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अगर दिसंबर 2024 तक लॉन्च नहीं होगा शुक्रयान तो अगला विंडो 7 साल बाद मिलेगा, जानिए कैसे होता है तय

ISRO के शुक्रयान मिशन में हो सकती है देरी. इसरो के एक वैज्ञानिक का कहना है कि हमारी तरफ से पूरी तैयारी है लेकिन सरकार से आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है. अगर इसमें देरी होती है तो दिसंबर 2024 का लॉन्च विंडो मिस हो जाएगा. इसके बाद साल 2031 में ही इस मिशन को लॉन्च कर पाएंगे.

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ISRO वैज्ञानिकों की तैयारी पूरी है लेकिन सरकार से अनुमति नहीं मिलने की वजह से हो रही है देरी. (प्रतीकात्मक फोटोः ISRO)
ISRO वैज्ञानिकों की तैयारी पूरी है लेकिन सरकार से अनुमति नहीं मिलने की वजह से हो रही है देरी. (प्रतीकात्मक फोटोः ISRO)

भारत का पहला शुक्र मिशन (India's First Mission to Venus) यानी शुक्रयान (Shukrayaan) की लॉन्चिंग में हो सकती है देरी. वजह है सरकार की तरफ से आधिकारिक अनुमति नहीं मिलना. क्योंकि सरकार का फोकस अभी गगनयान (Gaganyaan) है. जिसमें भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में ले जाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. इसरो वैज्ञानिक पूरा ध्यान गगनयान पर लगा रहे हैं. इसरो इस मिशन को लेकर काफी मेहनत कर रहा है. लेकिन इस चक्कर में शुक्रयान मिशन आगे बढ़ाया जा सकता है. 

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कुछ दिन पहले इसरो के सतीश धवन प्रोफेसर और स्पेस साइंस प्रोग्राम के सलाहकार पी श्रीकुमार ने बताया कि इसरो को अब भी शुक्रयान को लेकर सरकार से अप्रूवल नहीं मिली है. हो सकता है कि इसमें देरी से शुक्रयान मिशन को साल 2031 तक टालना पड़े. शुक्रयान मिशन में इसरो एक स्पेसक्राफ्ट बनाएगा जो शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए उसकी स्टडी करेगा. इसकी लॉन्चिंग की शेड्यूल डेट दिसंबर 2024 तय हुआ था. लेकिन इसमें देरी होती दिख रही है. 

ISRO Shukrayaan

शुक्रयान का आइडिया साल 2012 में आया था. पांच साल बाद इसरो ने प्राइमरी स्टडी तब शुरू की जब डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस ने 2017-18 के बजट में 23 फीसदी की बढ़ोतरी की. फिर इसरो ने कई वैज्ञानिकों संस्थानों से पेलोड्स प्रपोजल मांगे. आमतौर पर धरती से जब किसी अन्य ग्रह के लिए मिशन लॉन्च होता है तब लॉन्च विंडो देखा जाता है. यानी वह समय जब दूसरा ग्रह धरती के नजदीक होता है. 

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हर 19 महीने में एक लॉन्च विंडो, पर 2031 बेस्ट

आमतौर पर शुक्र ग्रह के लिए बेहतरनी लॉन्च विंडो हर 19 महीने के बाद आता है. लेकिन अगर अनुमति मिलने में देरी, पेलोड्स तैयार होने में और रॉकेट तय करने में समय लगेगा. तो लॉन्च देरी से होगा. ऐसा नहीं है कि बीच में समय नहीं मिलेगा. इसरो ने शुक्रयान की लॉन्चिंग के लिए बैकअप प्लान तैयार कर रखा है. इसरो के पास साल 2026 और 2028 में भी दो लॉन्च विंडों मिलेंगे. लेकिन ये विंडो 2024 से बेहतर नहीं हैं. क्योंकि सबसे कम ईंधन और कम दूरी को देखते हुए अगला बेहतरीन लॉन्च विंडो 2031 में मिलेगा. 

