15 जनवरी 2022 को न्यूजीलैंड के पास स्थित समुद्री ज्वालामुखी टोंगा (Tonga Volcano) में विस्फोट हुआ. इसकी वजह से सुनामी तक आई. इसके विस्फोट के बारे में किसी भी वैज्ञानिक को जरा सा भी आइडिया नहीं था. न ही इसकी भविष्यवाणी की गई थी. किस्मत अच्छी थी कि विस्फोट के समय अमेरिका का एक सैटेलाइट ठीक उसके ऊपर से उड़ रहा था. उसने तस्वीरें और वीडियो ले लिए.
इस घटना से करीब 139 साल पहले 1883 की गर्मियों में जावा (Java) और सुमात्रा (Sumatra) द्वीपों के बीच मौजूद सुंडा की खाड़ी (Sunda Strait) में एक समुद्री ज्वालामुखी फटा. विस्फोट इतना तगड़ा था कि आसमान तक राख और धुएं के बादल गए थे. 25 किलोमीटर घन मलबा निकला था. गर्म राख, लावा और सुनामी की वजह से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इस ज्वालामुखी का नाम क्राकाटोवा (Krakatoa) है. इतिहास में दर्ज सबसे भयावह समुद्री ज्वालामुखी विस्फोट करने वाला वॉल्कैनो.
टोंगा विस्फोट से टूट गया था संचार संपर्क
खैर, टोंगा में फटे समुद्री ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद समुद्र के अंदर बिछी संचार लाइन टूट गई. साउथ पैसिफिक राष्ट्रों का बाकी दुनिया से संपर्क टूट गया था. सैटेलाइट्स ने विस्फोट की जगह पर लाखों बार बिजलियां गिरते देखी थीं. पूरी धरती पर दो बार शॉकवेव घूम गई थी. राख का गुबार परमाणु बम के मशरूम की तरह ऊपर उठा था. ये राख का गुबार वायुमंडल के ऊपरी सतह तक पहुंच गया था. विस्फोट के बाद टोंगा के आसपास के द्वीपों पर रहने वाले करीब 1 लाख लोगों को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था.
समुद्री ज्वालामुखियों को खोजना आसान नहीं
वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है कि समुद्र के अंदर या पानी के अंदर मौजूद ज्वालामुखियों की स्टडी करना बेहद मुश्किल होता है. क्योंकि इनके विस्फोट की कोई जानकारी नहीं मिल पाती. न ही इनके विस्फोट से पहले किसी तरह की भूकंपीय हरकत दर्ज हो पाती है. अगर भूकंपीय हरकत होती भी होगी तो समुद्री पानी के दबाव की वजह से महसूस नहीं होती. इस वजह से उन्हें खोजना बेहद मुश्किल होता है. वैज्ञानिकों को चांद की सतह के बारे में ज्यादा जानकारी है, लेकिन समुद्री ज्वालामुखियों के बारे में नहीं है.
बनाया जा रहा है नया अर्ली वॉर्निंग सिस्टम
अब वैज्ञानिक इन समुद्री ज्वालामुखियों की जांच में जुट गए हैं. पानी के अंदर मौजूद ऐसे ज्वालामुखियों के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम बनाने की तैयारी चल रही है. ताकि लोगों की जान बचाई जा सके. प्राकृतिक आपदा से पहले ही सूचना मिल सके. साथ ही यह भी पता चले कि किस समय कौन सा समुद्री ज्वालामुखी फटने वाला है. उसकी वर्तमान स्थिति कैसी है. टोंगा के विस्फोट के बाद न्यूजीलैंड नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमॉस्फियरिक रिसर्च (Niwa) ने टोंगा के आसपास स्टडी करने के लिए जहाज भेजा था. जिसने ज्वालामुखी के चारों तरफ की हजार वर्ग किलोमीटर के समुद्र की स्टडी की. समुद्र के अंदर और बाहर हुए बदलावों का नक्शा बनाया. सैंपल लिए.
Under-sea volcanoes can be incredibly damaging – but locating them is no easy task. https://t.co/eRjOC91kM3
— BBC Future (@BBC_Future) June 19, 2022
वैज्ञानिक डर गए ज्वालामुखी का खुला मुंह देख कर
Niwa के चीफ साइंटिस्ट माइक विलियम्स ने बताया कि समुद्री ज्वालामुखी के ऊपर पानी का दबाव इतना होता है कि ये विस्फोट के बाद इसी दबाव की वजह से धंस जाते हैं. धंसते ही समुद्र में सुनामी उठने लगती है. माइक की टीम ने एक रिमोटली ऑपरेटेड मशीन को ज्वालामुखी के पास भेजा ताकि तस्वीरें और वीडियो लिए जा सकें. उसका काल्डेरा देखकर वैज्ञानिक भी डर गए. वो इतना भयावह धंसा हुआ था. उसके ऊपर खड़ा वैज्ञानिकों का जहाज उसके आगे कई सौ गुना छोटा था. हल्के से विस्फोट से भी जहाज गायब हो जाता.