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देश के पहले प्राइवेट रॉकेट लॉन्चपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन, अब छूटेगा 'अग्निबाण'

बहुत जल्द देश का दूसरा निजी रॉकेट अग्निबाण (Agnibaan) लॉन्च होने वाला है. इसके लिए देश का पहला प्राइवेट रॉकेट लॉन्चपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर बन चुका है. इन दोनों का उद्घाटन इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने किया है. ये लॉन्चपैड और कंट्रोल सेंटर श्रीहरीकोटा में ही स्थित है.

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अग्निबाण रॉकेट को अग्निकुल कॉसमोस कंपनी ने बनाया है.
अग्निबाण रॉकेट को अग्निकुल कॉसमोस कंपनी ने बनाया है.

अब सिर्फ श्रीहरीकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के सरकारी रॉकेट लॉन्च पैड से रॉकेट नहीं छूटेंगे. बल्कि निजी लॉन्च पैड से भी लॉन्च किए जाएंगे. देश के पहले निजी रॉकेट लॉन्चपैड (India's First Private Rocket Launchpad) और मिशन कंट्रोल सेंटर (Mission Control Center) का उद्घाटन हो चुका है. जल्द ही यहां से अग्निबाण (Agnibaan) नाम का निजी रॉकेट लॉन्च किया जाएगा. 

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने श्रीहरीकोटा द्वीप पर बने देश के पहले निजी लॉन्चपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन किया. यह लॉन्चपैड और कंट्रोल सेंटर निजी स्पेस कंपनी अग्निकुल कॉसमोस (AgniKul Cosmos) ने बनाया है. इसमें अग्निकुल की टीम को इसरो के वैज्ञानिकों ने मदद की है. अग्निबाण रॉकेट अग्निकुल कॉसमोस कंपनी का रॉकेट है. इस लॉन्च पैड से अग्निबाण की पहली उड़ान होगी. 

अग्निकुल कॉसमोस के लॉन्चपैड का उद्घाटन करते इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ.
अग्निकुल कॉसमोस के लॉन्चपैड का उद्घाटन करते इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ.

अग्निकुल एक स्टार्टअप है जिसे कुछ युवाओं ने मिलकर बनाया है. इसमें कई दिग्गज उद्योगपतियों ने निवेश किया है. जिसमें सबसे बड़ा नाम है आनंद महिंद्रा. आनंद महिंद्रा ने अग्निबाण रॉकेट के लिए 80.43 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके अलावा पाई वेंचर्स, स्पेशल इन्वेस्ट और अर्थ वेंचर्स ने भी निवेश किया है. 

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अग्निकुल का मिशन कंट्रोल सेंटर.
अग्निकुल का मिशन कंट्रोल सेंटर. 

अग्निकुल कॉसमॉस (AgniKul Cosmos) की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. इसे चेन्नई में स्थापित किया गया. इसे श्रीनाथ रविचंद्रन, मोइन एसपीएम और आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर एसआर चक्रवर्ती ने मिलकर शुरू किया था. अग्निकुल इस समय एक छोटा प्राइवेट रॉकेट अग्निबाण बना रहा है. ये लॉन्च व्हीकल 100 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है. इसमें प्लग-एंड-प्ले इंजन कन्फीग्यूरेशन है. 

अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने ग्राउंड टेस्टिंग को बीच में कुछ समय के लिए रोक दिया था क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से लोगों को ऑक्सीजन की कमी हो रही थी. रॉकेट में भी लिक्विड ऑक्सीजन की जरूरत बतौर ईंधन की जाती है.

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