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मंगल पर इतना पानी मिला जिससे पूरे ग्रह पर एक सागर भर जाए... NASA की बड़ी खोज

नासा ने मंगल ग्रह पर इतना पानी खोजा है जिससे पूरे ग्रह पर 1-2 किलोमीटर गहरा सागर बन जाए. पानी का ये स्रोत मंगल की ऊपरी लेयर यानी क्रस्ट में 11.5 से 20 km कि गहराई में है. चट्टानों की दरारों के बीच जमा है. भविष्य में इन्हें निकाला जा सके तो इंसान लंबे समय के लिए वहां कॉलोनी बना सकता है.

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बाएं से ... मंगल ग्रह पर नासा के इनसाइट लैंडर के डेटा की मदद से पानी के बड़े स्रोत की खोज की गई है.
बाएं से ... मंगल ग्रह पर नासा के इनसाइट लैंडर के डेटा की मदद से पानी के बड़े स्रोत की खोज की गई है.

NASA ने मंगल ग्रह की सतह के नीच पानी का अकूत भंडार खोज लिया है. ये इतना है कि इससे एक सागर भर जाए. सतह के कई किलोमीटर नीचे पत्थरों में दरारें हैं. वो टूटी हुई हैं यानी फ्रैक्चर्ड. इन दरारों के बीच इतना तरल पानी है कि उन्हें जमा करने पर एक सागर बन जाए. नासा ने यह गणना InSight Lander से मिले आंकड़ों से किया है. 

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मंगल ग्रह की सतह से 11.5 से 20 किलोमीटर की गहराई में भारी मात्रा में पानी मौजूद है. जिसमें छोटे सूक्ष्मजीवों के होने की भी संभावना है. या तो पहले रहे होंगे. सैन डिएगो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशैनोग्राफी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट वाशन राइट और उनकी टीम ने यह स्टडी की है. 

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Water on Mars, NASA, InSight Lander
ये है नासा का इनसाइट लैंडर जो मंगल की सतह पर 2018 में उतरा था. (फोटोः नासा)

वाशन ने कहा कि  मंगल ग्रह की ऊपरी लेयर यानी क्रस्ट इतनी गहराई में ऐसा माहौल बना देती है कि उसमें तरल पानी जमा हो सके. जबकि छिछली गहराइयों में ये जमकर बर्फ बन जाती है. वाशन और उनके साथियों की यह स्टडी हाल ही में प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित हुई है. 

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इनसाइट लैंडर की भूकंपीय तरंगों को पढ़ने की क्षमता से खुलासा

वाशन के साथी रिसर्चर माइकल मांगा ने कहा कि धरती पर भी हम इतनी गहराइयों में सूक्ष्मजीवन खोज चुके हैं. जहां पर पानी का सैचुरेशन है. ऊर्जा स्रोत भी नहीं है. लेकिन धरती इतनी गर्म है कि जीवन पनप सके. नासा का इनसाइट लैंडर साल 2018 में मंगल की सतह पर उतरा था. ताकि उसके अंदर की स्टडी कर सके.

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Water on Mars, NASA, InSight Lander

इस लैंडर ने अपनी सीस्मिक तरंगों यानी भूकंपीय तरंगों से मंगल ग्रह की अंदरूनी लेयर्स का नक्शा बनाने में मदद की. वाशन ने बताया कि उन्होंने इसी के डेटा की स्टडी करके यह निष्कर्ष निकाला है कि मंगल ग्रह के नीचे काफी ज्यादा मात्रा में पानी जमा है. ये तरंगें जब किसी भी वस्तु से गुजरती हैं तो उनमें बदलाव आता है. 

सारा पानी निकाला जाए तो पूरे ग्रह पर एक बड़ा सागर बन जाएगा

तरंगें जब पत्थर से गुजरती है तो उनका अलग व्यवहार होता है. पानी से गुजरती हैं तो अलग व्यवहार होता है. कहां दरारें हैं यह पता चल जाता है. इन्हीं तरंगों की स्टडी करके वाशन और उनकी टीम ने यह पता किया कि कहां और कितनी गहराई में कितना पानी है. इसी तरीके से धरती पर पानी के बड़े स्रोत, तेल और गैस खोजे जाते हैं. 

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मंगल ग्रह में 11.5 किलोमीटर से लेकर 20 किलोमीटर की गहराई में मौजूद पत्थरों की दरारों के बीच पानी ही पानी मौजूद है. जो लावा के ठंडा होने के बाद वहां जमा हुआ है. अगर यह सारा पानी जमा किया जाए तो मंगल की सतह पर 1 से 2 किलोमीटर गहरा सागर भरा जा सकता है. वह भी पूरे ग्रह पर. सिर्फ एक जगह नहीं. 

एक समय था जब मंगल ग्रह पर गर्मी और गीलापन दोनों था

अभी मंगल ग्रह की सतह ठंडी है. रेगिस्तानी है. लेकिन कभी गर्म और गीली होती थी. लेकिन ये 300 करोड़ साल पहले बदल चुका है. स्टडी ये बताती है कि मंगल ग्रह पर मौजूद पानी अंतरिक्ष में गायब नहीं हुआ. बल्कि क्रस्ट लेयर से फिल्टर होते हुए अंदर जाकर जमा हो गया. शुरुआती मंगल ग्रह पर पानी की नदियां, झीलें थीं. संभवतः सागर भी रहे होंगे. इस खोज से यह उम्मीद जगी है कि मंगल ग्रह पर पानी की मदद से लंबे समय के लिए इंसानी कॉलोनी बनाई जा सकती है. 

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