scorecardresearch
 

LIGO-India: भारत में बनेगी नई ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जरवेटरी, करेगी न्यूट्रॉन स्टार्स और ब्लैक होल्स की खोज

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत एक और कदम लेने जा रहा है. भारत में जल्द ही एक नई ग्रैविटेशनल वेव ऑब्ज़रवेटरी (Gravitational wave observatory) बनने जा रही है, जिसके लिए सरकार ने 2600 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. बताया जा रहा है कि ऑब्ज़रवेटरी 2030 तक बनकर तैयार हो जाएगी.

Advertisement
X
महाराष्ट्र हिंगोली शहर में बनेगी यह ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जरवेटरी (Photo: LIGO Collaboration)
महाराष्ट्र हिंगोली शहर में बनेगी यह ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जरवेटरी (Photo: LIGO Collaboration)

भारत जल्द ही एक ऐसे डिटेक्टर (Detector) पर काम करेगा, जो स्पेस-टाइम की फेब्रिक में छोटी-छोटी तरंगों का पता लगाएगा. हाल ही में महाराष्ट्र में एक नई ग्रैविटेशनल वेव ऑब्ज़रवेटरी (Gravitational wave observatory) का काम शुरु करने के लिए सरकार ने 2600 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है. ये ऑब्ज़रवेटरी दुनिया भर की इसी तरह की चार सुविधाओं के साथ मिलकर काम करेगी. बताया जा रहा है कि ऑब्ज़रवेटरी 2030 तक बनकर तैयार हो जाएगी.

Advertisement

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का कहना है कि यह हमारी खगोलीय क्षमताओं में इजाफ़ा करेगा और हमें न केवल भारत, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए इनपुट और फीडबैक देने में सक्षम करेगा.

gravitational wave observatory

एक बार तैयार होने के बाद, भारत की रिसर्च फैसिलिटी,  ऑब्ज़रवेटरीज़ के नेटवर्क लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी (Laser Interferometer Gravitational-Wave Observatory - LIGO) में शामिल हो जाएगी, जो स्पेस-टाइम के फेब्रिक में आने वाली किसी भी रुकावट को खोजती है. ये रुकावटें ब्रह्मांड की कुछ सबसे हिंसक घटनाओं से आने वाले कॉस्मिक सिग्नल होते हैं. स्पेस टाइम तीन चीजों से मिलकर बना होता है- मैग्नेटिक फील्ड, रेडिएशन वेवलेंथ और ग्राविटेशनल पुल.

gravitational wave observatory

जब ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे जैसी विशाल चीजें गति करती हैं, तो उनकी गति गुरुत्वाकर्षण तरंगें (gravitational waves) पैदा करती है. वैज्ञानिक LIGO डिटेक्टरों का इस्तेमाल उन सबूतों की खोज के लिए करते हैं कि गुरुत्वाकर्षण तरंगें पृथ्वी से गुजरी हैं. 

Advertisement

उदाहरण के लिए, 2015 में, LIGO के वैज्ञानिकों ने पहली बार ब्लैक होल के विलय से निकली ग्रैविटेशनल वेव्स का पता लगाया. खोज ने अल्बर्ट आइंस्टीन की भविष्यवाणी की पुष्टि की कि अंतरिक्ष और समयअलग-अलग नहीं हैं, बल्कि एक कपड़े जैसी संरचना में एक साथ बुने हुए हैं.

gravitational wave observatory

हर बार जब LIGO डिटेक्टर कोई सिग्नल पकड़ता है, तो वैज्ञानिकों को यह पक्का करने की ज़रूरत होती है कि यह सिग्नल वास्तव में अंतरिक्ष की किसी घटना से है, न कि पृथ्वी के किसी भूकंप या ट्रैफिक की वजह से नहीं. 

चार डिटेक्टरों के इस नेटवर्क के साथ, वैज्ञानिकों का कहना है कि वे उन स्रोतों को खोज सकते हैं जो गुरुत्वाकर्षण तरंगे फेंकते हैं, वे चाहे आकाश में किसी भी जगह क्यों न हों.  इसलिए वे चाहते हैं कि ये चारों एक साथ काम करें. और अब LIGO India पांचवां सबसे महत्वपूर्ण होगा.

 

भारत सरकार ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगभग 590 किलोमीटर पूर्व में हिंगोली शहर में इसके निर्माण को हरी झंडी दे दी है. इसके लिए 174 एकड़ ज़मीन भी आरक्षित कर दी गई है. इसके लिए अमेरिका लगभग 6 करोड़ डॉलर का इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहिया कराएगा. इसमें इंटरफेरोमीटर के निर्माण के लिए ज़रूरी हार्डवेयर के साथ-साथ इसके डिजाइन और इंस्टालेशन के लिए तकनीकी डेटा और ट्रेनिंग भी शामिल है. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement