जर्मनी अपना अत्याधुनिक लेपर्ड (Leopard) टैंक यूक्रेन को देने जा रहा है. इससे रूस की हालत खराब हो गई है. अगर जर्मनी 14 टैंक यूक्रेन को देता है तो इसका फायदा यूक्रेनी सैनिक रूस के कब्जे वाले इलाके में उठा सकते है. रूस की सेना को बुरी तरह से मार सकते हैं. जर्मनी का दावा है कि लेपर्ड दुनिया का सबसे खतरनाक बैटल टैंक है.
यूक्रेन को जर्मनी से लेपर्ड 2ए4 (Leopard 2A4) टैंक की जरुरत है. इन टैंक्स को जर्मनी ने 1985 से 1992 के बीच आठ अलग-अलग बैच में बनाया है. इसे चार लोग मिलकर चलाते हैं. इस टैंक की लंबाई 3.7 मीटर और ऊंचाई 2.79 मीटर है. इसका ग्राउंड क्लियरेंस करीब आधा मीटर है. यह टैंक 3 मीटर गहरे गड्ढे से आराम से निकल सकता है.
लेपर्ड-2ए4 टैंक जब खाली रहता है तब इसका वजन 52 टन होता है. जब यह लड़ाई के लिए जाता है, तब इसका वजन 55.15 टन रहता है. सामने की तरफ इसकी अधिकतम गति 68 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है, जबकि बैकगियर में यह 31 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलता है. युद्ध के दौरान इसमें 1160 लीटर फ्यूल पड़ता है. ऐसे सिर्फ 900 लीटर.
सामान्य सड़क पर यह टैंक 340 किलोमीटर तक जा सकता है. ऊंचे-नीचे इलाकों में 220 किलोमीटर तक. इसकी नली घूमने में दस सेकेंड का टाइम लगता है. इसमें 120 मिलिमीटर की स्मूथबोर गन लगी है. इसके अलावा 2 मशीन गन तैनात रहती हैं. ये दोनों मशीनगन एक मिनट में 4750 राउंड फायर करती हैं. इसकी नली को पूरा 360 डिग्री एंगल पर घूमने में सिर्फ 9 सेकेंड लगते हैं.
फिलहाल इस टैंक का इस्तेमाल जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रिया, कनाडा, चिली, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फिनलैंड, हंगरी, इंडोनेशिया, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, कतर, सिंगापुर, स्लोवाकिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और तुर्की. इतना ही नहीं जर्मनी को उम्मीद है कि भविष्य में यूक्रेन, बुल्गारिया, क्रोएशिया और रोमानिया भी इस टैंक को खरीद सकते हैं. अब तक लेपर्ड टैंक के 15 वैरिएंट बन चुके हैं. जिन्हें समय समय पर अपडेट किया गया है. नई तकनीक लगाई गई है. अब तक कुल मिलाकर 3600 लेपर्ड टैंक्स बनाए गए हैं.