भारत के चारों तरफ की सीमाओं से हथियारों, ड्रग्स समेत कई ऐसे पदार्थों की स्मगलिंग होती है, जो देश के सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है. सीमापार से होने वाली स्मगलिंग को रोकने के लिए अब भारत सरकार ने सीमाओं पर रेडियोएक्टिव डिटेक्शन इक्विपमेंट (RDE) लगाने का फैसला किया है. ये RDE भारत के पड़ोसी देशों से सटी सीमाओं पर आठ स्थानों पर तैनात किए जाएंगे.
पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल की सीमाओं के पास बने इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट पर रेडियोएक्टिव डिटेक्शन इक्विपमेंट (RDE) लगाने का फैसला लिया गया है. इन यंत्रों की वजह से देश में सीमापार से आने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थों की स्मगलिंग रुकेगी. साथ ही देश की सुरक्षा भी बढ़ेगी. साल 2020 में भारत सरकार ने ऐसे यंत्रों के लिए अमेरिका से सलाह मांगी थी. क्योंकि अमेरिका ऐसे यंत्रों का उपयोग अफगानिस्तान में कर रहा था.
सरकार ने अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों और ऐसे यंत्रों को बनाने वाली कंपनियों से सलाह मश्विरा करने के बाद यह फैसला लिया है. इस फैसले को लेने में दो साल का वक्त लगा है. पिछले हफ्ते इसे लेकर टेंडर का काम भी शुरु कर दिया गया है. जिन स्थानों पर रेडियोएक्टिव डिटेक्शन इक्विपमेंट (RDE) यंत्र लगाए जाएंगे, उनके लिए कई तरह की सरकारी प्रक्रियाएं शुरु हो गई है.
जिन सीमाओं पर रेडियोएक्टिव डिटेक्शन इक्विपमेंट (RDE) लगाए जाएंगे, वो हैं- पाकिस्तान की सीमा, पेट्रापोल, दावकी, अगरतला, बांग्लादेश की सीमा का सुतारकानी, म्यांमार की सीमा मोरेह और नेपाल से सटी सीमा पर रक्सौल और जोगनानी. इन स्थानों से देश में लोग पड़ोसी देशों से आते-जाते हैं. यहां से स्मगलिंग की आशंका बहुत ज्यादा रहती है.