ईरान की सेना यानी इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने शनिवार सुबह यानी 14 सितंबर 2024 को इस साल की दूसरी सैटेलाइट लॉन्चिंग की है. इस सैटेलाइट का नाम है चमरन-1 (Chamran-1). कहा जा रहा है कि यह एक रिसर्च सैटेलाइट है. लेकिन इजरायल के साथ चल रहे तनाव के बीच सैटेलाइट को 550 km की ऊंचाई पर तैनात करना देश की सेना को ताकत प्रदान करता है.
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चमरन-1 सैटेलाइट की लॉन्चिंग काएम-100 रॉकेट से की गई. तय कक्षा में स्थापित होने के कुछ घंटे बाद इस सैटेलाइट ने धरती पर सिग्नल भी भेजे. यह सैटेलाइट 60 किलोग्राम वजन का है. इसे लॉन्च करने का मकसद है हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सिस्टम को ऑर्बिट में चलाकर देखना. वहां मैन्यूवरिंग करना. इससे पहले ईरान ने जनवरी में सोर्या (Sorayya) सैटेलाइट लॉन्च किया था. यह 750 किलोमीटर के ऑर्बिट में भेजा गया था.
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अमेरिका ने लगाया बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने का आरोप
इस बीच अमेरिका ने कहा कि ईरान ने जिस रॉकेट से सैटेलाइट की लॉन्चिंग की है, वो एक लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक है. इससे भविष्य में ईरान अंतरिक्ष और दुनिया के लिए खतरा पैदा कर सकता है. यहां तक कि ऐसी मिसाइल तकनीक से परमाणु हमला भी कर सकता है. हालांकि, ईरान ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया है.
ईरान ने कहा कि हमारे रॉकेट और सैटेलाइट में कोल्ड गैस प्रोप्लशन सबसिस्टम लगे हैं. जिन्हें स्पेस में जांचने की जरूरत थी. इसलिए यह रॉकेट और सैटेलाइट इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि अंतरिक्ष में नेविगेशन और एल्टीट्यूड कंट्रोल सबसिस्टम्स की जांच हो सके.