ISRO इस बार सिंगापुर की एक सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है. सैटेलाइट का नाम है TeLEOS-02. इसके साथ कुछ और सैटेलाइट्स भी होंगे. मुद्दा यहां पर ये नहीं है कि सैटेलाइट्स कौन से जा रहे हैं. सवाल ये है कि इस बार की लॉन्चिंग में खास क्या है?
इस बार इसरो लॉन्चिंग में PSLV-C55 रॉकेट का इस्तेमाल कर रहा है. ये इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट रहा है. सितंबर 1993 में पहली बार इस रॉकेट से लॉन्चिंग की गई थी. तब से अब तक 56 बार यह सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है. सिर्फ दो बार ही असफल हुआ है मिशन. इस बार रॉकेट के इंटीग्रेशन में इनोवेशन किया गया है.
रॉकेट की असेंबलिंग में काफी समय लगता है. इस बार ऐसा इंटीग्रेशन किया गया है ताकि असेंबलिंग और उड़ान में कम समय लगे. पहले पीएसएलवी के सारे हिस्सों को पहले लॉन्चपैड पर मोबाइल सर्विस टावर के जरिए इंटीग्रेट किया जाता था. यानी जोड़ा जाता था. लॉन्चिंग 22 अप्रैल 2023 को दोपहर 2:19 बजे किया जाएगा.
अब सिर्फ पहले लॉन्चपैड पर असेंबली नहीं होगी
नए इनोवेटिव तरीके से इसरो रॉकेट के पहले और दूसरे स्टेज को PSLV इंटीग्रेशन फैसिलिटी (PIF) में जोड़ा जाने लगा है. फिर उसे मोबाइल लॉन्च पेडेस्टल पर ले आया जाता है. इसके बाद तीसरे और चौथे हिस्से को पहले लॉन्चपैड पर जोड़ा जाता है. इसका फायदा ये है कि अगर पहले लॉन्च पैड पर कोई रॉकेट पहले से है तो दूसरे रॉकेट की असेंबलिंग में समय नहीं लगेगा. पहला-दूसरा स्टेज कम से कम जुड़कर तैयार रहेगा.
PSLV रॉकेट क्यों है भरोसेमंद
PSLV ने अब तक 33 कस्टमर देशों के 297 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं. यह रॉकेट 44 मीटर ऊंचा है. इस रॉकेट का व्यास 2.8 मीटर है. इसमें चार स्टेज है. इस रॉकेट का वजन 320 टन है. साथ ही इस रॉकेट के चार वैरिएंट्स भी हैं. इनके नाम हैं PSLV-CA, DL, QL और XL.
पिछले महीने 36 सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे
सैटेलाइट्स को धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit- LEO) में भेज चुका है. अभी पिछले मार्च में ही इसरो के हैवी लिफ्टर रॉकेट LVM3-M3 ने एक साथ वन वेब कंपनी की 36 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग की थी.