आइसलैंड के दक्षिण-पश्चिम में मौजूद ग्रिंडाविक कस्बे के पास आग उगल रहे ज्वालामुखी में 8 फरवरी 2024 को तीसरी बार बड़ा विस्फोट हुआ है. इस विस्फोट से 3.21 किलोमीटर लंबी नई दरार बन गई. इसी दरार से 200 फीट ऊंचा लावा का फव्वारा निकल रहा है. फिलहाल इस विस्फोट से स्थानीय लोगों या उनकी संपत्ति को कोई नुकसान नहीं है. लेकिन लावा बहकर सड़कों तक आ गया है. राख ही राख फैल रही है.
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इस ज्वालामुखी में पहला विस्फोट पिछले साल 18 दिसंबर को हुआ था. वह भी कई महीनों तक भूकंपीय गतिविधियों के बाद. जमीन ऊपर उठ गई थी. इसके बाद इस साल जनवरी में फिर विस्फोट हुआ. इस हफ्ते के शुरुआत में एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी थी कि यह ज्वालामुखी किसी भी दिन तीसरी बार फट सकता है.
हुआ भी यही. क्योंकि जमीन के अंदर की गतिविधियां खत्म नहीं हो रही थीं. 8 फरवरी को हुआ विस्फोट तेज भूकंप के झटकों के साथ हुआ. पहले जमीन में दरार बनी. यह दरार 3.21 किलोमीटर लंबी है. फिर उसमें से 164 से 262 फीट ऊंचा लावा का फव्वारा निकलने लगा. फव्वारे से जहरीला धुआं, खतरनाक गैस और भारी मात्रा में राख निकल रही है.
हर 20 सेकेंड में निकल रहा स्वीमिंग पूल बराबर लावा
यह नया विस्फोट माउंट सुंधनुकुर के पास मौजूद Sundhnúksgígar crater के पास से शुरू हुआ है. जैसे ही पहले विस्फोट की आवाज आई, वैज्ञानिकों ने तत्काल हेलिकॉप्टर से एरियल सर्वे शुरू कर दिया. लावा का बहाव पहले विस्फोट की तुलना में कम है लेकिन यह 20 सेकेंड में ही ओलंपिक स्वीमिंग पूल जितना तेजी से निकल रहा था.
दरार से निकलने वाला लावा ग्रिंडाविक कस्बे से दूर उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तरफ फैल रहा है. ब्लू लगून रिजॉर्ट और जियोथर्मल स्वार्तसेंगी पावर प्लांट भी इस बार के लावा बहाव से सुरक्षित है. हालांकि लावा का बहाव ब्लू लगून की तरफ जाने वाली सड़क को पार कर गया है.
ग्रिंडाविक के पास बढ़ रही हैं दरारें... बड़ा खतरा
आइसलैंड के मौसम विज्ञानी क्रिस्टीन जॉन्सदोतिर ने कहा कि अगली दरार बनने की भी संभावना है. यह दरार तीसरे विस्फोट वाली जगह से दक्षिण दिशा में बन सकती है. जिसकी वजह से ग्रिंडाविक कस्बे को खतरा हो सकता है. अगर वहां से लावा बहकर निकलने लगा तो कस्बा जलकर खाक हो जाएगा. लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा है.
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इस समय ग्रिंडाविक के पास की दरारें बढ़ नहीं रही हैं. न ही उनसे लगातार लावा निकल रहा है. लेकिन नई दरारों के बनने की आशंका पैदा हो रही है. उसकी वजह है जमीन का सूजना है. सैटेलाइट डेटा भी दरारों के बढ़ने की ओर इशारा नहीं कर रहा है. लावा और दरारों के बढ़ने का खतरा तो कम हुआ है लेकिन धरती के फूलने से नई टेंशन है.
यह इलाका फिर से हो चुका है रीएक्टीवेट
यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ में ज्वालामुखी एक्सपर्ट कार्मेन सोलाना ने कहा कि यह इलाका फिर से रीएक्टीवेट हो चुका है. कोई वैज्ञानिक ये नहीं बता सकता कि अगला विस्फोट कब और कितना तीव्र होगा. कहां होगा. न ही ये बता सकता है कि ये कस्बा कितने बड़े खतरे के मुहाने पर बैठा है. अगर जमीन धंसी तो पूरा कस्बे लावा में समा जाएगा.