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Jupiter के बर्फीले चांद पर Oxygen से भरा समुद्र, नए प्लैनेटरी मॉडल में हुआ खुलासा

एक नए शोध से पता चलता है कि बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा (Europa) अपने बर्फीले खोल के नीचे ऑक्सीजन खींच रहा है, जहां सामान्य सूक्ष्म जीवन होने की संभावना हो सकती है.

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 यूरोपा में जीवन की उम्मीद सबसे ज्यादा है (फोटो- नासा)
यूरोपा में जीवन की उम्मीद सबसे ज्यादा है (फोटो- नासा)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूरोपा का ऊर्जा स्रोत बृहस्पति है, जो समुद्र को जमने से रोकता है
  • यूरोपा की बर्फ की चादर करीब 15 से 25 किलोमीटर मोटी है

बृहस्पति के चंद्रमा (Jupiter's moon) यूरोपा (Europa) में जीवन की उम्मीद सबसे ज्यादा है. पता चला है कि जमे हुए चंद्रमा की सतह पर एक समुद्र है. संकेत मिल रहे हैं कि यह समुद्र गर्म और नमकीन है. इसमें जीवन की संभावनाओं वाले रसायन भी मौजूद हैं.

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नए शोध से पता चलता है कि चंद्रमा अपने बर्फीले खोल के नीचे ऑक्सीजन खींच रहा है, जहां सामान्य जीवन होने की संभावना हो सकती है. यूरोपा की सतह पर मौजूद समुद्र में जीवन हो सकता है या नहीं, यह बहस का विषय है. जब तक नासा यूरोपा क्लिपर (Europa Clipper) को वहां नहीं भेजता, तब यह बहस जारी रहेगी. 

वैज्ञानिक यूरोपा के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं. ऑक्सीजन का होना एक बड़ा सवाल है. जीवन के लिए सबसे ज़रूरी है पानी.यूरोपा की सतह पर पानी काफी मात्रा में है. पृथ्वी के महासागरों से तुलना करें तो वहां ज़्यादा पानी है.

यूरोपा की बर्फ की चादर करीब 15 से 25 किलोमीटर मोटी है (फोटो- नासा)
यूरोपा की बर्फ की चादर करीब 15 से 25 किलोमीटर मोटी है (फोटो- नासा)

इसमें ज़रूरी रासायनिक पोषक तत्व भी हैं. जीवन के लिए ऊर्जा भी ज़रूरी है. यूरोपा का ऊर्जा स्रोत बृहस्पति है, जो इसके आंतरिक भाग को गर्म रखता है और समुद्र को जमने से रोकता है. 

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जमे हुए चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन भी है, जो जीवन की संभावना का एक और संकेत है. जब सूर्य की रोशनी और बृहस्पति के चार्ज कण चंद्रमा की सतह से टकराते हैं, तो ऑक्सीजन बनती है. लेकिन यूरोपा की बर्फ की मोटी चादर ऑक्सीजन और समुद्र के बीच बाधा डालती है. यूरोपा की सतह जमी हुई है, इसलिए किसी भी जीवन को इसके विशाल समुद्र में ही रहना होगा.

यूरोपा पर पृथ्वी से ज़्यादा पानी है (फोटो- नासा)
यूरोपा पर पृथ्वी से ज़्यादा पानी है (फोटो- नासा)

एक नई रिसर्च के मुताबिक, यूरोपा के बर्फीले खोल में मौजूद खारे पानी के पूल, सतह से समुद्र तक ऑक्सीजन ले जा सकते हैं. यह रिसर्च पेपर जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में पब्लिश किया गया है. इसके लेखक मार्क हेस्से हैं, जो यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर हैं.

ये चमकदार पूल खोल में उन जगहों पर मौजूद होते हैं जहां समुद्र में कनवेक्शन करंट की वजह से कुछ बर्फ पिघलती है. यूरोपा के फोटोजेनिक इलाके (Chaos terrain) इन्हीं पूलों के ऊपर बनते हैं. ये यूरोपा की जमी हुई सतह का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा कवर करते हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि यूरोपा की बर्फ की चादर करीब 15 से 25 किलोमीटर मोटी है.

 

यूरोपा की सतह बहुत ठंडी है. चंद्रमा के ध्रुवों पर, तापमान कभी भी शून्य से 220 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होता. अध्ययन में कहा गया है कि यूरोपा की सतह पर मौजूद करीब  86 प्रतिशत ऑक्सीजन इस समुद्र तक ले जाती है.

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शोधकर्ताओं के मॉडल से पता चलता है कि यूरोपा पर ऑक्सीजन से भरा समुद्र पृथ्वी के समान ही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बर्फ के नीचे जीवन हो सकता है? नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के वैज्ञानिक और इसके प्लैनेटरी इंटीरियर्स और जियोफिज़िक्स ग्रुप के सुपरवाइज़र स्टीवन वेंस ने कहा, 'बर्फ के नीचे रहने वाले किसी भी रह के एरोबिक जीवों के बारे में सोचना भी रोमांचक है.'

 

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