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James Webb ने पहली बार शनि के सबसे बड़े चांद Titan की फोटो ली, बादल और 1000 फीट गहरा समुद्र मिला

नासा के सबसे ताकतवर टेलिस्कोप ने शनि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन की पहली बार फोटो ली. फोटो से हैरान करने वाले खुलासे हुए. पता चला वहां बड़े बादल हैं. 1000 फीट गहरा समुद्र है. पहली बार टाइटन की इतनी दूर से ली गई स्पष्ट तस्वीर मिली है.

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ये शनि के सबसे बड़े चांद टाइटन की JWST द्वारा ली गई तस्वीर. (फोटोः NASA/ESA/CSO)
ये शनि के सबसे बड़े चांद टाइटन की JWST द्वारा ली गई तस्वीर. (फोटोः NASA/ESA/CSO)

शनि ग्रह (Saturn) के सबसे बड़े चांद टाइटन (Titan) पर बड़े-बड़े बादल देखे गए हैं. साथ ही 1000 फीट गहरा समुद्र मिला है. यह खोज की है नासा (NASA) के ताकतवर जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (James Webb Space Telescope - JWST) ने. तस्वीरें 4 नवंबर 2022 को नासा को मिली, जिसने उसे दुनिया के लिए जारी किया. टाइटन के मीथेन से भरे वायुमंडल में बादलों का दिखना और गहरे समुद्र का मिलना एक हैरानी की बात है.

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जेम्स वेब ने यह तस्वीर 4 नवंबर 2022 को ली थी. उस दिन टाइटन पर रेनी डे (Rainy Day) था. किसी वजह से उसके वायुमंडल में बादलों का जमावड़ा था. 5 नवंबर को जब दोबारा देखा गया तो ऐसा कुछ नहीं मिला. लेकिन 1000 फीट गहरा समुद्र मिला. यह बात बताई इस रिसर्च में शामिल Université Paris Cité के खगोलविद सेबेस्टियन रॉड्रीगेज ने. 

इस तस्वीर में आप देख सकते हैं हैं कि बादल, समुद्र और वायुमंडल कैसा है टाइटन का. (फोटोः NASA/ESA/CSA)
इस तस्वीर में आप देख सकते हैं हैं कि बादल, समुद्र और वायुमंडल कैसा है टाइटन का. (फोटोः NASA/ESA/CSA)

सेबेस्टियन ने कहा कि जो बादल देखे गए थे, वो टाइटन के क्राकेन मेयर (Kraken Mare) के पास दिखे थे. जबकि समुद्र उसके उत्तरी ध्रुव के इलाके में. जब सेबेस्टियन ने यह बात अपने साथियों को बताई तो वो सभी हैरान रह गए. क्योंकि टाइटन हमेशा से खगोलविदों के लिए पहेली रहा है. उसके बारे में कोई भी नई जानकारी हैरान करती है. सेबेस्टियन ने अपने साथियों से कहा कि ऐसा लगता है कि हम टाइटन के ऊपर बादल देख रहे हैं. साथ ही समुद्र भी. 

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टाइटन आकार में लगभग हमारी पृथ्वी के बराबर है. इसका वायुमंडल मीथेन और नाइट्रोजन से बना है. यह वायुमंडल इतना घना है, जितना हमारा भी नहीं है. टाइटन पर जब बारिश होती है तो वो गैसोलिन की होती है. जब बर्फ गिरती है, तब वह कॉफी के रंग की गिरती है. इसकी झीले और झरने मीथेन और ईथेन से भरे हुए हैं. उसकी सतह के नीचे की तरफ पानी और अमोनिया का गहरा समुद्र है. 

JWST Titan First Photo

ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी की शुरुआती संरचना के समय टाइटन का कुछ हिस्सा था. यहां भी वैसे ही हालात थे, जैसे अभी टाइटन पर हैं. धुंधली दुनिया थी. इसलिए वैज्ञानिकों को कई बार लगता है कि भविष्य में टाइटन धरती की तरह जीवन लायक स्थितियों में बदल सकता है. यह सब जांचने के लिए टाइटन पर एक न्यूक्लियर पावर्ड ड्रोन Dragonfly भेजा जाएगा. जो 2034 तक टाइटन पर पहुंचेगा. 

1980 से लेकर 2004-05 तक वॉयजर-1, कैसिनी सैटर्न ऑर्बिटर और ह्यूजेन्स लैंडर ने टाइटन की जो भी जानकारियां दी, वो बेहद धुंधली थीं. लेकिन एक साल पहले लॉन्च किए गए JWST के इंफ्रारेड कैमरों ने टाइटन को लेकर जो खुलासे किए हैं, वो हैरान करते हैं. यह टाइटन की धुंधली दुनिया के अंदर भी देख सकता है. ऐसा नहीं है कि वायुमंडल धुंधला ही रहता है. यहां पर तूफान भी आते हैं. वह भी भयानक स्तर के. अब ये तो तय है कि तूफान आएगा तो बादल होंगे ही. बादल होंगे तो बारिश होगी. बारिश मीथेन या नाइट्रोजन से मिलकर बने गैसोलिन की होती है. 

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