अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के प्रमुख बिल नेल्सन (Bill Nelson) ने कुछ दिन पहले भारत यात्रा के दौरान कहा था कि वो भारतीय एस्ट्रोनॉट (Indian Astronaut) को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (Internation Space Station - ISS) भेजेगा. इसके लिए भारतीय एस्ट्रोनॉट को नासा ट्रेनिंग भी देगा. अब एक नई खबर आ रही है.
नई जानकारी ये है कि - भारतीय एस्ट्रोनॉट दो हफ्ते तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहेगा. वह अपनी यात्रा SpaceX के Crew Dragon कैप्सूल से पूरी करेगा. यह लॉन्चिंग Falcon 9 रॉकेट से की जाएगी.
अभी तक नासा या इसरो ने लॉन्चिंग की डेट या एस्ट्रोनॉट के नाम का खुलासा नहीं किया है. लेकिन ये माना जा रहा है कि यह अगले साल के तीसरी या चौथी तिमाही में हो सकता है. यह सब एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग पर निर्भर करता है. एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग भारत और अमेरिका दोनों में होगी. भारतीय एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन पर कई तरह के एक्सपेरिमेंट करेगा.
10 साल में भारत की स्पेस लॉन्चिंग पांच गुना बढ़ेगी
भारत अगले एक दशक में अपने सैटेलाइट लॉन्च मार्केट को विश्व स्तर पर पांच गुना बढ़ाना चाहता है. इसलिए इस साल जून में उसने अमेरिका के अर्टेमिस एकॉर्ड पर हस्ताक्षर किया. इस एकॉर्ड में 1967 के आउटर स्पेस ट्रीटी में कई बदलाव किए गए हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा देश इंसानियत की भलाई के लिए जुड़ सकें.
नासा और इसरो के बीच हुए कई समझौते
बिल ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच स्पेस इंडस्ट्री को लेकर कई बड़े समझौते हुए हैं. हो रहे हैं. हम आपस में साइंस को शेयर करते हैं. बिल नेल्सन NISAR सैटेलाइट की जांच-पड़ताल के लिए बेंगलुरू गए हुए थे. NASA-ISRO SAR यानी निसार सैटेलाइट को धरती की निचली कक्षा में तैनात किया जाएगा.
एक SUV के आकार का यह सैटेलाइट अगले साल की पहली तिमाही में लॉन्च किए जाने की संभावना है. NISAR पूरी धरती का हर 12 दिन में एक बार नक्शा बनाएगा. इसमें वह बर्फ की लेयर, ग्लेशियर, जंगल, समंदर का जलस्तर, भूजल, प्राकृतिक आपदाएं जैसे- भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन की जानकारी देगा.
चंद्रयान-3 की जीत और रूस की हार ने बढ़ाया मान
अंतरिक्ष और चंद्रमा पर जाने के दौरान देशों के बीच कॉर्डिनेशन हो. भारत ने अगस्त में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक Chandrayaan-3 की लैंडिंग कराकर दुनिया भर में नाम कमाया. जबकि, रूस का Luna-25 लैंडर दक्षिणी ध्रुव के पास ही क्रैश कर गया. इसके बाद से पूरी दुनिया में भारत की स्पेस इंडस्ट्री की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है.