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टूटी हुई रीढ़ और 4800 KM का सफर... कनाडा से हवाई तक तैरकर पहुंची Moon व्हेल की कहानी

इंसानों का हाथ-पैर टूटता है तो महीना-डेढ़ महीना आराम करते हैं. एक व्हेल ने टूटी हुई रीढ़ की हड्डी से 4828 KM तैर गई. वह भयानक दर्द में है लेकिन कनाडा से हवाई द्वीप तक चली आई. उसका बैकबोन एक जहाज से टकराने से टूटी थी. वैज्ञानिक उसकी इस हरकत से हैरान और दर्द से परेशान हैं.

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ये है हंपबैक व्हेल Moon, जिसकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है. लेकिन यह 4828 किलोमीटर तैर चुकी है. (फोटोः बीसी व्हेल्स)
ये है हंपबैक व्हेल Moon, जिसकी रीढ़ की हड्डी टूटी हुई है. लेकिन यह 4828 किलोमीटर तैर चुकी है. (फोटोः बीसी व्हेल्स)

मून (Moon) नाम की हंपबैक व्हेल (Humpback Whale) इस समय बहुत दर्द में है. भयानक पीड़ा में. उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी है. आप सोचिए जब आपका पैर टूटता है तो एक-डेढ़ महीने चल फिर नहीं पाते. डॉक्टर साफ मना कर देता है. मून की तो बैकबोन टूट गई है. जिसके सहारे वह तैरती है. एक जहाज से टकराने की वजह से उसकी हड्डी टूटी थी. अब इतनी बड़ी व्हेल मछली का इलाज भी तो मुश्किल है. लेकिन वैज्ञानिक उसके दर्द से चिंतित है. 

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इस बीच, मून ने ऐसा कारनाम किया जिससे दुनियाभर के समुद्री जीव विज्ञानी हैरान हो गए. वह सात सिंतबर 2022 से कुछ दिन पहले जहाज से टकराई थी. तब उसकी तस्वीर उत्तरी ब्रिटिश कोलंबिया के पास लिया गया था. यह इलाका कनाडा के पास पड़ता है. इसके बाद यही व्हेल 1 दिसंबर 2022 को हवाई में दिखाई पड़ी. व्हेल पर काम करने वाले एक एनजीओ ने इसे देखा. इसकी चाल देखकर हैरान रह गए. ध्यान दिया तो पता चला कि ये तो मून है. 

मून ने टूटी हुई रीढ़ की हड्डी के साथ 4828 किलोमीटर तैराकी की. पता है कैसे? तैराकी में जिसे ब्रेस्टस्ट्रोक कहते हैं, उसके जरिए. मून पर वैज्ञानिक एक दशक से ज्यादा से स्टडी कर रहे हैं. पिछले दशक में इसे फिन आइलैंड के पास देखा गया था. तब यह स्वस्थ थी. यह क्रिल का शिकार कर रही थी. साल 2020 में यह अपने बच्चे के साथ दिखाई पड़ी. पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इस बात से खुश थे. वह बच्चे को शिकार करना और ब्रीडिंग ग्राउंड पर रहना सिखा रही थी. 

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आप इस तस्वीर में दो अलग-अलग समय पर मून व्हेल की हालत देख सकते हैं. (फोटोः बीसी व्हेल्स)
आप इस तस्वीर में दो अलग-अलग समय पर मून व्हेल की हालत देख सकते हैं. (फोटोः बीसी व्हेल्स)

मून की चोट का पता सितंबर में चला

लेकिन सितंबर में शोधकर्ताओं ने देखा कि मून का शरीर विचित्र रूप से टेढ़ा-मेढ़ा हो गया है. उसकी एरियल फोटोग्राफी कराई गई. पता चला कि मून की रीढ़ की हड्डी बुरी तरह से टूटी हुई है. वह अपनी पूंछ के सहारे तैर भी नहीं पा रही है. लेकिन कनाडा से हवाई तक ब्रेस्टस्ट्रोक के जरिए चली आई. यह नजारा देखने के बाद वैज्ञानिक परेशान हो गए. रिसर्चर्स ने बताया कि जहाजों के टकराने से अक्सर व्हेल या ऐसी बड़ी मछलियों को चोट लग जाती है. 

उसे देख कर टूट जाता है दिल, बोले वैज्ञानिक

मून (Moon) अब धीरे-धीरे तैरती है. दर्द में अलग तरह की आवाज निकालती है. इसकी हालत का पता करने वाले एनजीओ बीसी व्हेल्स की प्रमुख शोधकर्ता जेनी रे ने बताया कि मून को जिंदा रहने के लिए तैरते रहना होगा. साथ ही यात्रा पूरी करनी होगी. लेकिन अब उसके तैरने का तरीका बदल गया है. पूंछ चला नहीं पाने की वजह से उसे ब्रेस्टस्ट्रोक के जरिए तैरना पड़ रहा है. यह अद्भुत है लेकिन उसे देख कर दिल टूट जाता है. हम उसके लिए कुछ नहीं कर सकते. 

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मून व्हेल तैरने के लिए अपनी पूंछ की मदद ले ही नहीं पा रही है. इसलिए ब्रेस्टस्ट्रोक तैर रही है. (फोटोः गेटी)
मून व्हेल तैरने के लिए अपनी पूंछ की मदद ले ही नहीं पा रही है. इसलिए ब्रेस्टस्ट्रोक तैर रही है. (फोटोः गेटी)

मार भी नहीं सकते, इलाज भी नहीं कर सकते

यह भी सलाद दी गई कि अगर मून को यूथेनाइज (Euthanize) यानी इच्छामृत्यु दे दी जाए तो. इस पर जेनी रे ने कहा कि उसे मारने के लिए बड़े पैमाने पर जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल करना होगा. उससे वो तो मर जाएगी. लेकिन उसके शव को खाने वाली समुद्री जीवों पर भी बुरा असर होगा. अगर वह धरती पर होती तो हम उसके लिए कुछ कर सकते थे. लेकिन वह समुद्र में है. साथ ही उसका आकार बहुत बड़ा है. हम कुछ नहीं कर सकते. बस दिल टूटा हुआ है. उसका दर्द हम सभी वैज्ञानिकों को दुखी कर रहा है. 

वह लौटकर कनाडा वापस नहीं जा पाएगी

जेनी रे समेत कई वैज्ञानिक यह मानते हैं कि मून की जो हालत है, उसमें वह कनाडा वापस नहीं जा पाएगी. अगर प्रयास किया भी तो मर जाएगी. उसकी दृढ़ता देखिए और उसका दर्द देखिए. हम कभी मून की उस स्थिति को नहीं जान पाएंगे कि उसे तैरने में कितना कष्ट हो रहा होगा. लेकिन उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी. हमें तो माफी मांगनी चाहिए कि हम इंसान उसके लिए कुछ कर ही नहीं पा रहे हैं. 

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