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शनि के छल्लों से गिर रही बर्फीली बारिश से बढ़ रहा है ग्रह का तापमान... वैज्ञानिक हैरान

शनि ग्रह को बुखार हो रहा है. तापमान तेजी से बढ़ रहा है. वजह है उसके छल्लों से होने वाली बर्फीली बारिश. हैरानी इस बात की है बर्फीली बारिश से शनि ग्रह के वायुमंडल का तापमान क्यों बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों ने सौर मंडल में कभी भी इस तरह की विचित्र घटना नहीं देखी.

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शनि ग्रह की स्पेक्ट्रल इमेज में पता चलता है कि उसके वायुमंडल का तापमान कितना बढ़ रहा है. (फोटोः NASA)
शनि ग्रह की स्पेक्ट्रल इमेज में पता चलता है कि उसके वायुमंडल का तापमान कितना बढ़ रहा है. (फोटोः NASA)

शनि ग्रह (Saturn) के छल्ले रहस्यमयी हैं. इस ग्रह के चारों तरफ बने इन छल्लों से होती बर्फीली बारिश से शनि के वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है. अब पृथ्वी पर तो कोई ये नहीं सोच सकता कि बर्फीली बारिश से तापमान कैसे बढ़ रहा है? वैज्ञानिकों ने आजतक सौर मंडल के किसी भी ग्रह के साथ ऐसी विचित्र घटना होते नहीं देखी. 

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ये खुलासा भी वैज्ञानिकों ने कई स्टडी के बाद किया है. उन्होंने हबल स्पेस टेलिस्कोप, कैसिनी प्रोब, वॉयजर-1 और वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से मिले डेटा की स्टडी की. तब जाकर ये पता चला कि शनि के छल्लों से गिर रही बर्फ शनि के वायुमंडल को गर्म कर रही हैं. यह बात भी तब सामने आई जब सूरज की किरणों से दिखने वाला हिस्सा ज्यादा चमकदार दिखा. जब जांच हुई तो पता चला कि वायुमंडल में मौजूद हाइड्रोजन गर्म हो रहा है. लेकिन इसमें कोई चीज मिल रही है. 

Saturn Rings Icy Rain

जब रेडिएशन के स्तर की जांच की गई तो पता चला कि छल्लों से कोई चीज वायुमंडल में गिर रही है. जो उसे बाहर से गर्म कर रही है. फिर से डेटा खंगाला गया. पता चला कि ग्रह छल्लों से से जो बर्फीले कणों की बारिश वायुमंडल पर हो रही है, उससे गर्मी बढ़ रही है. क्योंकि ये बर्फ के कण काफी ऊर्जा के साथ गिरते हैं. 

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सौर हवा देती है धक्का, शनि की ग्रैविटी खींचती है

जब ये कण शनि के वायुमंडल से टकराते हैं, तब घर्षण से पारा बढ़ने लगता है. सवाल ये उठ रहा था कि छल्लों के कण शनि के वायुमंडल पर गिर क्यों रहे हैं. इसकी वजह सौर हवा है. सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से शनि के छल्लों में मौजूद चार्ज्ड धूल के कणों को अपने साथ बहाकर शनि के वायुमंडल की तरफ ले जाते हैं. जरा सा भी कमजोर कण है, तो शनि ग्रह की ताकतवर ग्रैविटी के आगे रुक नहीं पाता. वायुमंडल में जाकर टकरा जाता है. 

Saturn Rings Icy Rain

धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं शनि ग्रह के रहस्यमयी छल्ले 

इन बर्फीले कणों की बारिश के बारे में पहली बार सितंबर 2017 में पता चला था, जब कैसिनी प्रोब मिशन का अंत हुआ. शनि ग्रह के वायुमंडल में जाकर खत्म होने से पहले कैसिनी ने इस बारिश को रिकॉर्ड किया था. लेकिन नई स्टडी में ये बात और स्पष्ट हो गई. पूरी दुनिया को पता है कि शनि ग्रह के छल्ले धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं. 

बर्फीली बारिश हाइड्रोजन एटम का एक सरप्राइज है

यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के लूनर एंड प्लैनेटरी लेबोरेटरी और इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के साइंटिस्ट लोफी बेन जाफेल कहते हैं कि शनि ग्रह के छल्लों का खात्मा पक्का है. वो धीरे-धीरे हो ही रहा है. लेकिन इस बर्फीले कणों की बारिश से ये और तेजी से खत्म हो रहे हैं. यह एटॉमिक हाइड्रोजन के प्रभाव में होने वाला सरप्राइज है.

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शनि ग्रह के पांच मिशनों के डेटा को खंगाला गया

छल्लों से गिरने वाले बर्फीले कण की बारिश वायुमंडल में कुछ ही ऊंचाई तक हो रही है. वैज्ञानिकों ने शनि ग्रह पर भेजे गए पांचों मिशन के डेटा को खंगाला. दोनों वॉयजर मिशन ने 1980 में छल्लों की इस रहस्यमयी कणों के बारे में बातें बताई थीं. लेकिन उस समय इसे नॉयस समझ कर दरकिनार कर दिया. फिर साल 2004 में कैसिनी पहुंचा. उसने भी यूवी डेटा की जांच की. साथ ही हबल टेलिस्कोप ने भी ऐसे ही डेटा सामने दिए. 

शनि के ऊपरी वायुमंडल पर ज्यादा बर्फीली बारिश 

जब सभी मिशनों का डेटा एक साथ रखकर एनालिसिस किया गया तो पता चला कि छल्लों से लगातार बर्फीले कणों की बारिश वायुमंडल पर हो रही है. जो हैरानी करती है. साथ ही उसे गर्म भी कर रही है. शनि ग्रह के ऊपरी वायुमंडल पर इस बर्फीली बारिश का असर ज्यादा होता है. बाकी जगहों पर इसका असर नहीं है. इस स्टडी से भविष्य में अन्य छल्लों वाले ग्रहों की स्टडी करने में आसानी होगी. 
 

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