आए 7118.67 KG कचरा

इंसान की फितरत है गंदगी फैलाना. धरती पर तो गंद मचाकर रखी ही है. पिछले 50 सालों में मंगल ग्रह पर इतना कचरा छोड़ आए जितना आप 7-8 साल में अपने घरों से निकालते हैं. यहां तो कचरा साफ हो जाता है लेकिन मंगल ग्रह पर कौन सफाई अभियान चलाएगा? कौन करेगा वहां के कचरों को साफ?

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मंगल ग्रह पर इंसानों के रोबोटिक मिशन से फैल गया है 7119 किलोग्राम कचरा. ये भविष्य के मिशन के लिए खतरनाक है. (फोटोः NASA)
मंगल ग्रह पर इंसानों के रोबोटिक मिशन से फैल गया है 7119 किलोग्राम कचरा. ये भविष्य के मिशन के लिए खतरनाक है. (फोटोः NASA)

भारत सरकार के शहरी मामलों के मंत्रालय के डेटा के मुताबिक एक इंसान अमूमन हर दिन आधा किलोग्राम कचरा निकालता है. यानी सालभर में करीब 180 किलोग्राम. अगर परिवार में 5 लोगों का है तो साल में 900 किलोग्राम. लेकिन इंसानों ने मंगल ग्रह (Mars) पर पिछले 50 सालों में 7119 किलोग्राम कचरा छोड़ा है. घर का कचरा तो साफ कर देते हैं लोग लेकिन मंगल ग्रह का कचरा कौन साफ करेगा. 

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मार्स पर्सिवरेंस रोवर का हीट शील्ड, पैराशूट और लैंडिंग मॉड्यूल का कचरा. (फोटोः NASA)
मार्स पर्सिवरेंस रोवर का हीट शील्ड, पैराशूट और लैंडिंग मॉड्यूल का कचरा. (फोटोः NASA)

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर आउटर स्पेस अफेयर्स (UNOOSA) के मुताबिक दुनिया भर के 18 देशों ने इंसानों द्वारा निर्मित 18 ऑब्जेक्ट्स मंगल ग्रह पर भेजे हैं. ये सभी 18 वस्तुएं 14 अलग-अलग मिशन में भेजे गए हैं. इनमें से कई मिशन तो अब भी काम कर रहे हैं. दशकों से मंगल ग्रह की खोजबीन कर रहे हैं. लेकिन इन वैज्ञानिक अभियानों में लाल ग्रह की सतह पर बहुत सारा कचरा छोड़ चुके हैं इंसान. 

इन कचरों में इतनी प्रकार की वस्तुएं हैं कि आप जानकर हैरान हो जाएंगे. बड़े धातु के टुकड़े. जालियां. विशेष प्रकार के कपड़े. चमकते हुए कांच के टुकड़े. कवर. फिलामेंट. स्प्रिंग, नट-बोल्ट आदि. ऐसा नहीं है कि वैज्ञानिकों ने पहली बार मंगल ग्रह पर कचरा खोजा है. हर मिशन के बाद वो चिंता जरूर जताते हैं कि वहां पर कचरा फैल रहा है. अब लोग सोच रहे हैं कि मंगल पर कोई रहता तो है नहीं. फिर ये कचरा कहां से आता है?

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फोटो में बाएं नीचे की तरफ दिख रही है खास कपड़े की नेटिंग जो थर्मल लेयर में काम आती है. (फोटोः NASA)
फोटो में बाएं नीचे की तरफ दिख रही है खास कपड़े की नेटिंग जो थर्मल लेयर में काम आती है. (फोटोः NASA)

मंगल पर कचरा फैलने के तीन प्रमुख कारण 

मंगल ग्रह पर कचरे के तीन प्रमुख कारण हैं- फेंके गए या खुद से बेकार हुए हार्डवेयर, बेकार स्पेसक्राफ्ट या फिर वो अंतरिक्षयान जो चक्कर लगाते-लगाते किसी वजह से मंगल ग्रह से जाकर टकरा गया. मंगल ग्रह पर जाने वाले हर मिशन के ऊपर एक मॉड्यूल होता है, जो उसे वहां के वातावरण में उतरते समय सुरक्षित रखता है. ये मॉड्यूल भी तो कचरा ही बन जाता है. इसमें हीट शील्ड, पैराशूट और लैंडिंग क्राफ्ट होता है. जो अंतरिक्षयान को मंगल के वायुमंडल से पार कराते हैं. तीनों हिस्से हर मिशन के बाद वहीं छूट जाते हैं. 

