Israel-Hamas War में अपने साथी देश इजरायल की मदद के लिए अमेरिका ने भूमध्यसागर में USS ड्वाइट डी. आइजनहावर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप और USS गेराल्ड आर फोर्ड कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को तैनात किया है. दोनों युद्धपोतों पर अमेरिका के हजारों कमांडो, दर्जनों फाइटर जेट्स, खतरानक मिसाइलें और अटैक हेलिकॉप्टर्स तैनात हैं.
ये दोनों स्ट्राइक ग्रुप चुटकियों में किसी भी देश की हालत खराब कर सकते हैं. लेकिन अमेरिका की इस मौजूदगी से रूस को परेशानी हो रही है. इसके जवाब में रूस ने काला सागर (Black Sea) में अपनी किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल (Kinzhal Hypersonic Missile) तैनात कर दी है. इस मिसाइल की ट्रैकिंग और इसे मार गिराना संभव नहीं है.
इस मिसाइल का इस्तेमाल यूक्रेन के साथ युद्ध के समय रूस ने लवीव शहर पर किया था. साथ ही रूस ने दावा किया था कि जितने भी देश NATO में शामिल हैं, उनके पास किंझल मिसाइल को रोकने की ताकत या तकनीक नहीं है. यह मिसाइल दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है. आसानी से दिशा और गति बदल सकती है.
किंझल को ट्रैक करना, मार गिराना आसान नहीं
इसे ट्रैक करना मुश्किल होता है. बहुत ही ज्यादा सटीक, मारक और घातक होती है. यह एयर लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (ALBM) की श्रेणी में आती है. आमतौर पर इसे जमीन और पानी में चल फिर रहे या छिपे हुए टारगेट पर दागा जाता है. यह आवाज की गति से 10 गुना ज्यादा स्पीड में चलती है. यानी 6100 से 12,348 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार. इसकी अधिकतम रेंज दो हजार किलोमीटर है. जबकि काला सागर से भूमध्यसागर की दूरी मात्र 1700 किलोमीटर है.
परमाणु हथियार लगाकर भी दागी जा सकती है
किंझल हाइपरसोनिक मिसाइल में 480 किलोग्राम वजन का परमाणु या पारंपरिक हथियार लगा सकते हैं. इसे डैगर (Dagger) भी बुलाया जाता है. इसका मतलब होता है खंजर. इससे पहले रूस ने पिछले साल इस मिसाइल का इस्तेमाल दक्षिण-पश्चिम यूक्रेन के एक अंडरग्राउंड वेयरहाउस को उड़ाने में किया था.
रूस के सरकारी मीडिया संस्थान TASS की रिपोर्ट के अनुसार Russia ने अपने हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रदर्शन पहली बार साल 2018 में किया था. रूस ने 1941-45 में जीते ग्रेट पैट्रियॉटिक वॉर के 73वें वर्षगांठ पर विक्ट्री डे मिलिट्री परेड में रेड स्क्वायर पर प्रदर्शित किया था. उसने इसे अपने MiG-31K लड़ाकू विमान में तैनात किया है.
क्या होते हैं हाइपरसोनिक हथियार?
हाइपरसोनिक मिसाइल वो हथियार होते हैं, जो ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा गति में चले. यानी 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा. इनकी गति और दिशा में बदलाव करने की क्षमता इतनी ज्यादा सटीक और ताकतवर होती हैं, कि इन्हें ट्रैक करना और मार गिराना अंसभव होता है. फिलहाल, हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं.
भारत ऐसी मिसाइल बना रहा है. रूस के पास ICBM एवनगार्ड (Avangard) है. यह मिसाइल ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा रफ्तार. यानी 24,696 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ती है. हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल.