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सेना के लिए ISRO बनाएगा खुफिया मिलिट्री सैटेलाइट, सर्जिकल स्ट्राइक होगी और आसान

ISRO ऐसा सैटेलाइट बनाने जा रहा है, जिससे देश की सीमाएं और अधिक सुरक्षित हो जाएंगी. यह सैटेलाइट भारतीय थल सेना (Indian Army) के लिए बनाया जाएगा. संभवतः इसका नाम GSAT7B हो सकता है. इसके लिए NSIL के साथ 2963 करोड़ रुपए की डील की गई है.

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भारतीय थल सेना के लिए ISRO बनाएगा खुफिया मिलिट्री सैटेलाइट, जो करेगा हर तरह के सैन्य ऑपरेशन में मदद. (फोटोः NSIL)
भारतीय थल सेना के लिए ISRO बनाएगा खुफिया मिलिट्री सैटेलाइट, जो करेगा हर तरह के सैन्य ऑपरेशन में मदद. (फोटोः NSIL)

देश की पश्चिमी सीमा यानी पाकिस्तान (Pakistan) और पूर्वी सीमा यानी चीन (China) पर बारीक नजर रखने के लिए. थल सेना के अलग-अलग कमांड सेंटर्स, अन्य सेनाओं से कॉर्डिनेशन के लिए जल्द ही नया सैटेलाइट बनाया जाएगा. इस सैटेलाइट को ISRO बनाएगा. जिसके लिए न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) से रक्षा मंत्रालय ने 2963 करोड़ रुपए का समझौता किया है. 

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रक्षा मंत्रालय या NSIL की ओर से इस सैटेलाइट का कोई नाम फिलहाल नहीं बताया गया है. लेकिन माना जा रहा है कि ये GSAT-7B हो सकता है. यह एक मिलिट्री सैटेलाइट है. यह करीब पांच टन वजन का पहला उपग्रह है. इसे इसरो देश में ही विकसित करेगा. यह भारत की सबसे भारी सैटेलाइट हो सकता है. 

ISRO GSAT-7A
ये है इसरो का GSAT-7A सैटेलाइट, जिसका इस्तेमाल अभी भारतीय वायुसेना कर रही है. (फोटोः ISRO)

असल में GSAT-7B एक एडवांस्ड कम्यूनिकेशन सैटेलाइट होगा. जो भारतीय थल सेना को किसी भी मिशन की सटीक जानकारी देगा. खुफिया संचार में मदद करेगा. साथ ही दुश्मन के हथियारों, बालाकोट एयर स्ट्राइक या सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशनों को पूरा करने में मदद करेगा. यह एक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट होगा. इससे रीयल टाइम इमेजरी भी हो पाएगी. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस के जरिए सर्विलांस करना आसान होगा. 

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भारत की सबसे सीक्रेट सैटेलाइट हो सकती है GSAT-7B 

भारत के पास कई तरह के मिलिट्री सैटेलाइट्स हैं. लेकिन इनमें सबसे नई सीरीज है जीसैट (GSAT). इन्हें आमतौर पर कम्यूनिकेशन सैटेलाइट ही बोला जाता है. लेकिन कई बैंड्स पर काम करने वाले सैटेलाइट्स होते हैं. संचार उपग्रहों की सूची में ही रखा जाता है. जो कई बैंड्स पर काम करते हैं. इनमें से कितने बैंड्स का इस्तेमाल सेना करेगी, इसका खुलासा नहीं किया गया है. असल में यह सैटेलाइट होगी सीक्रेट मिशन का हिस्सा. 

GSAT-7B ISRO
GSAT-7B को इसरो श्रीहरिकोटा से लॉन्च करेगा या फिर फ्रेंच गुएना से... ये फैसला बाद में होगा. (फोटोः ISRO)

क्या होते हैं जीसैट सैटेलाइट्स?

इसरो ने कई बैंड्स वाले सैन्य संचार सैटेलाइट्स (Multi-bands Military Communication Satellites) बनाए हैं. इन्हें जीसैट नाम दिया है. इनमें UHF, C बैंड और Ku बैंड के ट्रांसपोंडर्स होते हैं. जो अलग-अलग फ्रिक्वेंसी पर तरंगें भेजते हैं ताकि सुरक्षित कम्यूनिकेशन हो सके. बातचीत कोई सुन न सके. ताकि किसी भी सैन्य ऑपरेशन की जानकारी दुश्मन को न हो. किसी भी सैन्य मिशन की सफलता उसकी सीक्रेसी में होती है. 

भारत के पास अब तक कितने जीसैट सैटेलाइट्स हैं? 

सैन्य उपग्रहों के बारे में न तो सरकार बताती है. न ही इसरो और न ही कोई अन्य वैज्ञानिक संस्था. यह एक सीक्रेट होता है. माना जाता है कि देश के पास 10 जीसैट सैटेलाइट्स हैं, जो अभी अंतरिक्ष में काम कर रहे हैं. इनमें 168 ट्रांसपोंडर्स लगे हैं. जिसमें से 95 ट्रांसपोंडर्स C, Extended C और Ku बैंड्स के हैं. यानी टेलिफोन संचार, टीवी ब्रॉडकास्टिंग, मौसम पूर्वानुमान, आपदा पर अलर्ट, खोज एवं राहत कार्य में मदद का काम किया जाता है. 

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Military Communication
सैटेलाइट लॉन्च होने के बाद भारतीय थल सेना की संचार प्रणाली और बेहतर हो जाएगी. (फोटोः गेटी)

इसके अलावा भारत के पास इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटेलिजेंस गैदरिंग सैटेलाइट (EMISAT) भी है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस पैकेज (ELINT) लगा है. इसे कौटिल्य नाम दिया गया है. यह पूरे देश में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस करता है. यह भारत के ऊपर एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव की तरफ चक्कर लगाता रहता है. इसके अलावा भारत के पास RISAT BR1 सिंथेटिक अपर्चर रडार इमेजिंग सैटेलाइट है. 

GSAT-7A को बुलाते हैं एंग्री बर्ड

19 दिसंबर 2018 में श्रीहरिकोटा से लॉन्च मिलिट्री सैटेलाइट GSAT-7A को एंग्री बर्ड बुलाते हैं. यह सैटेलाइट सैन्य संचार के लिए है. इससे सबसे ज्यादा मदद मिलती है इंडियन एयरफोर्स को. वायुसेना की नेटवर्किंग और निगरानी क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है. 

क्या कर सकते हैं ये सैटेलाइट्स? 

जीसैट सैटेलाइट की ताकत की बात करें तो 2014 में बंगाल की खाड़ी में हुए मिलिट्री एक्सरसाइज रुक्मिणी ने 60 युद्धपोतों और 75 लड़ाकू विमानों को एक साथ जोड़ दिया था. इस सीरीज के और भी सैटेलाइट्स आने वाले हैं. लेकिन कब कौन सा सैटेलाइट लॉन्च होगा फिलहाल इसकी जानकारी नहीं दी गई है.  

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