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ISRO's Satellite Death: देश के निष्क्रिय ताकतवर सैटेलाइट को ISRO ने हिंद महासागर में 'दफनाया'

ISRO का सबसे ताकतवर हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग सैटेलाइट मर चुका है. 14 फरवरी 2024 को वह पृथ्वी के वायुमंडल में आया. इसके बाद उसे नियंत्रित तरीके से हिंद महासागर में गिराया गया. इसी सैटेलाइट के वंशज ने पाकिस्तान में हुए सर्जिकल स्ट्राइक में मदद की थी. आइए जानते हैं इस सैटेलाइट के बारे में...

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बाएं से दाएं... Cartosat-2 सैटेलाइट, जिसे हिंद महासागर में गिराया गया. (सभी तस्वीरः ISRO)
बाएं से दाएं... Cartosat-2 सैटेलाइट, जिसे हिंद महासागर में गिराया गया. (सभी तस्वीरः ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का Cartosat-2 सैटेलाइट का जीवन अब खत्म हो चुका है. 14 फरवरी 2024 को इस सैटेलाइट ने धरती के वायुमंडल में प्रवेश किया. हिंद महासागर में गिरकर खत्म हो गया. इसी सैटेलाइट के वंशज कार्टोसैट-2सी ने सर्जिकल स्ट्राइक में मदद की थी. 

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इस सैटेलाइट को नियंत्रित तरीके से वायुमंडल में प्रवेश कराया गया था ताकि कचरा कम फैले और इससे किसी को कोई नुकसान न हो. कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को 10 जनवरी 2007 में लॉन्च किया गया था. ताकि देश की हाई-रेजोल्यूशन तस्वीर ली जा सके. इससे सड़कें बनाई जा सके. नक्शे बनाए जा सकें. अन्य विकास कार्य हो सके. 

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ISRO's Cartosat-2 Atmospheric Re-entry

टारगेट तो ये था कि यह सैटेलाइट सिर्फ पांच साल जिएगा. लेकिन इसने अंतरिक्ष में 12 साल तक काम किया. देश की सेवा की. इस सैटेलाइट को 2019 में डिएक्टिवेट कर दिया गया था. यानी इसने काम करना बंद कर दिया था. यह हाई-रेजोल्यूशन इमेजिंग सैटेलाइट सीरीज की दूसरी पीढ़ी का पहला सैटेलाइट था. 

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30 साल में गिरने की उम्मीद थी... लेकिन वैज्ञानिक माने नहीं

680 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट सन-सिंनक्रोनस पोलर ऑर्बिट में तैनात किया गया था. यानी धरती से 635 किलोमीटर की ऊंचाई पर. 2019 तक इसने देश की बेहतरीन तस्वीरें भेजीं. शुरूआत में यह उम्मीद थी कि कार्टोसैट-2 प्राकृतिक तौर पर धरती पर 30 साल मे गिरेगा. 

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ISRO's Cartosat-2 Atmospheric Re-entry

अंतरिक्ष में हादसे न हों, इसलिए धरती पर गिराया गया

लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इसमें बचे हुए फ्यूल का इस्तेमाल करके इसे जमीन पर गिरा दिया जाए. अंतरराष्ट्रीय नियमों को मानते हुए इसे नीचे गिराया गया. यानी नियंत्रित तरीके से इसे धरती पर लाया गया. ताकि यह निष्क्रिय सैटेलाइट अंतरिक्ष में किसी अन्य सैटेलाइट से टकरा कर कचरा न फैलाए. न ही ये स्पेस स्टेशन के लिए खतरा बने. 

14 फरवरी को इस तरह से गिराया गया कार्टोसैट-2 सैटेलाइट

इसरो टेलिमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) सेंटर के सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस (IS4OM) की टीम ने इसे कार्टोसैट-2 की धरती पर समंदर में सफल लैंडिंग कराई. 14 फरवरी को इलेक्ट्रिकल पैसिवेशन को सफलतापूर्वक किया गया. तब यह धरती से 130 किलोमीटर ऊपर था. 

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ISRO's Cartosat-2 Atmospheric Re-entry

पौने चार बजे हिंद महासागर में दफन हो गया सैटेलाइट

धीरे-धीरे कार्टोसैट-2 धरती की तरफ आने लगा. 14 फरवरी 2024 को दोपहर पौने चार बजे के आसपास इसे हिंद महासागर में गिरा दिया गया. वायुमंडल पार करते समय इस निष्क्रिय सैटेलाइट के अधिकतर हिस्से जलकर खत्म हो गए थे. कार्टोसैट-2 को सफलतापूर्वक दफना कर भारत ने अंतरिक्ष में होने वाले कई हादसों को रोक दिया है. 

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