scorecardresearch
 

PROBA-3 Mission: ISRO ने फिर लहराया तिरंगा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट की सफल लॉन्चिंग

ISRO ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के PROBA-03 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया. एक तकनीकी खराबी के बाद 4 दिसंबर 2024 की लॉन्चिंग को टाल दिया गया था. ये मिशन सूरज के कोरोना और उसकी वजह से बदलने वाले अंतरिक्ष के मौसम की स्टडी करेगा.

Advertisement
X
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से प्रोबा-3 मिशन की लॉन्चिंग की गई. (फोटोः ISRO)
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से प्रोबा-3 मिशन की लॉन्चिंग की गई. (फोटोः ISRO)

ISRO ने 4 दिसंबर 2024 को प्रोबा-3 की लॉन्चिंग टालने के बाद आज यानी 5 दिसंबर 2024 की शाम चार बजकर चार मिनट पर लॉन्च कर दिया. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड एक से PSLV-XL रॉकेट से की गई. मात्र 26 मिनट की उड़ान के बाद इसरो का रॉकेट सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में स्थापित कर देगा. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: गर्मी से पिघलते ग्लेशियरों के बीच उत्तराखंड में मिला तेजी से बढ़ता हुआ बेनाम ग्लेशियर

जानिए इसरो के इस बेहतरीन रॉकेट के बारे में... 

ISRO, PSLV-C59, Proba-3 Mission, ESA

इस मिशन में इसरो PSLV-C59 रॉकेट उड़ा रहा है. इसमें C59 असल में रॉकेट कोड है. यह पीएसएलवी की 61वीं उड़ान और XL वैरिएंट की 26वीं उड़ान थी. यह रॉकेट 145.99 फीट ऊंचा है. चार स्टेज के इस रॉकेट का लॉन्च के समय वजन 320 टन होता है. यह रॉकेट प्रोबा-3 सैटेलाइट को 600 X 60,530 km वाली अंडाकार ऑर्बिट में डालेगा. 

अब जानते हैं प्रोबा-3 सैटेलाइट के बारे में... 

प्रोबा-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट है. यानी यहां एक नहीं दो सैटेलाइट लॉन्च होंगे. जिनका कुल वजन 550 किलोग्राम होगा. पहला है कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (Coronagraph Spacecraft) और दूसरा है ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट (Occulter Spacecraft). 

Advertisement

यह भी पढ़ें: Cyclone DANA: इसरो की इन दो सैटेलाइट्स का कमाल, तूफान आने से पहले बता दिया पूरा हाल

ISRO, PSLV-C59, Proba-3 Mission, ESA

कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट...

310 किलोग्राम वजनी यह सैटेलाइट सूरज की तरफ मुंह करके खड़ा होगा. यह लेजर और विजुअल बेस्ड टारगेट डिसाइड करेगा. इसमें ASPIICS यानी एसोसिएशन ऑफ स्पेसक्राफ्ट फॉर पोलैरीमेट्रिक और इमेंजिंग इन्वेस्टिंगेशन ऑफ कोरोना ऑफ द सन लगा है. इसके अलावा 3DEES यानी 3डी इनरजेटिक इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर है. यह सूरज के बाहरी और अंदरूनी कोरोना के बीच के गैप की स्टडी करेगा. साथ ही सूरज के सामने खड़ा होगा. जैसे ग्रहण में चंद्रमा सूरज के सामने आता है. 

ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट...

240 किलोग्राम वजन वाला यह स्पेसक्राफ्ट कोरोनाग्राफ के पीछे रहेगा. जैसे ग्रहण में सूरज के सामने चंद्रमा और उसके पीछे धरती रहती है. इसमें लगा DARA यानी डिजिटल एब्सोल्यूट रेडियोमीटर साइंस एक्सपेरीमेंट इंस्ट्रूमेंट कोरोना से मिलने वाले डेटा की स्टडी करेगा.

यह भी पढ़ें: कहां खो गई दिल्ली की दिसंबर वाली सर्दी? राजधानी में 24 तो मुंबई में 37 डिग्री तापमान कर रहा परेशान

सूरज के चारों तरफ मौजूद गैप की स्टडी 

ये दोनों सैटेलाइट एकसाथ एक लाइन में 150 मीटर की दूरी पर धरती का चक्कर लगाते हुए सूरज के कोरोना की स्टडी करेंगे. ऊपर दिख रही तस्वीर में आपको सूरज के ऊपर एक काला घेरा दिख रहा होगा. इसी काले घेरे की स्टडी करेगा प्रोबा-03 मिशन. 

Advertisement

ISRO, PSLV-C59, Proba-3 Mission, ESA

असल में यहां पर दो तरह के कोरोना होते हैं. जिनकी स्टडी कई सैटेलाइट्स कर रहे हैं. हाई कोरोना और लो कोरोना. लेकिन इनके बीच के गैप की स्टडी यानी काले हिस्से की स्टडी करेगा प्रोबा-03. प्रोबा-03 में लगा ASPIICS इंस्ट्रूमेंट की वजह से इस काले गैप की स्टडी आसान हो जाएगी. 

यह सोलर हवाओं और कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी भी करेगा. इस सैटेलाइट की वजह से वैज्ञानिक अंतरिक्ष के मौसम और सौर हवाओं की स्टडी कर सकेंगे. ताकि यह पता चल सके की सूरज का डायनेमिक्स क्या है. इसका हमारी धरती पर क्या असर होता है. इस सैटेलाइट के दो हिस्से हैं. 

Live TV

Advertisement
Advertisement