पिछले 24 घंटों में इंडोनेशिया, सोलोमन द्वीप समूह और करगिल तेजी से कांपे हैं. सोलोमन द्वीप समूह पर 7 तीव्रता का भूकंप आया. कुछ दिनों पहले ही नेपाल, उत्तराखंड, दिल्ली-NCR भी कांपे थे. भूकंप 5 तीव्रता के ऊपर था. क्या ये भूकंपों का मौसम चल रहा है? इतने भूकंप आ क्यों रहे हैं. अगर आप करगिल से लेकर इंडोनेशिया और उसके नीचे ऑस्ट्रेलिया के पास मौजूद सोलोमन आइलैंड्स को देखेंगे तो ये आपको एक सीध में नजर आएंगे. यानी इनके टेक्टोनिक प्लेटो में हलचल हो रही है. जिसकी वजह से नीचे से ऊपर तक भूंकप की लहर आ सकती है. लेकिन यह जरूरी नहीं.
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) की माने तो भूकंपीय गतिविधियों को थोड़ा बहुत बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है. इनके बढ़ने से किसी बड़ी आपदा की चेतावनी जारी नहीं की जा सकती. लेकिन पिछले कुछ सालों में भूकंपों के आने की मात्रा बढ़ी है. इसका रिकॉर्ड कॉमकैट अर्थक्वेक कैटालॉग में रखा जाता है. यह इसलिए नहीं कि भूकंप सच में बढ़ गए हैं. बल्कि हमारे पास भूकंपों को नापने की मशीनें और यंत्र बढ़ गए हैं. उनकी तैनाती बढ़ गई है. इसलिए हमारे पास ज्यादा से ज्यादा भूकंपों की जानकारी आती रहती है.
दुनियाभर में हर साल 20 हजार भूकंप आते हैं. यानी हर दिन करीब 55 भूकंप. देशों के बीच संचार प्रणाली बेहतर होने की वजह से एक दूसरे को भूकंपों की तेजी से सूचना मिल जाती है. सुनामी अलर्ट जारी हो जाता है. इसलिए लोगों को लगता है कि भूकंप ज्यादा आ रहे हैं. अगर आप लंबे समय के भूकंपीय इतिहास को देखेंगे यानी 1900 से अब तक तो हर साल करीब 16 बड़े भूकंप आते हैं. इनमें से 15 भूकंप 7 रिक्टर पैमान के आसपास या उससे ज्यादा के होते हैं. सिर्फ एक ही भूकंप ऐसा होता है जो 8 की तीव्रता को छूता है. या उससे ज्यादा होता है.
इंडोनेशिया, सोलोमन आईलैंड्स और करगिल में एक के बाद एक भूकंप क्यों?
पिछले 40 से 50 सालों में USGS के अनुसार बड़े भूकंपों को दर्ज करने की संख्या बढ़ी है. अब तक साल 2010 ही एक ऐसा साल रहा है, जब 23 बड़े भूकंप आए थे. ये सभी 7 तीव्रता या उससे ज्यादा ताकत के थे. अब बात करते हैं करगिल, इंडोनेशिया और सोलोमन आइलैंड्स की. सोलोमन आईलैंड्स पैसिफिक प्लेट (Pacific Plate) पर टिका है. जबकि इंडोनेशिया यूरेशियन, फिलिपीन और पैसिफिक प्लेट के जंक्शन पर मौजूद है. वहीं, करगिल इंडियन प्लेट के ऊपरी हिस्से में मौजूद है. ये सारी प्लेट्स आपस में सटी हुई हैं. किसी भी एक प्लेट में हलचल होगी तो दूसरी में असर आना तय है. कम या ज्यादा ये किसी प्लेट पर आए भूकंप की तीव्रता पर निर्भर करता है.
इंडोनेशिया, सोलोमन द्वीप... रिंग ऑफ फायर के पास, इसलिए आपदाएं ज्यादा
इंडोनेशिया और सोलोमन द्वीप ऐसी जगह पर मौजूद हैं, जहां पर धरती के कई सारे टेक्टोनिक प्लेट मिलते हैं. ये हैं इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट, ऑस्ट्रेलियन प्लेट, फिलिपीन प्लेट और पैसिफिक प्लेट. इन प्लेटों की वजह से इस इलाके में भूकंपीय गतिविधियां ज्यादा होती है. प्लेटों के टकराहट, घर्षण, चढ़ाव-उतार से पैदा होने वाली ऊर्जा अगर धीरे-धीरे रिलीज होती है तो कम तीव्रता का भूकंप आता है. लेकिन यही ऊर्जा तेजी से निकलती है तो भूकंप की भयावहता बढ़ जाती है. इसी वजह से रिंग ऑफ फायर इलाके में ज्वालामुखियों में विस्फोट भी बहुत ज्यादा होता है. कई बार धरती के अंदर मौजूद गर्म मैग्मा द्वारा बनने वाले दबाव की वजह से भी भूंकप महसूस होता है. ज्वालामुखी फटता है.
पिछले 24 घंटे में इस इलाके में आए 46 भूकंप, 39 महसूस किए गए
सोलोमन द्वीप और इंडोनेशिया, भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी अमेरिका के इलाके में पिछले 24 घंटों में 46 भूकंप आए. जिनमें से 39 को USGS ने दर्ज किया. इनमें से सबसे बड़ा भूकंप सोलोमन द्वीप पर आया 7.0 तीव्रता का भूकंप था. इसके बाद सोलोमन पर 6.0 तीव्रता का भी भूकंप आया. अलास्का में 5.5, रूस के कामचाटका इलाके में 5.4, इंडोनेशिया में 4.8 के भूकंप आए. पिछले 24 घंटों में रूस के कामचाटका और सोलोमन द्वीप पर सबसे ज्यादा भूकंप आए हैं. सात भूकंप के झटके सोलोमन द्वीप पर आए हैं. तीन झटके रूस और कामचाटका इलाके में आए हैं. ये पूरी की पूरी बेल्ट आपस में जुड़ी हुई है. इसलिए इन स्थानों पर भूकंपीय गतिविधियों का आपस में जुड़ना स्वाभाविक है.