सभी रोवर जो जा रहे हैं वो कचरा ही छोड़ रहे हैं

जब भी ये कचरे मंगल की सतह पर गिरते हैं. वो तेजी से टकराव की वजह से कई टुकड़ों में टूट जाते हैं. ये सतह पर चारों तरफ बिखर जाते हैं. ठीक यही हाल नासा द्वारा भेजे गए मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) के समय हुआ था. उसका हीट शील्ड, पैराशूट और लैंडिंग मॉड्यूल अलग-अलग जगहों पर गिरकर बिखर गए थे. टूटे भी. इसके अलावा कई छोटे टुकड़े भी फैल जाते हैं. सालों से फैल ही रहे हैं. जैसे नेटिंग मटेरियल. यानी खास तरह से बनी जालियां. 

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चमकता हुआ थर्मल ब्लैंकेट पत्थरों के बीच फंसा हुआ है. (फोटोः NASA)
चमकता हुआ थर्मल ब्लैंकेट पत्थरों के बीच फंसा हुआ है. (फोटोः NASA)

पर्सिवरेंस रोवर ने लैंडिंग वाली जगह से करीब 2 किलोमीटर दूर एक चमकता हुआ थर्मल ब्लैंकेट भी देखा था. यह कुछ पत्थरों के बीच फंसा हुआ था. इसके पहले साल 2012 में क्यूरियोसिटी (Curiosity) और साल 2005 में ऑपर्च्यूनिटी (Opportunity) रोवर के साथ भी हुआ था. इनके भी हीटशील्ड, लैंडिंग मॉड्यूल और पैराशूट अलग-अलग जगहों पर गिरे थे. इनके टुकड़ें भी कचरे की तरह फैल गए थे. जिनकी तस्वीरें बाद में लोगों के सामने आती रहीं. 

मंगल पर नौ बेकार स्पेसक्राफ्ट पड़े हैं कचरा बनकर

इस समय मंगल ग्रह की सतह पर नौ बेकार स्पेसक्राफ्ट कचरा बनकर पड़े हैं. यानी अब ये काम नहीं करते. इनमें शामिल हैं- मार्स 3 लैंडर, मार्स 6 लैंडर, वाइकिंग 1 लैंडर, वाइकिंग 2 लैंडर, सोजॉर्नर रोवर, बीगल 2 लैंडर, फीनिक्स लैंडर और स्पिरिट रोवर और हाल ही में बेकार हुआ ऑपर्च्यूनिटी रोवर. ये सब वहां पर अब मृत पड़े हैं. ये वहां पर एक तरह से ऐतिहासिक म्यूजियम की तरह हैं. क्यूरियोसिटी की भी हालत खराब होने वाली है क्योंकि उसके एल्यूमिनियम के पहिए टूट गए हैं कई जगहों से. ये रोवर के ट्रैक पर कहीं गिरे हुए मिल जाएंगे. 

इस तरह के छोटे हार्डवेयर और कचरे चारों तरफ फैले हुए हैं मंगल की सतह पर. (फोटोः NASA)
इस तरह के छोटे हार्डवेयर और कचरे चारों तरफ फैले हुए हैं मंगल की सतह पर. (फोटोः NASA)

मंगल ग्रह पर अपना जीवन पूरा करने के बाद उसकी सतह पर गिरने वाले अंतरिक्षयान भी कचरा फैलाते हैं. वो वायुमंडल में तेजी से प्रवेश करते हैं. वहीं टूट जाते हैं. वहीं से टूटते हुए ये सतह पर गिरते हैं. कचरा तो फैल रहा है. लेकिन वैज्ञानिक क्यों परेशान हैं? क्योंकि वहां कोई प्रदूषण तो हो नहीं रहा है. न ही कोई इंसान रहता है जिसे कचरे से दिक्कत हो. तो आखिर इस स्टडी से फायदा क्या होगा? 

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ये कचरे भविष्य के मिशन के लिए खतरा हैं!

नासा के वैज्ञानिक ये मानते हैं कि इन कचरों से भविष्य में जाने वाले मिशन को खतरा है. साथ ही वर्तमान में जो मिशन वहां काम कर रहे हैं. वो भी खतरे में हैं. इन कचरों की वजह से मिशन के सैंपल, यान और अन्य तकनीकी चीजें खराब हो सकती हैं. बर्बाद दो सकती हैं. क्योंकि मंगल पर हर जगह तो मिशन उतारा नहीं जा सकता. ज्यादातर मिशन आसपास ही उतरे हैं. ऐसे में भविष्य के मिशन भी आसपास ही उतरेंगे. इसलिए ये फैले हुए कचरे परेशानी का सबब बन सकते हैं.

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