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Danger In Uttarakhand: बागेश्वर में भूस्खलन से बनी अस्थाई झील, कुवारी गांव पर खतरा

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक गांव है. जिसका नाम है कुवारी. इस गांव में बहती है पिंडारी नदीं. जिसके बगल में भूस्खलनों की वजह से अस्थाई झील बन गई है. प्रशासन का कहना है कि कोई खतरा नहीं है. लेकिन प्रकृति का कोई भरोसा तो नहीं कर सकते? आपदाएं चेतावनी देकर तो नहीं आतीं?

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ये है वो पिंडारी ग्लेशियर जहां से निकलती है पिंडारी नदी. कुवारी गांव में इस नदी के बगल में बनी है अस्थाई झील. (फोटोः गेटी)
ये है वो पिंडारी ग्लेशियर जहां से निकलती है पिंडारी नदी. कुवारी गांव में इस नदी के बगल में बनी है अस्थाई झील. (फोटोः गेटी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2013 से लगातार हो रहे हैं भूस्खलन
  • पिंडारी नदी का रास्ता बदला, बनी झील

उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक और बड़ा खतरा मंडरा रहा है. बागेश्वर जिले (Bageshwar District) के कुवारी गांव (Kunwari Village) के पास एक अस्थाई झील बन गई है. कुवारी गांव में बहने वाली पिंडारी नदी (Pindari River) पर होने वाले लगातार भूस्खलन की वजह से ऐसा हुआ है. ये नदी पिंडारी ग्लेशियर (Pindari Glacier) से निकल कर आती है. 

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कापकोट एसडीएम पारितोष वर्मा ने बताया कि इस अस्थाई झील की वजह से नदी के मार्ग में मामूली सा बदलाव आया है. फिलहाल वहां पर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. कुवारी गांव में साल 2013 से लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे एक छोटे से इलाके में पिंडारी नदी के बगल अस्थाई झील बन गई है. 

ये है उत्तराखंड का बागेश्वर जिला जहां पर मौजूद है कुवारी गांव. (प्रतीकात्मक फोटोः केतन पांडे/अन्स्प्लैश)
ये है उत्तराखंड का बागेश्वर जिला जहां पर मौजूद है कुवारी गांव. (फोटोः केतन पांडे/अन्स्प्लैश)

पारितोष ने बताया कि भूस्खलन की वजह से मिट्टी और पत्थर लगातार पिंडारी नदी में गिरते आए हैं. लेकिन इन्होंने अभी तक नदीं का रास्ता बंद नहीं किया है. थोड़ा सा मार्ग जरूर रोका है. जिससे नदी के बहाव में थोड़ा बदलाव आया है. कुछ स्थानों पर पानी जमा हो गया है. इस अस्थाई झील से कुवारी गांव को किसी तरह का खतरा नहीं है. यह झील बहुत ज्यादा ऊंचाई पर बनी है. इसकी वजह से गांव तक किसी प्रकार का खतरा नहीं पहुंचेगा. 

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पारितोष वर्मा ने बताया कि लगातार हो रहे भूस्खलन की वजह से हम पहले ही इस गांव के लोगों को छोटे-छोटे बैच में दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे हैं. इस गांव के 70-75 परिवरों की पहचान की गई है, जिन्हें अलग-अलग जगहों पर सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है. 

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