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शिकार को फंसाने के लिए खतरनाक प्लानिंग करता है यह कीड़ा, हैरान कर देगा वीडियो 

कोई भी जीव हो, पेट भरने के लिए वह अपने दिमाग का इस्तेमाल करता आया है. इंसान ही नहीं, छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े भी अपने खाने-पीने का इंतज़ाम करने के लिए अपनी अक्ल लगाते हैं. एक कीड़ा ऐसा है जो शिकार करने के लिए एक टूल का इस्तेमाल करता है. इस कीड़े को हत्यारा कीड़ा कहते हैं.

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पौधे से निकलने वाले रेज़िन को टूल की तरह इस्तेमाल करता है ये कीड़ा (Photo: Pixabay)
पौधे से निकलने वाले रेज़िन को टूल की तरह इस्तेमाल करता है ये कीड़ा (Photo: Pixabay)

ऑस्ट्रेलिया में, एक कीड़ा ऐसा है जिसे हत्यारा कहें तो गलत नहीं होगा. वह अपना शिकार फंसाने के लिए बाकायदा प्लानिंग करता है और एक घातक टूल का इस्तेमाल करता है. यह टूल है स्पिनिफेक्स घास (Spinifex grass) से निकलने वाला रेज़िन. हाल ही में किए गए शोध से पता चलता है कि रेंगने वाला यह कीड़ा अपने शिकार को पकड़ने के लिए खुद को चिपचिपे गम में लपेट लेता है. 

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इस कीड़े पर आईं पिछली रिपोर्ट्स से पता चलता है कि बाकी कीटों की तुलना में यह प्रजाति टूल का इस्तेमाल ज़्यादा करती है. आपको बता दें कि कई कीड़े अलग-अलग कामों के लिए इस तरह की चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं. 

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मैक्वेरी यूनिवर्सिटी (Macquarie University) के जीवविज्ञानी फर्नांडो सोले (Fernando Soley) और मैरी हर्बरस्टीन (Marie Herberstein) ने जंगलों में और उसके बाद पास ही में एक अस्थाई लैब में, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरली क्षेत्र से गोरारेडुवियस (Gorareduvius) प्रजातियों से 125 ऑस्ट्रेलियाई कीड़ों पर शोध किया.

ये कीड़े आमतौर पर ट्रायोडिया के तनों पर देखे जाते हैं. यह एक देसी टस्कॉक घास होती है जिसे आमतौर पर स्पिनिफेक्स कहा जाता है. यह ऑस्ट्रेलिया के शुष्क इलाकों में पाई जाती है और इसमें से एक चिपचिपा रेज़िन निकलता है. शुरुआती ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने शिकार के उपकरण बनाने में इसका इस्तेमाल किया था. 

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जंगल और लैब दोनों में, शोधकर्ताओं ने गोरारेडुवियस को स्पिनफेक्स पत्तियों के रेज़िन को निकालते हुए देखा, जिसे वे बड़े ध्यान से अपने शरीर पर लगा रहे थे, खासकर उनके आगे वाले पैरों पर. यहां तक कि इन कीटों के बच्चे भी खुद को रेज़िन में लिपटे पाए गए, जिससे यह पता लगा कि यह व्यवहार इन कीड़ों में बस गया है. 

नीचे वीडियो में देखें कि यह कीड़ा किस तरह अपने शरीर पर रेज़िन लगाता है-

सोले और हर्बर्स्टीन का अनुमान था कि अगर रेज़िन को एक टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, तो रेज़िन में डूबे कीड़े उन कीड़ों की तुलना में बेहतर शिकार कर सकते हैं जिनके शरीर पर रेज़िन नहीं लगा. यही जांचने के लिए वे 26 कीड़ों को अपनी लैब में लेकर आए. 

बायोलॉजी लेटर्स (Biology Letters) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कीड़ों को एक कांच के जार में एक लकड़ी के साथ रखा और वहीं दो तरह के शिकार- मक्खियां और चींटियां भी रखी गईं. और उन्हें शिकार करने के लिए छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने कीड़ों के शरीर से रेज़िन पोंछ दिया और फिर से प्रयोग दोहराया.

शोध से पता लगा कि कीड़े मक्खियों की तुलना में चींटियों को पकड़ने में ज़्यादा सफल हुए थे, और खास बात यह है कि शरीर पर रेज़िन लगा होने से वे शिकार को बेहतर तरीके से शिकार कर पा रहे थे, भले वह चींटी हो या मक्खी.

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रेज़िन में लिपटे कीड़े, बिना रेज़िन लगे कीड़ों की तुलना में किसी भी तरह के शिकार को पकड़ने में 26 प्रतिशत से ज़्यादा सफल रहे. इन कीड़ों को हत्यारे कीड़ों (Assassin bug) की श्रेणी में रखा गया है. यह उस तरह के कीड़ों का एक समूह है जो अपने शिकार को मारने के लिए भयानक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. 

 

सोली और हर्बर्स्टीन बताते हैं कि शिकार कभी भी इन हत्यारे कीड़ों की रेज़िन वाली सतह पर पूरी तरह से चिपका हुआ नहीं दिखाई दिया. बल्कि, इससे शिकार पर चिपचिपा रेज़िन लग जाने से वह बहुत ज़्यादा प्रतिक्रियाएं नहीं कर पाया और कीड़े आराम से उन्हें पकड़ सके. यानी रेज़िन सफलता की गारंटी नहीं देता, यह बस शिकार को धीमा करने का एक टूल है.

 

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