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Zero Shadow Day: सूरज के रहते हुए भी इस दिन गायब हो जाती है आपकी परछाईं... ये है वजह

कहा जाता है कि अंधेरे में तो परछाई भी आपका साथ छोड़ देती है. लेकिन कभी-कभी परछाई धूप में भी आपका साथ छोड़ देती है. साल में ऐसा दो बार होता है. जानिए क्या है Zero Shadow Day.

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साल में दो बार आता है ज़ीरो शैडो डे
साल में दो बार आता है ज़ीरो शैडो डे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इस घटना को साल में दो बार देखा जा सकता है
  • अलग-अलग जगहों के लिए तारीखें भी अलग

हम जब भी धूप में जाते हैं, तो हमें हमारी छाया (Shadow) या परछाई नजर आती है. स्वाभाविक है कि जब धूप होती है, वहां छाया भी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दिन ऐसा भी आता है जब धूप तो होती है, लेकिन छाया नहीं. इस घटना को 'ज़ीरो शैडो डे' (Zero shadow day) या 'शून्य छाया दिवस' कहा जाता है.

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इस घटना को साल में दो बार देखा जा सकता है. ज़ीरो शैडो डे साल में दो बार आता है. यह +23.5 और -23.5 डिग्री अक्षांश (Latitude) के बीच आने वाली जगहों पर दिखता है, यानी ट्रॉपिक ऑफ कैंसर (Tropics of Cancer) और ट्रॉपिक ऑफ कैप्रिकॉर्न (Tropics of Capricorn) के बीच आने वाली जगहों पर. 

zero shadow day
सूरज का झुकाव जगह के अक्षांश के बराबर हो जाता है, तब परछाई नहीं दिखती (Photo: Wikipedia)

पृथ्वी पर अलग-अलग जगहों के लिए इनकी तारीखें भी अलग-अलग होती हैं. यह घटना तब होती है जब सूरज का झुकाव जगह के अक्षांश के बराबर हो जाता है. ज़ीरो शैडो डे पर, जब सूरज स्थानीय मध्याह्न रेखा (Local Meridian) को पार करता है, तो सूरज की किरणें जमीन पर किसी वस्तु के सापेक्ष बिल्कुल लंबवत (Vertical) पड़ती हैं. ऐसे में उस वस्तु की कोई छाया दिखाई नहीं देती. 

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साल में ऐसा दो बार होता है, जब सूरज तो सिर के ऊपर होता है पर आपकी परछाईं पैरों के नीचे नहीं दिखती. 

मुंबई में सोमवार ज़ीरो शैडो डे की घटना देखी गई, जबकि दो दिन पहले यानी 14 मई को पुणे में इस घटना को देखा गया था. 

 

दूसरे शब्दों में समझें, तो दोपहर के समय सूरज कभी भी ठीक ऊपर नहीं होता. यह आमतौर पर थोड़ा उत्तर या थोड़ा सा दक्षिण में कम ऊंचाई (Altitude) पर होता है. पृथ्वी की रोटेशन एक्सिस (Rotation Axis) सूरज की तरफ 23.5 डिग्री झुकी होती है, इसी वजह से मौसम बदलते हैं. इसका मतलब यह भी है कि सूरज, दिन के अपने उच्चतम बिंदु में, आकाशीय भूमध्य रेखा के 23.5 डिग्री दक्षिण से भूमध्य रेखा (उत्तरायण) के उत्तर में 23.5 डिग्री और एक साल में फिर से (दक्षिणायन) में चला जाएगा. 

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 इन दो दिनों में, दोपहर के समय सूरज ठीक हमारे ऊपर होगा (Photo: Twitter- nayaklalit)

जो लोग +23.5 और -23.5 डिग्री अक्षांश के बीच रहते हैं, सूरज का झुकाव दो बार उनके अक्षांश के बराबर होगा- एक उत्तरायण के दौरान और एक बार दक्षिणायन के दौरान. इन दो दिनों में, दोपहर के समय सूरज ठीक हमारे ऊपर होगा और किसी भी चीज़ की परछाई जमीन पर नहीं पड़ेगी. कह सकते हैं कि सिर्फ अंधेरे में ही नहीं, कभी-कभी धूप में भी परछाई आपका साथ छोड़ देती है.

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