इजरायल की मदद के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने एक जासूसी विमान, दो युद्धपोत, तीन मर्लिन हेलिकॉप्टर और मरीन कमांडो की कंपनी भेजी है. इनकी तैनाती भूमध्यसागर में होगी. ताकि क्षेत्रीय संतुलन बनाया जा सके. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा है कि वो इजरायल की मदद के लिए रॉयल नेवी का टास्क ग्रुप भेज रहे हैं. इन्हें अगले हफ्ते भूमध्यसागर के लिए रवाना कर दिया जाएगा.
इस मिलिट्री पैकेज में एक P8 एयरक्राफ्ट, सर्विलांस एसेट्स, दो रॉयल नेवी शिप- RFA लाइम बे और RFA आर्गस, तीन मर्लिन हेलिकॉप्टर्स और रॉयल मरीन कमांडो की एक कंपनी शामिल है. ये भूमध्यसागर में स्टैंडबाय मोड पर रहेंगे. जैसे ही इजरायल को इनकी जरूरत पड़ेगी. इन्हें जमीन पर उतार दिया जाएगा.
ऋषि ने कहा कि हम नहीं चाहते कि जिस तरह के दुखी करने वाले नजारे हमने इस हफ्ते देखें हैं वो फिर से देखने को मिले. हम अपने साथियों का साथ हमेशा देंगे. हमारी वर्ल्ड क्लास मिलिट्री इजरायल के सपोर्ट में हमेशा साथ खड़ी है. यह इसलिए किया जा रहा ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे. विरोध और हमले को रोका जा सके.
हम इजरायल का साथ नहीं छोड़ेंगेः ब्रिटिश पीएम
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि हम इजरायल का पूरा समर्थन करते हैं. लेकिन हमास आतंकियों के हमले बंद होने चाहिए. वो खुद नहीं करेंगे तो उनका खात्मा होना तय है. जिस तरह का भयावह आतंकी हमला हुआ है वो ठीक नहीं था. हम इजरायल का साथ नहीं छोड़ेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो रॉयल नेवी टास्क ग्रुप और रॉयल एयरफोर्स भी मदद करने इजरायल पहुंच जाएगी. जानिए ब्रिटेन ने जो मदद इजरायल भेजने वाले हैं... उनकी ताकत.
मर्लिन हेलिकॉप्टर
1999 से ब्रिटिश नौसेना-वायु सेना, इटैलियन नेवी और डच एयरफोर्स में तैनता. अगस्ता वेस्ललैंड इसे बनाती है. इसे 3-4 लोग मिलकर उड़ाते हैं. इसमें 26 जवान या 38 आम नागरिक बैठ सकते हैं. या 5 टन का सामान रख सकते हैं. या 4 स्ट्रेचर ले जा सकते हैं. 64.1 फीट लंबे इस हेलिकॉप्टर की ऊंचाई 21.9 फीट है.
अधिकतम 309 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. 1389 किलोमीटर की रेंज है. पांच घंटे लगातार उड़ान भरने में सक्षम. 15 हजार फीट की ऊंचाई तक जाने में सक्षम. इसमें 4 स्टिंग रे होमिंग टॉरपीडो या एमके 11 डेप्थ चार्जेस लगाए जा सकते हैं.
रॉयल मरीन कमांडो
दुनिया भर में दो दर्जन से ज्यादा युद्ध लड़ चुकी है ये ब्रिटिश सेना. यह ब्रिटेन की स्पेशल कमांडो फोर्स है. जैसे भारत में मार्कोस कमांडो हैं. इनके चार कमांडो ब्रिगेड हैं. जिसमें करीब 5 हजार जवान हैं. हर साल मरीन कमांडो बनने के लिए 26 हजार एप्लीकेशन आते हैं. लेकिन सिर्फ 400 ही कमांडो बन पाते हैं. इन्हें हर तरह के युद्ध के लिए तैयार किया जाता है. यह हमारे एनएसजी या पैरा एसएफ फोर्स की तरह ही तेजतर्रार होते हैं.
RFA लाइम बे
यह बे क्लास की लैंडिंग शिप डॉक है. यह 16,160 टन डिस्प्लेसमेंट का जहाज है. 579.4 फीट लंबे जहाज पर 356 लोग आराम से रह सकते हैं. अधिकतम 700 लोगों को रखने की क्षमता है. इस पर 30 मिलिमीटर की 2 DS30B एमके 1 गन लगी हैं. दो फैलेंक्स सीआईडब्लूएस और 7.62 मिलिमीटर की चार एमके.44 मिनिगन्स लगी हैं. इसके अलावा 7.62 मिलिमीटर की 6 एल7 जीपीएमजी बंदूकें तैनात हैं. इस पर से हेलिकॉप्टर की लैंडिंग और टेकऑफ कराया जा सकता है. यह 33 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से समुद्र में चलता है. 15 हजार किलोमीटर की रेंज है.
RFA आर्गस
ये एक स्ट्राइक शिप है. इसका डिस्प्लेसमेंट 28 हजार टन है. 574.6 फीट लंबे इस जहाज पर 80 RFA सैनिक, 50 रॉयल नेवी, 137 रॉयल नेवी एयर स्क्वाड्रन के जवान, 200 नर्सिंग स्टाफ तैनात हो सकते हैं. यह 33 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है. रेंज 20 हजार नॉटिकल मील है. इस पर 9 मर्लिन हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. इसमें एक सीआईडब्लूएस, 20 मिलिमीटर की दो हैवी मशीन गन, 7.62 की चार जीपीएमजी बंदूकें और एमके44 मिनिगन्स तैनात हैं.
P8 एयरक्राफ्ट
इसे बोइंग कंपनी बनाती है. पोसाइडन के चार वैरिएंट दुनियाभर में इस्तेमाल होते हैं. इस विमान में कुल मिलाकर 9 लोग बैठ सकते हैं. दो उड़ान क्रू होते हैं. बाकि मिशन के लिए काम करते हैं. यह विमान 9000 kg वजन उठा सकता है. इसकी लंबाई 129.5 फीट है. इस विमान की अधिकतम गति 907 km/घंटा है. कॉम्बैट रेंज 2222 km है. अधिकतम 8300 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है. अधिकतम 41 हजार फीट तक जा सकता है.
इसमें 11 हार्डप्वाइंट हैं. इसमें कई तरह के पारंपरिक हथियारों का उपयोग किया जा सकता है. जैसे- AGM-84H/K SLAM-ER, AGM-84 Harpoon, Mark 54 torpedo, mines, depth charges. इसके अलावा हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वॉरफेयर वेपन सिस्टम लगाया जा सकता है. इसमें AGM-84H/K SLAM-ER एंडवांस्ड स्टैंड ऑफ प्रिसिजन गाइडेड क्रूज मिसाइल है. यह जमीन और पानी दोनों पर हमला करके दुश्मन को बर्बाद कर सकती है. AGM-84 हार्पून किसी भी मौसम में दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल है.