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पांच दिन से चल रही है भारतीय एस्ट्रोनॉट्स की अमेरिका में ट्रेनिंग, क्या इनकी मुलाकात सुनीता विलियम्स से होगी?

इसरो-भारतीय वायुसेना के एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर स्पेस स्टेशन जाने के लिए ह्यूस्टन पहुंच गए हैं. दोनों की ट्रेनिंग भी शुरू हो चुकी है. इनमें से कोई एक ही स्पेस स्टेशन जाएगा. क्या इनमें से किसी एक को स्पेस स्टेशन पर फंसी सुनीता विलियम्स से मिलने का मौका मिलेगा?

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बाएं से... ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर की ट्रेनिंग ह्यूस्टन में चल रही है.
बाएं से... ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर की ट्रेनिंग ह्यूस्टन में चल रही है.

Indian Air Force के बेहद अनुभवी टेस्ट पायलट्स और ISRO के गगनयान मिशन के चुने हुए एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कैप्टन शुंभाशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ह्यूस्टन में स्पेस स्टेशन जाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं. ये Axiom-4 Mission के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाएंगे. पांच दिन से इनकी ट्रेनिंग चल रही है. 

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Axiom-4 Mission ऑर्बिटिंग लेबोरेटरी यानी अंतरिक्ष में चक्कर लगा रही प्रयोगशाला तक SpaceX के फॉल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए जाएंगे. इनकी लॉन्चिंग फ्लोरिडा से होगी. इस स्पेसक्राफ्ट में जाने वाले सभी लोग कम से कम 14 दिन तक स्पेस स्टेशन में बिताएंगे. इस दौरान हो सकता है कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की मुलाकात भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स से हो. जो पिछले दो महीनों से स्पेस स्टेशन में फंसी हुई है. वो जिस स्टारलाइनर कैप्सूल से गई थीं, उसमें खराबी आ गई है.

नासा का कहना है कि स्टारलाइनर से हीलियम लीक होना बड़ी बात नहीं है. इसमें गलती सीलिंग की है. लेकिन बोईंग ने कहा कि वो पता कर रहे हैं कि ये लीक कैसे और क्यों हो रहा है. या हुआ है. जब स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से जोड़ा जा रहा था. तब इसके पांच थ्रस्टर्स ने काम करना बंद कर दिया था. इन्हें फिर से स्टार्ट करना पड़ा था. 

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नासा का दावा है कि इन दिक्कतों से परेशानी नहीं है. स्टारलाइनर किसी भी समय धरती पर वापस आ सकता है. लेकिन एस्ट्रोनॉट्स को घर लाने की कोई जल्दी नहीं है, इसलिए हम आराम से जांच-पड़ताल कर रहे हैं. समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. इसलिए पूरी संभावना है कि ग्रुप कैप्टन शुंभाशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पर मौजूद सुनीता विलियम्स से मिल लें. 

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पिछले हफ्ते इसरो ने कहा था कि उसने एक्सिओम स्पेस के साथ स्पेस फ्लाइट एग्रीमेंट के तहत दो गगनयान एस्ट्रोनॉट्स को अमेरिका भेजने का डील किया था. इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन का प्रमुख मिशन पायलट बनाया था. ग्रुप कैप्टन नायर बैकअप के तौर पर रहेंगे. 

ग्रुप कैप्टन शुक्ला होंगे प्राइम मिशन पायलट

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बाएं से... मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन, प्राइम मिशन पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोश जुनास्की और मिशन स्पेशलिस्ट तिबोर कापू.  

ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में तीन लोग और जा रहे हैं. ये हैं- अमेरिका से कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड से ESA की तरफ से मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोश उजानस्की और हंगरी से मिशन स्पेशलिस्ट तिबोर कापू. शुक्ला इनके साथ प्राइम मिशन पायलट होंगे. 

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स्पेस स्टेशन के इंटरनेशनल पैनल से हरी झंडी बाकी

इन लोगों की उड़ान फिलहाल पेंडिंग है. उड़ान को हरी झंडी देता है मल्टीलेटरल क्रू ऑपरेंशस पैनल (MCOP). इसमें नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी, रूसी स्पेस एजेंसी, जापानी स्पेस एजेंसी और कनाडियन स्पेस एजेंसी के प्रतिनिधि होते हैं. ये फैसला करते हैं कि स्पेस स्टेशन पर कौन और कब जाएगा. किस तरह का मिशन होगा. 

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जानिए कौन हैं भारत से स्पेस स्टेशन जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 

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10 अक्टूबर 1085 में लखनऊ में जन्मे शुभांशु की मिलिट्री ट्रेनिंग एनडीए में हुई है. वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में उन्हें 17 जून 2006 में शामिल किया गया. वो एक फाइटर कॉम्बैट लीडर हैं. साथ ही टेस्ट पायलट भी. उनके पास 2000 घंटे के उड़ान का अनुभव है. उन्होंने सुखोई-30एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डॉर्नियर, एन-32 जैसे विमान और फाइटर जेट्स उड़ाए हैं.

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ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णनन नायर  

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26 अगस्त 1976 में केरल के थिरुवाझियाद में जन्मे. एनडीए में ट्रेनिंग पूरी की. एयरफोर्स एकेडमी से स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल कर चुके हैं. 19 दिसंबर 1998 में उन्हें वायुसेना के फाइटर जेट प्रोग्राम में शामिल किया गया. फाइटर पायलट बनाए गए. वो CAT-A क्लास के फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं. करीब 3000 घंटे उड़ान अनुभव है. 

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प्रशांत नायर ने Su-30MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डॉर्नियर, एएन-32 आदि विमान उड़ाए हैं. वो यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज, DSSC, वेलिंग्टन और तंबरम के FIS के पूर्व छात्र भी रह चुके हैं. वो सुखोई-30 स्क्वॉड्रन के कमांडेंट भी रहे हैं. 

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