जापान (Japan) की स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) यानी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी को मंगलवार यानी सात मार्च 2023 को भारी नुकसान हुआ है. उनका नया रॉकेट H3 अपनी पहली उड़ान में ही फेल हो गया. यह एक मीडियम लिफ्ट रॉकेट था. जिसकी लॉन्चिंग तो सही हुई लेकिन सेकेंड स्टेज का इंजन स्टार्ट नहीं होने की वजह से रॉकेट दिशा भटकने लगा. ऐसे में रॉकेट को अंतरिक्ष में ही विस्फोट करके उड़ा दिया गया.
जापानी स्पेस एजेंसी ने इस रॉकेट को इसलिए बनाया था ताकि वह एलन मस्क (Elon Musk) की स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी से सस्ते दाम में सैटेलाइट लॉन्च कर सके. 187 फीट ऊंचा यह रॉकेट मंगलवार को तानेगाशिमा स्पेस पोर्ट से उड़ा. यह स्पेस पोर्ट दक्षिण पश्चिम जापान के कागोशिमा परफेक्चर में है.
अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद सेकेंड स्टेज का इंजन ऑन नहीं होने की वजह से मिशन फेल हो गया. इसके बाद जाक्सा के वैज्ञानिकों ने स्पेस पोर्ट इसे विस्फोट करके उड़ा दिया. ताकि वह नीचे आकर किसी को नुकसान न पहुंचाए. वैज्ञानिक अब सेकेंड स्टेज के इंजन में आई गड़बड़ी का पता कर रहे हैं. पिछले महीने भी इस रॉकेट को लॉन्च करने का प्रयास किया गया था लेकिन किसी दिक्कत की वजह से टाल दिया गया था.
VIDEO: Japan's next-generation H3 rocket failed after liftoff on Tuesday, with the space agency issuing a destruct command after concluding the mission could not succeed pic.twitter.com/0vnaPBcKVg
— AFP News Agency (@AFP) March 7, 2023
तीन दशक बाद जापान ने बनाया था नया रॉकेट
ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हीरोटाका वाटानाबे ने कहा कि पिछले महीने तो मिशन को टाला गया था. इस बार तो यह पूरी तरह से फेल हो गया. जापान के भविष्य की स्पेस नीतियों पर यह घटना असर डालने वाली है. अगर उसे अंतरिक्ष के व्यापार और तकनीकी माहौल में आगे बढ़ना है तो ऐसी घटनाओं से बचना होगा. तीन दशक के बाद जापान ने नया रॉकेट H3 बनाया था.
आपदा प्रबंधन-पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट था साथ
इस रॉकेट में ALOS-3 सैटेलाइट जा रहा था. यह एक आपदा प्रबंधन और पृथ्वी निगरानी सैटेलाइट था. इस सैटेलाइट में पहली बार इंफ्रारेड सेंसर लगाए गए थे. ताकि वो उत्तर कोरिया से उड़ने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को पहचान कर सकें. जब इस रॉकेट को बनाने वाली कंपनी मित्शुबिशी हैवी इंड्स्ट्रीज से घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो स्पेस एजेंसी से कॉर्डिनेट कर रहे हैं. फिलहाल कुछ नहीं बता सकते.
सस्ती लॉन्चिंग और स्पेस बिजनेस था टारगेट
H3 रॉकेट इससे पहले मौजूद H2 रॉकेट से लॉन्चिंग में आधी कीमत में लॉन्च हो जाता था. लेकिन सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा था स्पेसएक्स. क्योंकि उसके पास दोबारा इस्तेमाल करने लायक रॉकेट है. जापान को स्पेस इंड्स्ट्री में बिजनेस नहीं मिल रहा था. स्पेसएक्स का रॉकेट फॉल्कन-9 मात्र 2600 डॉलर प्रति किलोग्राम (करीब 2.12 लाख रुपये) की कीमत में धरती की निचली कक्षा में जाता था. लेकिन H2 में 10,500 डॉलर (8.58 लाख रुपये) लग जाते थे.