भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा 29 जनवरी को अपने 100वें मिशन में लॉन्च किया गया उपग्रह NVS-02 अंतरिक्ष में अटक गया है. निर्धारित कक्षा तक नहीं पहुंच पाया है. इसका प्रोपल्शन सिस्टम खराब हो गया है. एक वॉल्व की खराबी का सामना कर रहा है.
यह वॉल्व तरल अपोजी मोटर (LAM) पर ऑक्सीडाइज़र की आपूर्ति करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. इसका अर्थ यह है कि अंतरिक्ष एजेंसी LAM को संचालित करने में असमर्थ रही है, जो उपग्रह को कक्षा बदलने और अंतिम कक्षा में पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण है.
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रविवार तक उपग्रह एक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में बना हुआ है. इस कक्षा का उपयोग उपग्रहों को उनकी अंतिम कक्षा में स्थानांतरित करने से पहले किया जाता है. नेविगेशन उपग्रहों को ऑप्टिमल रूप से काम करने के लिए लगभग गोल कक्षा की आवश्यकता होती है.
LAM नहीं चलेगा तो ऑर्बिट कैसे बदलेगा?
LAM के प्रज्वलन के बिना यह मुश्किल होगा. लॉन्च के बाद वॉल्व की समस्या का पता चला जब उपग्रह को जीटीओ में डाला गया था. लॉन्च के बाद से कक्षा सुधार नहीं किए गए हैं. एक अन्य स्रोत ने बताया कि वॉल्व नहीं खुल रहा था. LAM को ऑक्सीडाइज़र की आपूर्ति से रोक रहा था, इसलिए मोटर को नहीं चला सकते.
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ट्रांसफर ऑर्बिट में है सैटेलाइट
इस समस्या के कारण उपग्रह को अभी भी GTO में रखा गया है. इसरो को अब यह तय करना होगा कि उपग्रह को कैसे ऑप्टिमल कक्षा में पहुंचाया जाए. इस मुद्दे पर गौर करने वाली एक समिति ने पिछले चार दिनों में कई बार बैठक की है.
इसरो का कंट्रोल है सैटेलाइट पर
अंतरिक्ष यान पर अन्य सभी प्रणालियां ठीक हैं. हम उपग्रह को नियंत्रित करने में सक्षम हैं. अंतरिक्ष एजेंसी उपलब्ध कक्षा से उपग्रह को संचालित करने पर विचार कर सकती है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय लंबित है. NVS02 उपग्रह भारत के IRNSS का हिस्सा है, जिसका परिचालन नाम NavIC है. इसमें एक स्वदेशी परमाणु घड़ी है.