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Gaganyaan Mission in 2024: इस साल गगनयान को लेकर क्या है ISRO का प्लान... लॉन्चिंग होगी या नहीं?

ISRO इस साल यानी 2024 में क्या Gaganyaan की उड़ान कर पाएगा? और कितने एबॉर्ट टेस्ट होंगे? या फिर रोबोटिक महिला व्योममित्र मानवरहित उड़ान में पहले जाएगी. हाल ही में इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने इन सवालों के जवाब दिए... आप भी जानिए.

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ये खास रॉकेट गगनयान के TV-D1 मिशन के लिए बनाया गया था, जिसमें ऊपर क्रू मॉड्यूल था. इसका एबॉर्ट टेस्ट हुआ था. (सभी फोटोः ISRO)
ये खास रॉकेट गगनयान के TV-D1 मिशन के लिए बनाया गया था, जिसमें ऊपर क्रू मॉड्यूल था. इसका एबॉर्ट टेस्ट हुआ था. (सभी फोटोः ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस साल Gaganyaan की लॉन्चिंग कर पाएगी या नहीं? इस साल गगनयान को लेकर इसरो की क्या प्लानिंग है? 

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इसरो इस साल गगनयान की कम से कम एक मानवरहित उड़ान (Uncrewed Mission) जरूर करेगा. वह भी जून महीने से पहले. इसके अलावा एक स्वतंत्र एबॉर्ट टेस्ट (Abort Test) होगा, वह भी स्पेशल टेस्ट व्हीकल से. यानी नए रॉकेट से. इसके होने की संभावना अक्टूबर के महीने में है. इसरो चीफ S. Somanath ने कहा कि वैज्ञानिक दोनों ही मिशन के लिए काम कर रही है. 

Gaganyaan Mission In 2024

इसरो चीफ ने कहा कि हम पहले मानवरहित मिशन करेंगे. उसके बाद एबॉर्ट टेस्ट करेंगे. यानी TV-D2 (Test Vehicle- Demonstration 2). इसरो ये दोनों ही मिशन अपनी तैयारियों के अनुसार ही करेगा. ये भी हो सकता है कि दूसरा वाला मिशन पहले या पहला वाला बाद में हो. या फिर जो तय किया गया है उसी हिसाब से किया जाए. 

एबॉर्ट मिशन पहले होगा या मानवरहित उड़ान

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सोमनाथ ने बताया कि एबॉर्ट मिशन मानवरहित मिशन से पहले ही किया जाना चाहिए. हालांकि पहले मानवरहित मिशन में सर्विस मॉड्यूल नहीं जाएगा. सिर्फ महिला रोबोट Vyommitra को भेजा जाएगा. फिलहाल यह फैसला इसरो बाद में करेगा कि व्योमित्र को पहले मिशन में भेजा जाएगा या फिर दूसरे मिशन में. अंतिम लॉन्चिंग से पहले दो मानवरहित उड़ान होना जरूरी है, ताकि गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स को किसी तरह की दिक्कत न हो. 

Gaganyaan Mission In 2024

धरती की निचली कक्षा तक मानवरहित उड़ान

इसरो चीफ ने बताया कि कम से कम इस साल एक मानवरहित उड़ान तो होगी ही. पहला टारगेट यही है कि इसे 2024 की पहली छमाही से पहले पूरा कर लिया जाए. माहनवरहित उड़ान के दौरान गगनयान मिशन की तकनीकी को जांचा जाएगा. यह उड़ान धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit - LEO) तक जाएगा. 

गगनयान से जुड़ी अन्य तकनीकों का विकास होगा

इसमें व्योमित्र के शरीर में होने वाले बदलावों की स्टडी की जाएगी. क्योंकि इसमें वो बेसिक तकनीक डाली गई है, जो इंसानों को अंतरिक्ष में होने वाले असर के बारे में बताएंगे. इस दौरान इसरो मिशन कंट्रोल, कम्यूनिकेशन नेटवर्क और जरूरी लॉन्च कॉम्प्लेक्स फैसिलिटी भी बनाता रहेगा. 

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