ISRO Shukrayaan

साल 2031 में नासा और ESA भी भेजेंगे अपने यान

बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स में हुई एक इंडो-फ्रेंच एस्ट्रोनॉमी मीटिंग में पी. श्रीकुमार ने कहा था कि शुक्रयान को कायदे से 2024 में लॉन्च करना चाहिए लेकिन अगर ये नहीं हो पाता है तो सबसे अच्छा लॉन्च विंडो 2031 ही होगा. हमें सरकार से शुक्रयान मिशन की आधिकारिक अनुमति और फंडिंग का इंतजार है. स्पेसक्राफ्ट की असेंबली और टेस्टिंग से पहले ये दोनों चीजें जरूरी हैं. नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी साल 2031 में अपने-अपने शुक्र मिशन प्लान करके रखे हैं. इनके नाम है VERITAS और EnVision. 

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कोविड ने कराई कई मिशनों में देरी

ये भी हो सकता है की चीन अपना शुक्र मिशन साल 2026 या 2027 में कभी लॉन्च करे. हालांकि उसके मिशन के बारे में फिलहाल अंतरराष्ट्रीय विज्ञान जगत को कोई जानकारी नहीं है. इसरो की प्लानिंग थी कि शुक्रयान को साल 2023 के मध्य में लॉन्च किया जाएगा. लेकिन कोविड की वजह से इस मिशन की लॉन्च डेट को आगे बढ़ाकर दिसंबर 2024 कर दिया गया था. इसके अलावा इसरो के और भी दो मिशनों में देरी हुई है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) और आदित्य-एल1 (Aditya-L1) भी अलग-अलग वजहों से लेट हुए हैं. 

ISRO Shukrayaan

शुक्र के ज्वालामुखियों की स्टडी करेगा शुक्रयान

शुक्रयान एक ऑर्बिटर मिशन है. यानी स्पेसक्राफ्ट शुक्र ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए स्टडी करेगा. इसमें कई साइंटिफिक पेलोड्स होंगे. लेकिन सबसे जरूरी दो पेलोड्स हैं- हाई रेजोल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार होंगे. शुक्रयान अंतरिक्ष से शुक्र ग्रह की भौगोलिक सरंचना और ज्वालामुखीय गतिविधियों की स्टडी करेगा. साथ ही उसके जमीनी गैस उत्सर्जन, हवा की गति, बादलों और अन्य चीजों की भी स्टडी करेगा. शुक्रयान एक अंडाकार कक्षा में शुक्र के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. 

चार साल तक करेगा शुक्र ग्रह की स्टडी

शुक्रयान मिशन की लाइफ चार साल की होगी. यानी इतने समय तक के लिए स्पेसक्राफ्ट बनाया जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि शुक्रयान को GSLV Mark II रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. शुक्रयान का वजन 2500 किलोग्राम होगा. इसमें 100 किलोग्राम के पेलोड्स लगे होंगे. इसमें फिलहाल 18 पेलोड्स लगाने की खबर हैं हांलाकि यह फैसला बाद में होगा कि कितने पेलोड्स जाएंगे. इसमें जर्मनी, स्वीडन, फ्रांस और रूस के पेलोड्स भी लगाए जा सकते हैं. 

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बजट का बड़ा हिस्सा गगनयान में हो रहा खर्च

इसरो को साल 2022-23 के लिए सरकार से 13,700 करोड़ रुपये का बजट मिला है, जो पिछले बजट से थोड़ी ही ज्यादा है. लेकिन इस बजट का अधिकतम हिस्सा गगनयान में इस्तेमाल हो रहा है. इसरो कॉमर्शियल लॉन्चिंग के जरिए पैसे कमा भी रहा है. साथ ही प्राइवेट स्पेसफ्लाइट सेक्टर को भी खोल रहा है. इस समय इसरो में कई काम एकसाथ चल रहे हैं लेकिन 2024 का लॉन्च विंडो मिस हुआ तो हम सभी को सात साल और इंतजार करना पड़ सकता है. 

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