भारत के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (दिवंगत) के प्लान को आगे बढ़ाते हुए सेना की रॉकेट फोर्स (Rocket Force) को और मजबूत करने पर काम शुरू हो गया है. इसके तहत मीडियम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल तैनात करने की तैयारी हो रही है. भारतीय सेना करीब 1,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली कम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को रॉकेट फोर्स के हिस्से की तरह तैनात करने की योजना बना रही है.
रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने आजतक को बताया कि रॉकेट फोर्स बनाने की तरफ कोशिशें तेज कर दी गई हैं. प्रलय बैलिस्टिक मिसाइलों को खरीदने के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय पहले ही मंजूरी दे चुका है और अब मीडियम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.
इसलिए बनाई जा रही रॉकेट फोर्स
बताया जा रहा है कि सेना को कन्वेंशनल रोल में इस्तेमाल करने के लिए बैलिस्टिक मिसाइल्स के मौजूदा बेड़े में से किसी को चुनने का मौका मिल सकता है. सेना मीडियम दूरी की मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए रॉकेट फोर्स बना रही है. पाकिस्तान और चीन दोनों के पास ये क्षमताएं हैं.
बड़े पैमाने पर होगा मिसाइलों का प्रोडक्शन
अब प्रलय मिसाइलों का बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन किया जाएगा और भविष्य में ऑपरेशनल सर्विस के लिए भी इसके तैयार होने की उम्मीद है. रॉकेट फोर्स प्रोजेक्ट से रणनीतिक रॉकेट फोर्स डेवलप करने के सेना के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा. दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत ने भी इसकी वकालत की थी.
पूर्व CDS कर रहे थे प्रोजेक्ट पर काम
हाल ही में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था कि दिवंगत जनरल बिपिन रावत सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए एक रॉकेट फोर्स के निर्माण पर काम कर रहे थे. पिछले दिसंबर में लगातार दो दिनों में मिसाइल का दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, और सेनाएं तब से इसके अधिग्रहण और शामिल करने की दिशा में काम कर रही हैं. प्रलय, जिसकी मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर है, सॉलिड-प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर और दूसरी नई टेक्नोलॉजी के जरिए संचालित होती है.
हवा में रास्ता भी बदल सकती है प्रलय मिसाइल
मिसाइल गाइडेंस सिस्टम में अत्याधुनिक नेविगेशन और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स शामिल हैं. प्रलय सतह से सतह पर मार करने वाली quasi-बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे इंटरसेप्टर मिसाइलों को चकमा देने में सक्षम बनाने के लिए विकसित किया गया है. यह हवा में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता भी रखती है.