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भारत अंतरिक्ष में नहीं भेज पाया यूरोप की 'बिकिनी', जानिए क्यों कैंसल हुई ये डील?

ISRO अब यूरोप का 'बिकिनी' सैटेलाइट लॉन्च नहीं कर पाएगा. यूरोपियन कंपनी और इसरो में हुई डील खत्म हो चुकी है. अब इस सैटेलाइट को यूरोप एरियन-6 रॉकेट से लॉन्च करेगा. आइए जानते हैं कि क्यों ये डील रद्द हुई और ये स्पेसक्राफ्ट क्या काम करेगा?

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ISRO का पीएसएलवी रॉकेट करने वाला था इस सैटेलाइट को लॉन्च.
ISRO का पीएसएलवी रॉकेट करने वाला था इस सैटेलाइट को लॉन्च.

पिछले साल यूरोपियन स्पेस स्टार्ट अप 'द एक्सप्लोरेशन कंपनी' के साथ इसरो की डील हुई थी. इसरो अपने पीएसएलवी रॉकेट से इस कंपनी के दुबले-पतले सैटेलाइट बिकिनी को अंतरिक्ष में लॉन्च करने वाला था. यह स्पेसक्राफ्ट एक री-एंट्री व्हीकल है. यानी लॉन्च होने का बाद स्पेस में 500 km जाने के बाद वापस धरती पर आना था. 

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अब इसरो के साथ कंपनी की डील रद्द हो चुकी है. अब बिकिनी को फ्रांस से लॉन्च किया जाएगा. इसे एरियनस्पेस के एरियन-6 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. मुद्दा ये है कि डील रद्द क्यों हुई. असल में इसरो इस पीएसएलवी रॉकेट से लॉन्च करने वाला था, लेकिन इस रॉकेट की टाइमलाइन सैटेलाइट लॉन्च से मैच नहीं हो रही थी. 

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ये है बिकिनी बनाने वाली कंपनी का बड़ा री-एंट्री व्हीकल निक्स. इसी का छोटा रूप है बिकिनी. (फोटोः द एक्स्प्लोरेशन कंपनी)

पहले इस सैटेलाइट को जनवरी 2024 में लॉन्च किया जाना था. लेकिन पीएसएलवी सिर्फ इसे लेकर उड़ान नहीं भरता. उसे और सैटेलाइट्स की जरूरत थी. इसलिए यह मिशन आगे नहीं बढ़ सका. यूरोपियन कंपनी ने कहा कि बिकिनी हमारा री-एंट्री डिमॉन्स्ट्रेटर है. इसे साल 2022 में 9 महीने में बनाया गया था. 

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ये था बिकिनी को लॉन्च करने का प्लान

बिकिनी को PSLV धरती से 500 km ऊपर ले जाकर छोड़ देता. वहां से ये वापस धरती की तरफ आता. इस दौरान इसकी री-एंट्री को लेकर कई जांच-पड़ताल किए जाते. यह वायुमंडल को पार करते हुए समुद्र में गिरता. बिकिनी का वजन 40 kg है. इसका मकसद है अंतरिक्ष में डिलिवरी पहुंचाना. 

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यानी द एक्स्प्लोरेशन कंपनी चाहती है कि वह अपने बिकिनी स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में डिलिवरी करे. अगर बिकिनी री-एंट्री मिशन में सफल होता है, तो इससे कॉमर्शियल उड़ानों के लिए नई दुनिया का दरवाजा खुल जाएगा. यानी अंतरिक्ष में किसी भी सामान की डिलिवरी हो सकेगी. वह भी सस्ते में.

पहले भारत ने एरियनस्पेस से छीना था डील  

पहले यह मिशन यूरोपियन एरियनस्पेस कंपनी को दिया जा रहा था. लेकिन बाद में इसे भारत की न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने हासिल कर लिया. क्योंकि एरियन 6 रॉकेट के डेवलपमेंट में देरी हो रही थी. लेकिन अब यह डील वापस उसी कंपनी के पास चली गई है. क्योंकि पीएसएलवी की टाइमलाइन मैच नहीं हो रही है. 

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मिशन में होना था POEM का इस्तेमाल

इस मिशन के दौरान द एक्सप्लोरेशन कंपनी को जो डेटा मिलेगा, उससे वो भविष्य में ज्यादा बेहतर री-एंट्री और रिकवरी टेक्नोलॉजी विकसित कर पाएंगे. PSLV रॉकेट में पीएस-4 यानी चौथे स्टेज का इस्तेमाल हाल ही में पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) के लिए इस्तेमाल किया गया था. 

सही ऊंचाई पर लाकर छोड़ देगा बिकिनी को

POEM यानी पीएस4 अब धरती के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए एक्सपेरिमेंट्स करता है. बिकिनी को पीएस-4 के ऊपर लगाया जाता. ताकि मेन मिशन पर कोई असर नहीं आए. क्योंकि बिकिनी में किसी तरह प्रोप्लशन सिस्टम नहीं लगा है. यह पीएस-4 के सहारे ही अंतरिक्ष में थोड़ी देर समय बिताता. सही ऊंचाई हासिल करने के बाद पीएस-4 हट जाता.  

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बड़े मिशन का छोटा ट्रायल है बिकिनी

माना जा रहा है कि इस मिशन के लिए बिकिनी को 500 km के आसपास छोड़ा जाता. फिर उसकी डीबूस्टिंग होती. 120 या 140 km की ऊंचाई पर आने के बाद पीएस-4 बिकिनी को छोड़ देता. बिकिनी सीधे समुद्र में गिरता. बिकिनी असल में इस कंपनी के बड़े रीयूजेबल री-एंट्री मॉड्यूल निक्स (Nyx) का छोटा वर्जन है.

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