न्यूजीलैंड की रोटोरुआ झील (Lake Rotorua) के नीचे वैज्ञानिकों ने तीव्र स्तर का चुंबकीय गड़बड़ी देखी है. यह झील असल में एक शांत पड़े ज्वालामुखी के क्रेटर का दिल है. यह न्यूजीलैंड के नॉर्थ आइलैंड पर मौजूद है. इसे लेकर कई लोक कहानियां भी हैं. लोग घूमने-फिरने भी जाते हैं. पर्यटन के लिए ये झील जानी जाती है.
रोटोरुआ झील अपने हाइड्रोथर्मल एक्टिविटी के लिए भी जानी जाती है. इस झील के चारों तरफ सतह पर हमेशा भाप के बादल घूमते-फिरते रहते हैं. झील का रंग हमेशा हरे-नीले रंग का रहता है. इसकी वजह है झील में सल्फर की ज्यादा मात्रा. जीएनएस साइंस इंस्टीट्यूट के रिसर्चर ने इस झील का नक्शा बनाया तो हैरान रह गए.
प्रमुख साइंटिस्ट कॉर्नेल डे रोंडे ने देखा कि क्रेटर के अंदर विस्फोट हो रहा है. प्राचीन नदी बह रही है. इसके अलावा वहां पर चुबंकीय स्तर पर गड़बड़ी है. खास तौर से झील के दक्षिणी हिस्से में. इस नक्शे में पहली बार झील के छिपे हुए हाइड्रोथर्मल सिस्टम को भी दिखाया गया है. यह एक अद्भुत प्रक्रिया है, जिसकी वजह खोजना बेहद मुश्किल है.
55 वर्ग km तलहटी का नक्शा बनाया गया
कॉर्नेल ने बताया कि इस झील के नक्शे को बनाना पहली बार चश्मा पहनने जैसा है. वो भी तब जब आपको उसकी जरूरत न महसूस हो रही हो. लेकिन वह जरूरी हो. लेकिन जैसे ही आप वह चश्मा लगाते हैं, आपको सबकुछ बेहद स्पष्ट दिखने लगता है. इस नक्शे में 55 वर्ग किलोमीटर का इलाका कवर किया गया है.
यह झील की तलहटी का 68 फीसदी हिस्सा है. इसके अलावा रॉयल न्यूजीलैंड नेवी ने भी डेटा कलेक्ट किया है. नेवी ने झील की तलहटी की फिजिकल जांच की गई. इसके लिए उसने मल्टीबीम ईको साउंडर सोनार का इस्तेमाल किया. इसके अलावा चुंबकीय सर्वे भी किए गए. ताकि चुंबकीय गड़बड़ी का पता चल सके.
झील के नीचे बन रहा है पाइराइट
कॉर्नेल कहते हैं कि जब आप ज्वालामुखी वाले पत्थरों के ऊपर मैग्नेटोमीटर चलाते हैं तब उसमें सकारात्मक बदलाव दिखता है. लेकिन यहां पर नकारात्मक गड़बड़ियां देखने को मिल रही है. आमतौर पर ज्वालामुखीय पत्थरों में चुंबकीय शक्ति होती है. ज्यादा होने पर वो मैग्नेटाइट बन जाते हैं. लेकिन इस झील में हाइड्रोथर्मल बहाव की वजह से वह पाइराइट में बदल गए हैं. जिसे बेवकूफों का सोना (Fool's Gold) कहा जाता है. इसमें कोई चुंबकीय सिग्नल नहीं होता.
वैज्ञानिकों को चुंबकीय गड़बड़ी के अलावा हाइड्रोथर्मल सक्रियता के अलग सबूत भी मिले हैं. झील के नीचे गर्म पानी का बहाव बहुत ज्यादा है. क्रेटर्स हैं. जहां पर गर्म विस्फोट हो रहा है. लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद झील की तलहटी के पास पानी का तापमान 14 डिग्री सेल्सियस है. जो कि बेहद ठंडा है. ऐसा झील के बड़े आकार की वजह से हो सकता है. नीचे से बहुत ज्यादा गर्मी बाहर आती है, तभी झील के पानी का तापमान में एक ही डिग्री सेल्सियस का अंतर आता है. इस झील में किसी को तैरने की अनुमति नहीं है. अगर तैरना है तो एक्सपर्ट्स के साथ, वो भी पूरे सुरक्षा यंत्रों के साथ.